बच्चों को अनुशासन में रहना कैसे सिखाएं
आप घर में एक नियम बनाएं और सबसे पहले उस नियम को आप भी निभाएं।जब बच्चा आपको ऐसा करते हुए देखेगा तो उसे भी लगने लगेगा यही सही है।
Discipline your Child with Love: बच्चों को अनुशासन सिखाने के लिए माता-पिता हर तरीका अपनाते हैं। अच्छा इंसान बनने के लिए हर बच्चे को बचपन से ही अनुशासन में रहना जरुरी होता है। बचपन से ही अगर बच्चे को अनुशासित रखा जाए, तो वो अपने जीवन में बहुत तरक्की करता है। सबकी नज़रों में वो एक आदर्श इंसान बन जाता है। अगर बच्चों को जरुरत से ज्यादा लाड़-प्यार किया जाए, तो उनका भविष्य खतरे में पड़ सकता है। बचपन में बच्चे जैसा देखते हैं वैसा ही वो सीखने लगते हैं। बच्चे को हर तौर तरीका सिखाना हर माता-पिता का फ़र्ज़ होता है।
बचपन से ही बच्चे को अनुशासन में रहने की आदत हो जायेगी, तो माता-पिता भी राहत महसूस करेंगे। इन सबके लिए जरुरी है आप घर में एक नियम बनाएं और सबसे पहले उस नियम को आप भी निभाएं। जब बच्चा आपको ऐसा करते हुए देखेगा, तो उसे भी लगने लगेगा यही सही है।
सोने का समय तय करें, सुबह का नाश्ता, दिन का खाना, पढ़ाई, खेल कूद और मस्ती, रात का खाना और भी बहुत सी चीज़ों का एक समय बना लें। अनुशासन में रहना अच्छा है, लेकिन जब हम अपने बच्चों पर इसका दबाव बनाने लगते हैं, तब बच्चे काफी घुटन महसूस करने लगते हैं। बिना वजह वो जिद्दी हो जाते हैं।

बात-बात पर चिढ़ना शुरू कर देते हैं। इस तरह के व्यवहार से बचने के लिए जरुरी है कि आप बच्चे पर दबाव ना बनाकर अच्छी आदतें कुछ अलग तरीके से सिखाएं। आइए जानते हैं कैसे बच्चों पर बिना दबाव बनाएं उन्हें अनुशासन में रहना सिखाएं।
बड़ों का सम्मान करना सिखाएं

बचपन में बच्चों के मुँह से बोली ही हर बात बहुत प्यारी लगती है। इस वजह से हम कई बार उनकी बोली हुई गलत बात पर भी खिलखिला कर हंस पड़ते हैं। उस वक़्त तो ये सब बहुत अच्छा लगता है, लेकिन जब वही बच्चा थोड़ा बड़ा होकर कुछ गलत शब्द इस्तेमाल करता है, तो हम उसे डांटना शुरू कर देते हैं। इसलिए बचपन से ही बच्चे को गलत बात कहने या करने पर उसी समय टोकें। अपने से बड़ों से ही नहीं बल्कि अपने हमउम्र और अपने से छोटों की भी इज्जत करना सिखाएं। उन्हें समझाएं जब वो किसी का सम्मान करेंगे, तभी बदले में उन्हें भी सम्मान मिलेगा। इस तरह बच्चे बड़ों की ही नहीं हमउम्र और छोटों की भी इज्जत करना आसानी से सीख जाएंगे।
सभी सदस्य एक-सा बर्ताव करें

छोटी-छोटी बातों पर जब बच्चे जिद करना शुरू कर दें, आपकी बात ना सुनें, कुछ गलत करें या बोलें तो आसपास मौजूद सभी बड़ों को बच्चे को समझाएं चाहिए। अगर किसी बड़े ने बच्चे को डांटा है या कोई छोटी सी सजा दी है, तो उस बात पर एकमत रहें। अक्सर ऐसा देखा जाता है घर में किसी बच्चे ने कोई शैतानी की और किसी एक बड़े ने उसे डांट दिया और सख्ती से उसे ऐसा व्यवहार दुबारा करने के लिए मना किया, तभी अचानक कोई दूसरा बड़ा बच्चे को प्यार से लाड़ करने लगते हैं और कोई बात नहीं बच्चा है इस तरह के शब्द इस्तेमाल करते हैं। जिसकी वजह से बच्चे को लगने लगता है कि उसने तो कुछ गलत किया ही नहीं। उसे किसी एक ने डांटा, तो दूसरे ने प्यार कर लिया। इस तरह बच्चा अपनी गलती कभी महसूस ही नहीं कर पायेगा। हमें एकमत रहना चाहिए। सभी को बच्चे को समझाते हुए कहना चाहिए कि इस तरह का व्यवहार वो फिर से ना करे। तब बच्चा उस सख्ती का मतलब समझ पायेगा और अनुशासन में रहना सीख जाएगा।
ना कहना भी है जरुरी

हर वक़्त बच्चे की हाँ में हाँ मिलाना उसके भविष्य को खतरे में डालने जैसा ही है। जो बात बच्चे के हित में हो उसके लिए हाँ कहें। बच्चे के थोड़ा-सा रो लेने पर या नाराज़ हो जाने पर जो लोग बच्चे की हर बात को हाँ बोल देते हैं, तब बच्चे समझ जाते हैं की यही तरीका है बड़ों से अपनी बात मनवाने का।हमें समझना चाहिए की बच्चे की हर मांग जायज नहीं होती है। वो इतना समझदार नहीं होता कि समझ सके उसके लिए क्या गलत है और क्या सही। ये हमें बच्चे को समझाना होगा। थोड़ी सख्ती करने पर अगर बच्चा अनुशासन में रहना सीख रहा है, तो ना कहना भी जरुरी है।
हाथ उठाना या ज़्यादा गुस्सा करना ठीक नहीं

कई बार अपना आपा खोकर माता-पिता अपने बच्चों को चांटा जड़ देते हैं। बात चाहे कितनी की बड़ी या छोटी हो, बच्चे पर हाथ उठाना ठीक नहीं है। बच्चों का मन कोमल होता है। जोर से उनके ऊपर चिल्लाने से उनका मनोबल काम होता जाता है। वो अपनी कोई भी बात आपसे शेयर नहीं करते हैं।हर बात छुपाना शुरू कर देते हैं। जब हम गुस्से में आकर बच्चों पर चिल्लाते हैं या हाथ उठाना शुरू कर देते हैं, तो बच्चे अपने बारे में बुरा सोचने लगते हैं। उनके मन में नकारात्मक विचार आने लगते हैं। इस तरह के बच्चे स्वभाव से दब्बू बन जाते हैं। बच्चों को प्यार से समझाएं। जरुरत पड़ने पर सख्ती से पेश आएं। हल्की-फुल्की डाँट भी लगाएं। बच्चे को अनुशासन में रखने के लिए थोड़ी सख्ती दिखाना बहुत जरुरी है।
छोटे-छोटे कामों में बच्चों की मदद लें

रोजमर्रा के कामों में कई बार बच्चे हमारी मदद करने की पहल रखते हैं। हम उन्हें ये कह कर मना कर देते हैं कि वो अभी छोटे हैं। जब बच्चा मदद करने की बात कहें, तो उसके सामने ख़ुशी जताये और कहें हमारे पास तो बहुत सारे काम हैं, जिनमें हमें आपकी बहुत मदद चाहिए। इस तरह की बातों से बच्चे के मन में सकारात्मक विचार आएंगे। बच्चों से छोटे-छोटे कामों में मदद लें। पेड़-पौधों में पानी डलवाएं, कपडे टांगते समय उनकी मदद लें, छोटे-छोटे कपड़े तय करना सिखाएं, खाना खाने के बाद उनसे अपनी प्लेट खुद रखने के लिए कहें। इस तरह के बहुत से साधारण कामों में बच्चो की मदद लेंगे, तो वो अनुशासित रहना सीखेंगे।