Healthy Heart Foods: हृदय रोगी क्या खाएं तथा किससे परहेज करें यह बहुत बड़ी समस्या होती है तो आइए आपकी इस समस्या का समाधान करते हैं और जानते हैं कि हृदय रोग में क्या खाएं व क्या न खाएं।
जई
इसे ओट भी कहते हैं। इसमें प्राइमरी वाटर सोल्यूबल गम, बीटा-ग्लूकॉन पाया जाता है जो लिपिड को कम करता है। इसे प्रतिदिन 25 ग्राम लिया जाना चाहिए।
लहसुन

हृदय रोग पर लहसुन के लाभ को देखने के लिए बहुत सारे प्रयोग किए गए हैं। बहुत सारे अध्ययनों से पता चला है कि लहसुन कोलेस्ट्रॉल, रुष्ठरु और ट्राइग्लीसेराइड को कम करने का काम करता है। लहसुन प्लेटिलेट्स (platelets) इकट्ïठा होने और थ्रोमबोसिस (रक्त में प्लेक्स का बनना) से बचाता है। ये उच्च रक्तचाप को भी कम करता है। 2-3 कलियां हमें प्रतिदिन लेनी चाहिए।
मेथी के दाने
इनमें रेशा पाया जाता है। इसमें 20त्न म्यूसिलजस रेशा और 50त्न टोटल रेशा पाया जाता है। ये नैचुरल स्टीरॉइड और बाइल एसिड के स्राव को बढ़ाता है जो हाइपोकोलेस्ट्रेलिक होते हैं अर्थात् रक्त में कोलेस्ट्रॉल कम करते हैं और यकृत में भी कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करते हैं। इसे 10-12 ग्राम प्रतिदिन लिया जाना चाहिए।
सोयाबीन का दूध

यह हृदय रोगों में व कोलेस्ट्रॉल घटाने वाले प्रभाव के रूप में, सोया मिल्क काफी असरदार है। सोया
मिल्क में उपस्थित प्रोटीन, कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करता है। आप इससे दही भी बना सकते हैं। यह 300 मि.ली. (एक गिलास) प्रतिदिन लिया जाना चाहिए।
अर्जुन छाल
हृदय की देखभाल के लिए अर्जुन छाल एक बहुत ही अच्छी दवा है। ये कोलेस्ट्रॉल कम करता है और रिवर्सल में मदद करता है।
ज्यादा फलों का सेवन करें

अगला सुझाव है कि फलों का सेवन बढ़ाएं। फलों में रेशा, खनिज लवण, विटामिन और एन्टीऑक्सीडेन्ट पाया जाता है। ये सब एक हृदय रोगी के लिए फायदेमंद हैं। सुबह नाश्ते में फल जरूर लिया जाना चाहिए। ये दोपहर या रात के भोजन का भी हिस्सा हो सकते हैं। बीच-बीच में फलों का जूस भी लिया जा सकता है। बस आपको फल खाते समय यह सावधानी बरतनी होगी कि मधुमेह रोगी मीठे फल न खाएं तथा अधिक वजन वाले लोग केला, आम, चीकू व अंगूर जैसे उच्च
कैलोरी युक्त फलों का सेवन अधिक न करें। जिनका वजन कम है (उन्हें मधुमेह नहीं है) तो वे लोग इन फलों को अधिक मात्रा में लें।
हाईकोलेस्ट्रॉल में क्या खाएं?
कोलेस्ट्रॉल के पेशेंट को अपने वजन को काबू में रखने के लिए कम कैलोरी खानी चाहिए। तेलों का सही बैलेंस भी जरूरी है, पूरे दिन में 3-4 छोटे चम्मच तेल का सेवन काफी है। तेल बदल-बदल कर और कॉम्बीनेशन में खाएं, जैसे कि एक महीने सरसों का या सोयाबीन का, दूसरे महीने सन्फ्लावर या कनोला, तीसरे महीने अलसी का तेल या ऑलिव ऑयल। ऐसे खाद्य पदार्थ लें जिनमें फाइबर हो,
फॉलिक एसिड हो व भाप में पका खाना खाएं। गेहूं, ज्वार, बाजरा, जई, चना, दलिया, दालें, हरी सब्जियां, बीन्स, शलजम, अलसी खाएं, दूध, दही, पनीर, मट्ïठा क्रीम निकला हुआ 2-3 बार तक लें। मेथी, लहसुन, प्याज, हल्दी, सोयाबीन, आंवला जूस, ऐलोवेरा जूस, वेजिटेबल जूस लें। नारियल पानी पीएं। शहद का सेवन करें।
क्या न खाएं?
तला-भुना न खाएं, देसी घी, डालडा, मियोनीज, मक्खन न लें। बिस्किट, कुकीज, पेस्ट्री, समोसे तथा पकौड़े न खाएं। जंकफूड, फास्टफूड, (पिज्जा, बर्गर, जाउमीन, ममोज) प्रोसेस्ड फूड से दूर रहें।
फुल क्रीम वाला दूध, दही, पनीर, मक्खन न लें व मावा युक्त मिठाई से बचें। नारियल व नारियल का दूध न लें इनमें तेल होता है। उड़द की दाल, नमक और चावल ज्यादा न खाएं, काफी- चाय ज्यादा न पीएं।
