Second Marriage- हर कोई प्यार में दूसरा मौका पाने का हकदार है और कभी-कभी ये दूसरा मौका फिर से शादी या दूसरी शादी करने का भी हो सकता है। यदि आपके बच्चे हैं या आपके नए साथी के बच्चे हैं तो थोड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन आपको हर चुनौती के लिए तैयार रहना होगा। बच्चों के लिए नए रिश्ते को जल्दी से स्वीकार कर पाना आसान नहीं होता, क्योंकि ये नया रिश्ता पुराने रिश्ते की जगह लेता है। किसी भी बच्चे के लिए अपनी पुरानी यादों और भावनाओं को मिटाकर नए रिश्ते में जुड़ना मुश्किल होता है। नए रिश्ते के बारे में बच्चों को खुलकर बताना जरूरी है लेकिन कई बार बच्चों के साथ नए रिश्तों को अपनाना कठिन हो जाता है। बच्चों के साथ शादी के बाद एडजेस्ट करना बेहद चुनौतीपूर्ण कार्य है लेकिन अच्छे भविष्य के लिए ऐसा फैसला लेना जरूरी है। शादी सिर्फ दो लोगों की नहीं होती इसमें कई रिश्तों की जिम्मेदारी होती है। इसलिए सही शुुरआत होना जरूरी हैै। बच्चों के साथ अपने नए रिश्ते की शुरुआत किस प्रकार करें चलिए जानते हैं इसके बारे में।
बच्चे को समझाएं

किसी भी बच्चे के लिए दूसरे पेरेंट्स के साथ रहना आसान नहीं होता है। यदि आप तलाक के बाद दूसरी शादी करने जा रहे हैं, तो बच्चे को समझाएं कि वह अपने माता-पिता के साथ संपर्क में रह सकता है और कोई भी उनकी जगह लेने का विचार नहीं कर रहा है। इससे बच्चे को आश्वासन मिलेगा कि आप उनके माता-पिता के प्यार को उनसे छीन नहीं रहे हैं। याद रखें कि आपके बच्चे के लिए अपने जीवन में किसी अन्य व्यक्ति को स्वीकार करना मुश्किल हो सकता है लेकिन ये सुनिश्चित करें कि दोनों पक्षों में दूसरे के लिए सम्मान हो।
चीजों को आसान बनाएं

शादी के बाद अपने पार्टनर के बच्चों के साथ मिलनसार व्यवहार रखें। एक साथ क्वालिटी टाइम बिताने से बच्चे को दूसरे रिश्ते को एक्सेप्ट करने में मदद मिल सकती है। बच्चों के साथ नई एक्टिविटीज करें ताकि बच्चा आपके व्यवहार और प्यार को समझ पाए। बच्चा किस स्थिति से गुजर रहा है ये जानने का प्रयास करें। बच्चों की पसंद की डिश बनाएं, उन्हें घुमाने ले जाएं और कम्यूनिकेशन बनाए रखें। नए रिश्ते में बच्चों को जितना हो सके इंवॉल्व करें ताकि बच्चे आपको अपना समझें न कि पराया। ऐसा करने से चीजों को हैंडल करना आसान हो जाएगा।
यह भी देखे-बनी रहे रिश्तों की ब्यूटी ज़िम्मेदारी से निभाएं ड्यूटी
बच्चे को एक-दूसरे को करीब जाने दें

नए साथी के साथ वक्त गुजारना जितना आपके लिए जरूरी हो सकता है, उसी तरह बच्चे के लिए भी ये जरूरी है। इसलिए दोनों को एक-दूसरे से मिलने दें, बातें करने दें ताकि वो एक-दूसरे को समझ सकें। यदि आपका बच्चा नए साथी के साथ सुरक्षित और खुश है तो आपका रिश्ता मजबूत बन सकता है। है। इससे बच्चे की झिझक भी कम होगी और वह नए रिश्ते के बारे में खुलकर आपसे चर्चा करेगा।
साथी को करें इनवॉल्व

तलाक के बाद भी बच्चे की परवरिश दोनों के कंधों पर ही होती है। दूसरी शादी का फैसला भले ही पूर तरह से आपका हो लेकिन इसके बारे में एक बार अपने पहले साथी को जरूर बताएं। नया रिश्ता आपके साथ आपके बच्चे के जीवन के लिए अहम हैं, जिसके बारे में आपके पहले साथी को जानने का पूरा हक होना चाहिए। बच्चे के पुराने पेरेंट्स बच्चे को समझाने और उन्हें नए रिश्तों को एक्सेप्ट करने के लिए मना सकते हैं।
अपने फैसले पर टिके रहें

कई बार बच्चे अपनी जिद्द मनवाने के लिए किसी भी हद तक चले जाते हैं। ऐसे में पेंरेंट्स का अपने फैसले पर टिके रहना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। बच्चे की बात हो इग्नोर न करें लेकिन उसके गलत बिहेवियर पर लगाम लगाएं। साथ ही अपने फैसले पर टिके रहें। शादी का फैसला आपका है उसे बच्चों की जिद्द की वजह से बदलना सही नहीं है। पेरेंट्स को बच्चे से बात करनी चाहिए। उन्हें सही या गलत के बारे में समझाएं न कि अपना डिसीजन बदलें।
