Child Behavior Management
Child Behavior Management Credit: Istock

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जापानी पेरेंटिंग स्टाइल में माता-पिता और बच्चों के लिए निकटता और प्राथमिकता को महत्व दिया जाता है। इसमें बच्चों को बचपन से ही जिम्मेदारी का एहसास करवाया जाता है।

Japanese Parenting Techniques: जापान के लोग अपने रहन सहन, सभ्यता, अनुशासन और संस्कार के लिए जाने जाते हैं। यहां के युवा बुजुर्गों का पूरा सम्मान करते हैं और माता-पिता की देखभाल को अपना पहला कर्तव्य मानते हैं। दरअसल, आत्मीयता और प्रेम के ​इस रिश्ते की नींव बच्चों में बचपन से ही डाल दी जाती है। यही कारण है कि जापानी पेरेंटिंग स्टाइल को दुनिया की बेस्ट पेरेंटिंग लिस्ट में शामिल किया जाता है।

ये है पेरेंटिंग में अंतर

Japanese Parenting Techniques:<जापानी पेरेंटिंग स्टाइल में माता-पिता और बच्चों के लिए निकटता और प्राथमिकता को महत्व दिया जाता है।
The Japanese parenting style places importance on closeness and priority for parents and children. Credit: Istock

जापानी पेरेंटिंग स्टाइल में माता-पिता और बच्चों के लिए निकटता और प्राथमिकता को महत्व दिया जाता है। इसमें बच्चों को बचपन से ही जिम्मेदारी का एहसास करवाया जाता है। जबकि अधिकांश देशों में बच्चों को लाड़-प्यार के नाम पर इतनी सुविधाएं दी जाती हैं कि वे जिम्मेदारियों से दूर हो जाते हैं। असल जिंदगी की परेशानियों को समझ नहीं पाते।

सामंजस्य और आजादी पर फोकस

जापानी संस्कृति में बच्चों को पूरे सामंजस्य और आजादी के साथ बड़ा किया जाता है। पेरेंट्स बच्चों को दूसरों के बारे में सोचना सिखाते हैं। साथ ही समाज के महत्व को भी बताते हैं। बच्चों को खुद अपना काम करना सिखाया जाता है।

शारीरिक स्पर्श है जरूरी

जापानी मांएं अपने बच्चों को भरपूर ​प्यार देती हैं। इसमें शारीरिक स्पर्श को जरूरी माना जाता है। इससे बच्चे से एक मजबूत बॉन्ड बनता है। बच्चों को गोद में लेना, गले लगाना, उन्हें पास सुलाना आदि से बच्चे पेरेंट्स के करीब आते हैं। हालांकि पश्चिमी देशों में इसे ज्यादा लगाव के रूप में देखा जाता है। लेकिन जापानी लोगों का मानना है कि बच्चों को करीब रखने से उनमें आत्मविश्वास आता है। वे खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं। और बड़े होकर यही लगाव वह पेरेंट्स को लौटाते हैं।

बड़ों का सम्मान है आधार

जापान में बच्चों को बचपन से ही बड़ों का सम्मान करना सिखाया जाता है। इसे ही वे अपनी संस्कृति और सभ्यता की नींव मानते हैं। यही कारण है कि जापानी बच्चे न सिर्फ अपने परिवार के बुजुर्गों और बड़ों का सम्मान करते हैं, बल्कि अपने शिक्षक, ट्रेनर, कोच, पुलिसकर्मियों यहां तक कि अनजान लोगों तक का सम्मान करते हैं।

अनुशासन बनाता है मजबूत

जापानी बच्चों को बचपन से ही कड़े अनुशासन में रखा जाता है। यही कारण है कि उनके जीवन की नींव मजबूत हो जाती है। अनुशासन से उनका शारीरिक और मानसिक विकास होता है। इससे बच्चे एजुकेशन, स्पोर्ट्स, रचनात्मक कार्यों आदि सब में आगे रहते हैं। वह सभी कामों पर पूरा फोकस करते हैं। खास बात ये है कि जापानी बच्चों को सजा देकर नहीं, अपने व्यवहार से अनुशासन का पालन करना सिखाते हैं।

सामाजिक कौशल से बनते हैं विनम्र

एक ओर जहां दुनियाभर के बच्चे दूसरों से बात करने में कतराते हैं और सामाजिक कार्यों से दूर होते जा रहे हैं। वहीं जापान के बच्चों के साथ यह समस्या नहीं है। क्योंकि उन्हें बहुत कम उम्र से ही सामाजिक कौशल की सीख दी जाती है। उन्हें बताया जाता है कि हर इंसान के लिए समाज में रहना और समाज के साथ चलना बहुत जरूरी है। बच्चों को शिष्टाचार और दूसरों के प्रति विनम्र रहना सिखाया जाता है। ऐसे में ये बच्चे एक सभ्य समाज का निर्माण करते हैं।

संतुलित भोजन, पूरा पोषण

जापानी पेरेंट्स अपने बच्चों के पोषण को लेकर बहुत ज्यादा सतर्क रहते हैं। वह उन्हें संतुलित भोजन खाना सिखाते हैं। उनके भोजन में ढेर सारी सब्जियां और हेल्दी चीजें शामिल होती हैं। वे छोटा पोर्शन साइज खाने को प्राथमिकता देते हैं, जिससे बच्चे फिट और फुर्तीले रहते हैं। ऐसे में बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास भी अच्छे से हो पाता है।

मैं अंकिता शर्मा। मुझे मीडिया के तीनों माध्यम प्रिंट, डिजिटल और टीवी का करीब 18 साल का लंबा अनुभव है। मैंने राजस्थान के प्रतिष्ठित पत्रकारिता संस्थानों के साथ काम किया है। इसी के साथ मैं कई प्रतियोगी परीक्षाओं की किताबों की एडिटर भी...