पहली बार मां बनने का अहसास तो अलग होता ही है लेकिन उसके साथ कई मांओं को कई छोटी-छोटी बातों का भी ध्यान रखना होता है, जैसे कि बच्चे को लेते वक्त उसके हाथ व कपड़े साफ हों, ताकि बच्चे को संक्रमण ना हो। बच्चे को उठाते वक्त इस बात का ध्यान रखें कि बच्चे की गर्दन की मांसपेशियां बहुत कमजोर होती हैैं, इसलिए शिशुओं को बहुत ही नाजुक हाथों से उठायें। बच्चे को गोद में लेकर जोर-जोर से हिलाना सही नहीं होता है। छोटे बच्चे को जोर से हिलाने पर उसके मस्तिष्क की नसें कमजोर हो सकती हैं। बच्चे को जगाने के लिए उसके तलुवों में धीरे-धीरे गुदगुदी करें। इससे बच्चा जागृत हो जाएगा। छोटे बच्चे रफ प्ले के लिए तैयार नहीं होते। उनको गोद में बैठाना व हवा में उछालना भी सही नहीं होता है।

  • बच्चे को साफ मुलायम व मौसम के अनुकूल ही कपड़े पहनायें, साथ ही नहलाते समय कैमिकल रहित साबुन का प्रयोग करें व साफ कपड़े से पोंछने के बाद सावधानी से कपड़े पहनायें। बच्चे की गर्दन, बगल, जांघों में पाउडर लगाएं। नहाने से पूर्व हल्के हाथों से डॉक्टर की सलाह लेकर मालिश भी कर सकती हैं। घर पर बच्चे के लिए कपड़े की नेपी का प्रयोग करें, जिसको गंदा होने पर धोकर साफ कर लें। बाहर जाते वक्त डायपर का प्रयोग करें, जिसको गंदा होने पर फेंक दें। डायपर बच्चे की वजन व उम्र के हिसाब से खरीदें व डायपर पहनाने से पहले थोड़ा पाउडर लगा दें। डायपर निकालते वक्त बच्चे की जननांग को अच्छे से धो कर साफ करें ताकि संक्रमण होने का खतरा ना हो। डायपर उतारने के बाद बच्चे की जांघों व टांगों पर अच्छी क्रीम से मसाज करें ताकि त्वचा साफ व मुलायम रहे।
  • नई मांओं के लिए जरूरी है कि वो बच्चे को जन्म देने के बाद अपना पहला दूध अपने बच्चे को जरूर पिलायें, यह बच्चे को बहुत सारी बीमारियों से बचाते हैं। इसलिए अपना पहला दूध बच्चे को जरूर पिलाएं।
  • बच्चे को दूध पिलाने के लिए कोई खास नियम नहीं है। बच्चे के रोने का इंतजार ना करें बल्कि कुछ समय अंतराल के बाद स्वयं ही जागते बच्चे को या सोते बच्चे को जगाकर दूध पिलायें। दिन में यही नियम रखें पर रात को बच्चे को बार-बार जगाकर दूध पिलाने की जरूरत नहीं होती है।
  • चार माह के बच्चे को दूध ही देना चाहिए। चार माह होने के बाद बच्चे को दाल व चावल का पानी डॉक्टर से सलाह करके देना चाहिए।
  • ग्राइप वाटर व डाबर जन्म घुट्टी भी छोटे बच्चों के लिए लाभकारी होती है। इससे बच्चे की पाचन शक्ति बढ़ती है, पर ये भी डॉक्टर से सलाह करके ही दें।

टीकाकरण

टीकाकरण कराना बच्चे के लिए बहुत जरूरी होता है। अक्सर बच्चे के जन्म लेते ही टीकाकरण प्रक्रिया डॉक्टर शुरू कर देते हैं और उसको एक कार्ड में दर्ज भी कर देते हैं। इसके साथ ही इस कार्ड में बच्चे की सुरक्षा से जुड़े अन्य टीकों की जानकारी व किस माह, उम्र में उनको लगवाना है ये भी अंकित होता है। साथ ही ये 5 वैक्सीन- हेपेटाइटिस, रोटावायरस, पोलियो, हेपेटाइटिस ए, वैरिसेला टेटनेस वो टीके हैं जो हर बच्चे को देना बहुत जरूरी है, साथ ही 1 से 15 साल तक के बच्चों को भी डॉक्टर कुछ विशेष जीवनरक्षक टीकों को लगाने की सलाह देते हैं, जिनका हर माता-पिता को जानकारी होनी ही चाहिए व समय-समय पर उनको लगवाना भी चाहिए।

नामकरण

बच्चे का नाम उसके पूरे व्यक्तित्व को दिखाता है। यद्यपि हर जाति में नामकरण की एक रीति होती है तो उसको आप अपनाएं, परंतु नाम रखते वक्त इस बात का विशेष ख्याल रखें कि बच्चे का नाम सुंदर व अच्छे अर्थ वाला ही हो, लोगों की देखा-देखी कभी भी अर्थहीन व फूहड़ लगाने वाले नाम ना रखें, क्योंकि नाम कई बार बच्चे के मजाक का कारण भी बन जाते हैं, जिसके कारण आगे चलकर बच्चे का आत्मविश्वास भी टूट सकता है, तो इस बात का ख्याल रखें बच्चे का नाम प्यारा, सार्थक व अर्थयुक्त ही रखें, जो उसका मनोबल बढ़ाए।

शिशु से बात करें व उसकी à¤œà¤°à¥‚रत समझें

मां बच्चे के सबसे करीब होती है, इसलिए हर मां को चाहिए कि वो नवजात शिशु से बात करने का प्रयास करे, क्योंकि नवजात बच्चा भी सुनने व समझने की क्षमता जन्म से रखता है, साथ ही वो अपनी भाषा व बोली, आवाजों के माध्यम से जवाब व सवाल करने की क्षमता भी रखता है। बशर्ते उनको कोई समझ सके। ये कार्य एक मां से अच्छी कोई नहीं कर सकता है, इसलिए नई-नई बनी मां को चाहिए कि वो नवजात शिशु से बातें करे, उसे समझे और उसकी जरूरतों को पूरा करे।

एक और जरूरी टिप्स 

मां बनने के बाद जब बच्चे की जिम्मेदारियां बढ़ती है तो कुछ मांएं बहुत अधिक घबरा व ऊबने लगती हैं और कई बार तो मानसिक तनाव में इतना अधिक चली जाती हैं कि डिप्रेशन का शिकार भी हो जाती हैं, तो इस स्थिति से बचें। मां बनना और बच्चे की खुद देखभाल एक सौभाग्य का अवसर है, वो इस अवसर का भरपूर फायदा उठायें। बच्चे की देखभाल के साथ-साथ अपना भी ख्याल रखें, योग करें, सौंदर्य प्रसाधन का प्रयोग करना व पार्लर जाना भी ना भूलें, खुद को तरोताजा रखें। अगर आप वर्किंग महिला à¤¹à¥ˆ तो स्थिति अनुसार उन कार्यों को भी करना शुरू करें और आप इस बात को अपने ज़हन में रखें कि- भगवान हर जगह इंसान की जरूरतों को पूरा करने के लिए नहीं जा सकता, इसलिए उसने मां की रचना की ताकि मां के साये में इंसान सुरक्षित रह सके। तो आप मां हैं इस बात पर अपने बच्चे पर अपने मातृत्व पर गर्व करें व भरोसा रखें कि आप अपने बच्चे के लिए सही हैं। इसके लिए अपनी सेहत का ख्याल रखें।

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