Second Marriage: शादी मतलब जीवन भर का साथ। जीवन भर का ही क्यों, मानने वाले तो इसे जन्म जन्म का साथ मानते हैं। फिर चाहें वो रिश्ता ढोना ही क्यों न पड़े। बात कुछ बरस पहले तक की करी जाए तो ये बात सामान्य होती थी। रिश्ते में कड़वाहट हो तो बड़े बुजुर्ग समाज और धर्म का हवाला देकर उसी बंधन को निभाने की सलाह देते थे। लेकिन वक्त हमेशा समान नहीं रहता। ये महौल अब भी देखने को मिलता है, लेकिन पहले से कम। बदलते दौर में शादी जन्मों का बंधन हो जरूरी नहीं है। रिश्ते के बोझ को ढोते रहने की सोच आज तेजी से बदल रही है। जानकारों का मानना है कि पहली शादी से दूसरी शादी का बंधन न सिर्फ ज्यादा मजबूत होता है बल्कि उसमें मधुरता भी ज्यादा होती है। ऐसा मुमकिन है क्यूंकि पहली से दूसरी शादी के बीच वक्त, तर्जुबा, अहसास तमाम ऐसी चीजें हैं जो बदल जाती हैं। और आपका रिश्ता न कामियाब से कामियाब बन जाता है।
क्यंूकि होती है सही शुरुआत
यकीनन दूसरी शादी में पहली शादी की तरह डेकोरेशन, इंतजामात नहीं होते पर फिर भी यह ज्यादा खुशी देती है। ऐसा इसलिए क्यूंकि यह लम्बे समय के बाद एक सही शुरुआत होती है। दूसरी पारी की शुरुआत करते वक्त कपल न तो डेकोरेशन पर ध्यान देते हैं और नहीं इंतजाम पर उनके पूरा ध्यान होता है तो उस मौके पर जो उनकी जिंदगी की सही और खुशनुमा शुरुआत है।
बढ़ जाता है उम्र और तर्जुबा
शादी की पारी दोबारा शुरू करते वक्त यकीनन आप खुद को ज्यादा परिपक्वय पाते हैं। ऐसा कहना इसलिए जायज हो जाता है कि वर्तमान समय में आपकी उम्र, सोच, तर्जुबा, नजरिया सभी में बढ़ोत्तरी हो चुकी होता है। लिहाजा, मुमकिन है आपकी अलहड़पन या नसमझी के निशां इस नए रिश्ते पर नजर नहीं आएंगे। और आप बेहतर जिंदगी सुझबूझ के साथ जीने की ओर आप कदम बढ़ा पाएंगेे।
चुनाव के लिए नहीं होता दबाव
शादी की उम्र हो रही है, शादी कब करोगे? शादी हर शख्स की जिंदगी में बेहद जरूरी है। उसके होने और सही समय पर होने का हर शख्स पर दबाव होता। पर, दूसरी शादी के मामले में ऐसा नहीं होता। वक्त का कोई सवाल नहीं होता। आपके पास पूरा वक्त होता अपने जीवन साथी को समझने, जानने, पहचनाने और उसे चुनने का। या यूं कहें आप जिंदगी के उस मोड़ पर होते हैं जहां आप खुद को भावनाओं, परिस्थितियों की कसौटी पर कसा महसूस करते हैं। आपके पास पूरा वक्त होता है अपने जिंदगी के उतार-चढ़ावों को समझने और सही चुनाव करने का। सीधे शब्दों में कहें तो बीतें तर्जुबों से अपने साथी के चुनाव में गलती करने की सम्भावनाओं में कमी आ जाती है।
कोशिश करना याद रहता है
एक रिश्ते में दरार आने और तलाक होने की प्रक्रिया यकीनन लम्बी, दर्द भरी और परेशान करने वाली होती है। एक लम्बा वक्त गुजर जाता है उन तमाम यादों से बाहर आने में। कोई भी उस वक्त दोबारा नहीं जीना चाहता। ऐसे में कपल हर सम्भव कोशिश करते हैं कि उनकी जिंदगी की गाड़ी एक सहज रास्ते पर चलती रहे। वह बीते रिश्तें में हुई गलतियों को भूल कर भी नहीं दोहराते। बल्कि उन्हें अपने बीतें तर्जुबों से वह उन गलतियों को होने ही नहीं देते। अगर कभी ऐसा होता हुआ समझ में आए भी तो वह कोशिश कर उसे सम्भालने में यकीन करते हैं।
जिम्मेदारी होती है आपकी
आप जब भी दूसरी शादी करते हैं तो पहली में कुछ न कुछ ऐसा रहा होता है जिसके चलते आपने इतना बड़ा निर्णय लिया। ऐसे में आपकी जिम्मेदारी बढ़ जाती है। आपकी जिम्मेदारी होती है कि आप अपनी दोनों पारियों को आपस में मिलाएंगे नहीं। आपको पहली से दूसरी शादी की तुलना करना बंद करना होगा। न तो दो शख्स एक से होते हैं और न ही दो मौके। फर्ज कीजिए कि आप अपनी पहली शादी से इसलिए बाहर आए कि आपका पाटर्नर आपके साथ लॉयल नहीं था तो जरूरी नहीं कि आप अपने दूसरे पाटर्नर को भी उसी तरह जज करें। आपको दोनों की परिस्थितियों, स्वभाव और वर्तमान मौके के हिसाब से खुद के व्यवहार में नियंत्रण रखना होगा।
कृतज्ञता बनाती है मजबूत
दूसरी शादी में जो सबसे मजबूत चीज होती है वह होता है आभार। पहली शादी किसी भी कारण से टूटी हो पर जब आप दोबारा किसी से जुड़ते हैं तो वह दूसरा मौका होता है। और ज्यादातर कपल इसके लिए एक दूसरे के लिए आभार का भाव रखते हैं। और जाने-अनजाने यह अहसास इस रिश्तें को और भी मजबूत बना जाता है।
खुद को करना होता है तैयार
हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। वैसे ही दूसरी शादी का एक मुश्किल पहलू भी होते हैं। जैसे अतिरिक्त खर्च, बच्चों की कस्टडी, मिश्रित परिवार वगैहरा। उसके लिए आपको पहले से मानसिक रूप से तैयार करना होता है। अगर आप ऐसा कर पाते हैं तो दूसरी शादी आपके लिए बेहद सहज हो जाती है।
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