60 वर्ष की आयु के बाद अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर है बड़ी चुनौती: ADHD Disorder
ADHD Disorder

ADHD Disorder: अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर ‘एडीएचडी’ एक मानसिक विकार है, जो व्यवहार में अति-सक्रियता पैदा कर सकता है। ये बीमारी ऐसे लोगों में ज्यादा देखने में आ रही है जो 60 वर्ष की आयु से ज्यादा है। ये गंभीर समस्या के रूप में उभर कर सामने आ रही है। इसमें व्यक्ति को कुछ अलग तरह के लक्षणों का सामना करना पड़ता है। जिसे उम्र बढ़ने के सामान्य लक्षणों को जोड़ दिया जाता है। इसका कारण आपके शारीरिक स्वास्थ्य पर भी काफी निर्भर करता है।

लक्षण

ADHD Disorder
ADHD Disorder Symptoms

प्रारंभिक शोध से यह सामने आया है कि 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में एडीएचडी के विभिन्न लक्षण नजर आते हैं। साथ ही ऐसे में ये देखा गया है कि उनकी उम्र उनके लिए चुनौती से कम नहीं है। कुछ ऐसी चीजें जो आपके बचपन से किशोरावस्था में और युवावस्था से वृद्धावस्था में भी संक्रमण के दौरान बदल जाती है। एडीएचडी में वृद्ध व्यक्तियों के लक्षण कुछ ऐसे देखने में आते है।

  • इसमें व्यक्ति चीजों को रख रखकर बार-बार भूल जाता है। उसे ये याद नहीं रहता कि उसने चीजों को कहा रखा है। ऐसे में अक्सर चीजों को रखने के बाद ढूंढना एक मुश्किल कार्य होता है।
  • इसी तरह कार्य करते हुए भटक जाना कि वह क्या कार्य कर रहे थे। ऐसे में उनमें कार्यशील स्मृति में कमी आना।
  • अपने साथ में रहने वालों तक के नाम भूल जाना, जो बेहद आश्चर्य की बात है लेकिन ये बीमारी है ही ऐसी जिसमें अपने साथ में रहने वाले का इंसान नाम भूल जाता है।
  • इसमें मरीज का ध्यान अपने कार्य से बार-बार हटता है। और जरूरी जानकारी पकड़ नहीं पाता है साथ ही किसी से बात करते समय ध्यान नहीं लगा पाते है।
  • कई बार मरीज काम पर बहुत ज्यादा फोकस करने लगता है कि उनसे गलती न हो जाए। या फिर कोई जरूरी जानकारी नहीं छूट जाए। इसलिए जो जरूरी नहीं है उन चीजों पर भी बहुत ज्यादा ध्यान देने लगता है।
  • ऐसे में मरीज बहुत ज्यादा रिएक्ट करने लगता है। बातचीत के बीच में बहुत ज्यादा बोलना या टोकते रहते हैं। इससे रिश्तों में या दोस्तों में उनको पसंद नहीं किया जाता है।
  • अक्सर मस्तिष्क को ऐसे महसूस करना जैसे उसमें कुछ भी रह नहीं गया है।
  • किसी भी चीज को समझने में कठिनाई होना।
  • स्वयं में बड़बड़ाना जबकि कोई सामने बैठा है या नहीं या फिर किसी से भी बहुत ज्यादा बात करना।
  • दूसरों को बाधिक करना।
  • बातचीत में समझने की कोशिश करना क्योंकि पूरी तरह दूसरों से बात करते समय समझ नहीं आना।
  • रिश्तों को बनाए रखने और संपर्क रखने में कठिनाई आना।
  • अपने घर को सही रखने में कठिनाई आना।

इलाज

वैसे तो लोग बोल देते है कि बुढ़ापा आ गया है तो इसलिए ऐसा व्यक्ति ऐसा व्यवहार कर रहा है। लेकिन जरूरी नहीं है ये बुढ़ापा ही हो बल्कि एडीएचडी बीमारी होेने पर भी बुढ़ापे में लोग ऐसा करने लगते है। ऐसे में उन्हें कॉग्निटिव बिहेविरियल थेरेपी की मदद लेनी चाहिए।

  • जब बीमारी अपने हाथ में नहीं हो तो जरूरी है कि डॉक्टर को दिखाना। कोई भी लक्षण दिखने पर डॉक्टर से संपर्क करें।
  • जब आपको लग रहा है कि आप बहुत ज्यादा डिप्रेशन हो रहे हैं तो योगा करें, जिससे डिप्रेशन महसूस न हो। स्ट्रेस मैनेज करें।
  • मेडिटेशन करें।
  • भोजन में सभी तरह के पोषक तत्वों को शामिल करें।
  • समय पर सोएं-उठें ताकि आपकी नींद पूरी हो।

डॉक्टर डी.के. चौहान (फिजिशियन) दरियागंज-नई दिल्ली से बातचीत पर आधारित