जी हां, ये लेख है उन महिलाओं के लिए है जो की पहली बार मां बनी हैं या बनने जा रही हैं। उनके ज़हन में एक प्रश्न रहता है कि कैसे करूं बच्चे की देखभाल, कहीं मुझसे कोई भूल ना हो जाये, तो ये लेख उन नई मांओं की मदद के लिए हाजिर है कुछ महत्वपूर्ण जानकारि और सुझावों के साथ-
Author Archives: Suraj Tiwariji
मां बनने की राह में आने वाले चुनौतियों का डटकर सामना करें
मां बनना दुनिया का सबसे सुखद अहसास है। प्रेग्नेंसी के नौ महीने का ये सफर कई महिलाओं के लिए बड़ा ही चुनौतीपूर्ण होता है, क्योंकि इस दौरान कई तरह के शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक बदलाव महसूस होते हैं, जिनका असर रिश्तों पर भी पड़ता है।
ताकि नौ महीने का सफ़र हो आसान
प्रेग्नेंट होना किसी महिला के लिए खुशी की बात होती है और इसमें आने वाली तकलीफों को सहज रूप से महसूस करके घरेलू नुस्खों से दूर कर सकते हैं और प्रेग्नेंसी को एन्जॉय कर सकते हैं। यहां एक बात ध्यान रखने वाली है कि अपनी डॉक्टर से नियमित जांच करवाना भी जरूरी है।
ब्यूटी पार्लर शरणम् गच्छामि…!! – गृहलक्ष्मी कहानियां
पहले महिलायें घर में चूल्हा-चौका देखती थी आज उन्हें खुद ऐसा बनना होता है कि वह दूसरो को अपने लुक से चौंका दे। पहले उसे अबला माना जाता था लेकिन अब उसे बला की खूबसूरत कहलाने में यकीन है।
ब्रेस्ट कैंसर की जांच और बचाव के तरीके
देश में महिलाओं में कैंसर के खतरे लगातार बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में ब्रेस्ट कैंसर के इलाज से जुड़ी सभी जानकारी दे रही हैं- डॉक्टर पूजा दीवान।
भवन की वास्तु का स्वास्थ्य से सम्बन्ध
हम भवन बनाते हैं अपनी सुख-समृद्घि के लिए, लेकिन कई बार हमसे वास्तु में अनदेखी हो जाती है, जिसका हमारे काम-धंधे से लेकर स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है। आइए जानें इससे बचने के उपाय।
जब मॉनसून में सताए मच्छर
बारिश जहां गर्मी से राहत दिलाती है वहीं दूसरी ओर अपने साथ ही कई बीमारियां भी लेकर आती है, जिसमें मच्छरों के प्रकोप से होने वाले रोग सबसे ज्यादा होते हैं। ऐसे में कैसे बचें मच्छरों के प्रकोप से जानते हैं लेख से।
जीवन की सच्चाई को समझना – मुनिश्री तरुणसागरजी
जीवन में सच्चाई दो प्रकार की होती है। एक व्यवहारिक सच्चाई और दूसरी वास्तविक सच्चाई। बेटा मेरा है, पत्नी मेरी है यह व्यवहारिक सच्चाई है वास्तविक सच्चाई तो यह है कि तुम्हारी आत्मा को छोड़कर तुम्हारा कोई नहीं है।
हमारे दांतों का जीवन है हमारे हाथ मे
हमारे खान-पान में आये बदलावों ने सबसे ज्यादा दांतों को प्रभावित किया है। इसलिए हमारे दांत संबंधी रोगों में भी वृद्धि हुई है।
घातक है निराशावादी होना?
यदि हमारी मानसिक स्थिति रंगीन है तो यह संसार हमें रंगीन ही दिखाई देगा। यदि हमने मन पर निराशा का काला लबादा डाल रखा है तो संसार भी हमें निराशा से घिरा हुआ ही दिखाई देगा।
