गर्मियों में हो जाए डायरिया, तो अपनाएं आयुर्वेदिक उपचार: Diarrhea and Ayurveda
Diarrhea and Ayurveda

Diarrhea and Ayurveda: गर्मी का मौसम अपने कई तरह की बीमारियां लेकर आता है। बढ़ते तापमान के कारण लोगों को डायरिया जैसी पेट संबंधी समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है। अगर वक्त रहते इस परेशानी पर ध्यान न दिए जाने पर कई बार गंभीर रूप भी ले लेती है। कई बार ये समस्या इतनी गंभीर हो जाती है कि पीड़ित व्यक्ति की मौत तक हो जाती है। डायरिया के शुरूआती लक्ष्णों को पहचान लिया जाए तो उसका आयुर्वेदिक उपचार कर ठीक किया जा सकता है। आज हम आपको डायरिया को ठीक करने के लिए आयुर्वेदिक उपायों के बारे में बताएंगे।

क्या है डायरिया

Diarrhea

डायरिया या अतिसार पेट खराब होने की ऐसी स्थिति है जिसमें पीड़ित व्यक्ति को दिन में कई बार पानी की तरह पतले मल आते हैं। पीड़ित व्यक्ति के शरीर में मौजूद पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स (सोडियम और पोटेशियम जैसे मिनरल्स) मल के साथ अत्यधिक मात्रा में निकल जाते हैं, जिसकी वजह से शरीर का इलेक्ट्रोलाइट संतुलन गड़बड़ा जाता है और डिहाइड्रेशन हो जाता है। ध्यान न देने पर आंत्रशोथ सिंड्रोम (Gastroenteritis Syndrome) से स्थिति बिगड़ जाती है और कई बार व्यक्ति की मौत भी हो सकती है।

आयुर्वेद में डायरिया को त्रिदोष असंतुलन (वात, पित्त और कफ़) से जोड़कर देखा जाता है। दस्त तब होता है जब पाचन अग्नि या जठराग्नि कमजोर होती हैै और भोजन को पचाने की प्रक्रिया धीमी होती है। वात डायरिया में सफेद रंग के पतले दस्त आते हैं। पेट में सूजन, ऐंठन, दर्द होता है, प्यास अधिक लगती है, मुंह सूख जाता है। पित्त डायरिया में पीले रंग के दस्त आते हैं। पेट में जलन अत्यधिक पसीना, उल्टियां और बेहोशी हो सकती है। कफ डायरिया में सफेद रंग के चिकने दस्त आते हैं। पूरे शरीर में दर्द, आलस, थकावट और नींद ज्यादा आती है।

क्या है कारण

गर्मी के मौसम में खाना जल्दी खराब या बैक्टीरिया से संक्रमित हो जाता है। ऐसे में इस तरह का भोजन खाने से या तला-भुना, गरिष्ट भोजन, बासी तथा बाहर का खाना या कटे हुए फल वगैरह खाने से, दूषित पानी पीने से, साफ-सफाई का ध्यान न रखने से अक्सर अपच या बदहजमी की समस्या हो जाती है। तब हमारा शरीर भी प्रतिक्रिया करता है और अपच खाना दस्त के रूप में शरीर से बाहर निकालता है। इस प्रक्रिया में शरीर से पानी भी बाहर निकल जाता है और डायरिया की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

कब जाएं डॉक्टर के पास

वैसे तो डायरिया ऐसा रेाग है जिसपर अगर पूरा ध्यान रखा जाए और कुछ एहतियात बरती जाएं तो रोगी घर में ही ठीक हो जाता है। इस स्थिति में एकदम से एंटीबॉयोटिक मेडिसिन न देकर ‘वेट और वॉच‘ पॉलिसी अपनानी चाहिए। यानी कि अगर रोगी को दिन भर में 4-5 बार दस्त के लिए जाना पड़ रहा है तो वह कमजोरी जरूर महसूस करेगा। लेकिन अगर वह आधे-एक घंटे में यूरिन ठीक पास कर रहा है और एक्टिव है-तो घबराने की जरूरत नहीं है। उसका उपचार घर पर ही आसानी से किया जा सकता है।

डायरिया पीड़ित व्यक्ति को अगर बुखार भी आ रहा है, तो यह किसी बैक्टीरियल या वायरल इंफेक्शन का संकेत देता हैै- ऐसी स्थिति में डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए। साथ ही रोगी को डिहाइड्रेशन हो गया है यानी उसे बहुत ज्यादा प्यास लग रही हो, उसकी स्किन पर झुर्रियां-सी पड़ गई हों या फिर उसे 4-5 घंटे बीतने पर भी यूरिन आना बंद हो गया हो, तो बिना देर किए उसे डॉक्टर को दिखाना चाहिए।

क्या है आयुर्वेदिक उपचार

आयुर्वेद के हिसाब से डायरिया पीड़ित व्यक्ति को 15-20 मिली कुटजारिष्ट दवाई बराबर मात्रा में पानी में मिलाकर सुबह-शाम लेना फायदेमंद है। इसके अलावा 6 तरह की हर्ब्स मिलाकर बना षडंग पानी पीने की सलाह दी जाती है। यह पानी शरीर को ठंडक प्रदान करने के साथ-साथ डायजेशन ठीक करने में सहायक है। रोगी को लिक्विड डाइट लेने की सलाह दी जाती है। इससे पीड़ित व्यक्ति के शरीर में पौष्टिक तत्वों की आपूर्ति हो जाती है और उसमें रोग-प्रतिरोधक क्षमता बनी रहती है। लिक्विड डाइट भी उसे थोड़ी-थोड़ी मात्रा में नियत अंतराल पर दी जानी चाहिए ताकि वो उसे आसानी से डायजेस्ट कर सके और जल्दी आराम पहुंचे। डायरिया में दही का सेवन सबसे अच्छा माना जाता है।

कैसा हो डायरिया पीड़ित व्यक्ति का खानपान

Diarrhea
Diarrhea Food
  • चावल का पानी डायरिया में काफी मदद करता है। यह हल्का होने के साथ-साथ कार्बोहाइड्रेट से भरपूर होता है और रोगी के लिए फायदेमंद होता है।
  • रोगी को मूंग दाल की पतली खिचड़ी दही के साथ दी जा सकती है।
  • नमक और चीनी मिलाकर तैयार किया नींबू पानी डिहाइड्रेशन के खतरे को कम करने में सहायक है।
  • मिनरल्स से भरपूर नारियल पानी डायरिया पीड़ित को ठंडक प्रदान करता है और डिहाइड्रेशन में राहत पहुंचाता है।
  • रेडिमेड ORS का घोल दे सकते हैं। अगर यह उपलब्ध न हो तो आप घर में ही पानी में नमक-चीनी का घोल बना कर दे सकते हैं।
  • दही में भुना-पिसा जीरा और नमक मिलाकर सुबह-शाम देना फायदेमंद है। दही में मैश किया या कटा केला मिलाकर खाना असरदार है। दही की लस्सी में एक-एक चुटकी पिसा जीरा, सौंठ और काली मिर्च का पाउडर मिला कर दे सकते हैं। छाछ में पुदीना के कुछ पत्ते बारीक पीसकर मिला सकते हैं जो पेट की सूजन और जलन को शांत करने में सहायक है।
  • पुदीने के पत्तों को पीसकर निकले एक चम्मच रस में एक चम्मच शहद और नींबू का रस अच्छी तरह मिलाएं। यह मिश्रण दिन में 2-3 बार पिएं। पुदीना पाचन प्रक्रिया को सुचारू बनाने में सहायक होता है और दस्त में आराम मिलता है।
  • एक छोटा चम्मच भुना-पिसा जीरे में एक चम्मच मिश्री मिलाकर पानी के साथ देने से पेट की जलन में आराम मिलता है।
  • एक चम्मच अदरक का रस में आधा चम्मच शहद और थोड़ा-सा पानी मिलाकर पिएं।
  • दिन में एकाध बार संतरे और अनार का जूस दें सकते हैं।
  • नमक लगाकर केला खाना भी फायदेमंद है।
  • ठंडी तासीर वाला बेल का शर्बत और मुरब्बा दस्त रोकने में प्रभावी है।
  • कम दूध और कम चीनी की हर्बल चाय पिएं।
  • घिया या लौकी की रसेदार सब्जी या जूस पीना फायदेमंद है।

बरतें सावधानी

गर्मी के मौसम में खाने-पीने का ध्यान जरूर रखें-

  • गर्मियों में एक बार में भरपेट खाने के बजाय थोड़ा-थोड़ा खाएं। खाने में कम घी-तेल का इस्तेमाल करें, हमेशा ताजा बना भोजन ही खाएं।
  • यथासंभव तला-भुना, मसालेदार भोजन खाने से बचें।
  • कोल्ड ड्रिंक्स के बजाय नींबू पानी, नारियल पानी, छाछ, फलों के जूस और शर्बत, ठंडाई या फिर शेक ज्यादा से ज्यादा पिएं।
  • शरीर को ठंडक प्रदान करने वाले और इलेक्ट्रोलाइट संतुलन बनाए रखने वाले आहार अधिक मात्रा में खाएं- खीरा, ककड़ी, तरबूज, खरबूजा आदि का सेवन करें।
  • बजार में मिलने वाले कटे हुए फल न खाएं।
  • चटपटा खाना, खट्टे खाद्य पदार्थ या मीठी चीजें खाने से परहेज करें।
    (डॉ संजना शर्मा, आयुर्वेदिक फिजीशियन, संतुलन आयुर्वेदिक क्लीनिक, दिल्ली)