अगर अस्थमा (दमा) से हैं परेशान तो दादी मां के इन नुस्खों को ट्राई करें, आपको जल्द आराम मिलेगा। ऐसे रोग के लिए देसी उपायों में कई रामबाण औषधियां मौजूद हैं। अपनी स्थिति व लक्षणों के अनुसार आप इन्हें चुनें व लाभ पाएं।
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सफेद जीरा तीन माशे और छोटी दुद्धी चार माशे, इन दोनों को आधा छटांक पानी में पीसकर छान लें। जरा-सा सेंधा नमक डालकर प्रातःकाल पिएं।
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धाय के फूल, पोस्ता के डोडे, बबूल का बक्कल, कटेरी अडूसा, छोटी पीपल, सोंठ इन सबको तीन-तीन माशे लेकर आधा सेर पानी में पकाएं। जब पानी आधा पाव रह जाए तो छानकर छः माशे शहद मिलाकर पिएं।
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सफेद दखनी मिर्चों को भूनकर उसमें बराबर मिश्री मिला लें। इसमें से एक-एक माशा दिन में कई बार सेवन करें।
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पुराने दमें वाले फूली हुई फिटकरी और मिश्री दस-दस ग्राम पीसकर रख लें। दिन में एक-दो बार डेढ़ ग्राम की फंकी ताजा पानी के साथ लें। दूध, घी, मक्खन, तेल, खटाई, तेज मिर्च मसाले का परहेज रखें। मक्खन निकला मट्ठा, सब्जियों के सूप आदि लें।
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दमे के रोगियों के लिये शहद, प्याज, लहसुन, तुलसी की चाय और गुड़ अमृत हैं। दालचीनी मुंह में डालकर चूसते रहें।
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जाड़े के मौसम में तिल-गुड़ के लड्डू या गजक का सेवन करते रहने से दमा, खांसी, जुकाम आदि रोगों में फायदा पहुंचता है। इनका सेवन वैसे भी रोग-प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने में सहायक रहता है।
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यदि सांस फूलती है या हल्का दमे का रोग है तो रोगी को पीपल, कालीमिर्च, सोंठ व चीनी को बराबर मात्रा में पीसकर दिन में तीन-चार बार मुंह में रखकर चूसना चाहिए या शहद मिलाकर खा लेना चाहिए। इसके अलावा घी, चावल, सिगरेट, आलू, ठण्डी लस्सी, फ्रिज का पानी व उड़द की दाल का कम से कम या बिल्कुल प्रयोग न करें।
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फूली हुई फिटकरी रत्ती-भर मुंह में डाल लें और चूसते रहें। न कफ बनेगा और न ही दमा सताएगा।
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खांसी व दमा में 5 ग्राम मुलेठी का चूर्ण एक गिलास पानी में उबालें। जब पानी आधा रह जाए तो उस पानी को आधा सुबह तथा आधा शाम को पिएं। 3-4 दिन ऐसा करने से कफ पतला होकर निकल जाएगा।
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शलजम का रस एक कप, गाजर का रस एक कप, पत्तगोभी का रस एक कप, इसमें सेम की फली का रस आधा कप मिलाकर एकसार कर लें। इसमें थोड़ा -सा सेंधा नमक मिलाकर दिन में तीन बार पिलाएं। कुछ ही दिनों में दमा, खांसी, सीने की जकड़न तथा कफ बनना आदि रोग नष्ट हो जाते हैं।
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कालीमिर्च दो ग्राम, पीपरमींट दो ग्राम, सोंठ दो ग्राम, हरी इलायची दो ग्राम, को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 6 ग्राम गुड़ में मिलाकर चने के बराबर प्रतिदिन दिन में दो-तीन बार चूसें तो श्वास फूलना, खांसी व दमे के रोग से राहत मिलती है।
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यदि आपको पान खाने की आदत है तो आक की छोटी-सी कोपल सुबह-शाम पान में डालकर चबा जाएं। धीरे-धीरे दमा से मुक्ति मिलेगी।
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श्वास में भुनी अलसी 3 ग्राम तथा कालीमिर्च 7 ग्राम पीसकर दो चम्मच शहद में मिलाकर सुबह-शाम चटाएं, अवश्य आराम होगा।
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पिसी हल्दी 5 ग्राम गुनगुने जल से लेते रहने से दमा रोग का भय नहीं रहता।
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कफ सूख जाने पर 10 ग्राम मुलहठी पाउडर को 25 मिली जल में उबालकर छानकर घी, मिश्री, सेंधा नमक मिलाकर पिलाने से कफ गल जाता है। और सरलता से बाहर आ जाता है।
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तुलसी व अदरक का रस 3-3 ग्राम, शहद 5 ग्राम मिलाकर सुबह-शाम चाटें। खांसी व ज्वर में लाभ होगा।
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छमा, खांसी में मौसमी के रस में, रस का आधा भाग गर्म पानी, जीरा, सोंठ मिलाकर पिलाएं।
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शलगम, बन्दगोभी, गाजर और सेम का रस मिलाकर सुबह शाम दो सप्ताह तक पीने से लाभ होता है।
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आक की कलियां और कालीमिर्च दोनों को समान पीसकर चूर्ण बनाकर 1-2 ग्राम शहद के साथ देने से दौरे में राहत मिलती है।
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दमा, सूखी खांसी में 15 ग्राम गुड़ और 15 ग्राम सरसों का तेल मिलाकर चाटने से लाभ होता है।
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साधारण खांसी में अदरक के रस में थोड़ा शहद तथा जरा-सा काला नमक मिलाकर चाटें। लाभकारी योग है।
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साफ की हुई अजवायन 1 ग्राम पान के बीड़े में रखकर खाने से खांसी में लाभ मिलता है।
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छिलके सहित अखरोट की भस्म तैयार कर इसे शहद में मिलाकर चाटने से खांसी में लाभ होता है।
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