जी मचलाना या उल्टी होना जैसी समान्य समस्याएं कई बार पैदा हो जाती हैं। इनकी कई वजहें हो सकती हैं। जैसे खाना का सही नहीं पच पाना और कई बार उल्टा सीधा खाने की वजह से जी मचला सकता है और उल्टी भी हो सकती है।यदि किसी भी कारण से उल्टियां आ रही हों तो रोगी को इन देसी उपायों से आराम पहुंचा सकते हैं।
- आधे नींबू का रस, एक छटांक पानी, एक माशा छोटी इलायची के दानें, सबको मिलाकर दो-दो घंटे बाद पिलायें। उल्टी बंद करने के लिए बहुत अच्छा नुस्खा है।
- यदि दमा-खांसी हो तो अदरक का रस और शहद तीस-तीस ग्राम मिलाकर गुनगुना करके दिन में तीन बार पियें।
- दूब की जड़ का रस निकालकर, उसमें छोटी इलायची का चूर्ण दो माशे मिलाकर चटाएं।
- गेंहूं की रोटी को जलाकर उसकी राख पानी में घोल लें। जब पानी निथर जाए तो रोगी को निथार कर पिलाएं।
- गेरू को आग में खूब लाल करें, उसे पानी में बुझाएं और उस पानी को निथारकर पिलाएं।
- हींग को पानी में घोलकर पेट पर हल्की-हल्की मालिश करें।

- एक गिलास गर्म जल में एक नींबू का रस तथा थोड़ा-सा शहद मिलाकर लें। उल्टी बन्द होगी और भूख लगेगी।
- थोड़ा-थोड़ा शहद चाटने पर उल्टियां रूक जाती हैं।
- इलायची के दानों का चूर्ण बनाकर शहद के साथ खाने से घबराहट दूर होती है और उल्टी भी नहीं होती है।
- उल्टी होने पर कागजी नींबू को जलाकर उसकी एक चुटकी राख में शहद मिलाकर चाटने पर काफी राहत मिलती है।
- पित्त वमन होने पर एक गिलास गन्ने के ताजे रस में दो चाय की चम्मच शहद घोलकर पीते रहना हितकर हैं।
- जायफल को पानी में घिसकर लेप बनाएं और उसे पानी में घोलकर पीने से जी मिचलाना बन्द होता है।
- जी मिचलाने पर नमक के साथ प्याज खाने से लाभ होता है।
- नींबू बीच से काटकर उसमें सेंधा नमक, काली मिर्च पीसकर गोद-गोदकर भर दें। फिर उसे आग पर गरम करके चूसें।
