Hindi Poem: अब दोस्ती होती नहीं जनाब,गांठी जाती है।प्रोफेशनल होकर रिश्ते बनाए जाते हैं।प्रैक्टिकल होकर रिश्ते निभाए जाते हैं।जितनी जिसकी औकात, उतनी तवज्जो दी जाती है।गर्दिश में हो अगर हालात, सगे रिश्तेदार भूल जाते हैं।पारिवारिक कार्यक्रम में पद और प्रतिष्ठा के आधार परमेहमान अधिक नजर आते हैं।अब रिश्ते नाते मतलब देखकर बनाए जाते हैं।दिखाते हैं […]
Author Archives: प्राची अग्रवाल
अक्सर में चुप हो जाती हूँ-गृहलक्ष्मी की कविता
Hindi Poem: रोज सब्जी मैं अपनी पसंद की ही बनाती हूँ,खाने में मेरी पसंद चलती ही कब है ऐसा कहकर अक्सर मैं चुप हो जाती हूँ।कपड़े में खूब बारीकी से छाँटकर लाती हूँ,मेरे पास पहनने के लिए कपड़े ही कहा है ऐसा कहकर अक्सर में चुप हो जाती हूं।ज्वेलरी भी मैं तुमको मनाकर खरीद ही […]
स्वेटर बुनती स्त्रियाँ-गृहलक्ष्मी की कविता
Hindi Poem: स्वेटर बुनती स्त्रियाँ, खाली स्वेटर ही तो नहीं बुनती।वो बुनती है प्रेम के तार, उन के धागों से। कभी बनाती हैं, छोटे-छोटे टोपे और मोजे।घर में आने वाली नई पीढ़ी के लिए।जब वह बनती है दादी नानी,तब उनका आशीर्वाद ही तो होता है यह। घर में बड़े बूढ़ों के लिए भी स्वेटर बनती […]
पड़ोसी धर्म-गृहलक्ष्मी की लघु कहानी
Hindi Short Story: शादियों का सीजन शुरू होने वाला है। मोहल्ले में भी शादी है इसलिए सभी घरों में थोड़ी सी चहल-पहल है शादी को लेकर। महिलाएं भी उत्साहित है। हल्दी के लिए पीले और मेहंदी के लिए हरे कपड़ों का चुनाव कर रही हैं। अब नया चलन हो गया है। शादी में भी अड़ोसी […]
दहलीज़-गृहलक्ष्मी की कविता
Hindi Poem: मायका एक लड़की के लिए वह दहलीज़ है,जहाँ छूट जाते हैं, उसके कुछ सपने, कुछ अपने।मायका मन से बंधी एक डोर है, हर एक लड़की के लिए,जहाँ जिया होता है,उसने अपना बचपन, खेलें गुड्डे गुड़ियों के खेल।और वही गुड़ियां जब बड़ी हो जाती हैं तो छूट जाती है,माँ की आंचल से बंधी हुई […]
फ्री की सलाह-गृहलक्ष्मी की लघु कहानी
Short Story: हेमंत जी अपना घर बड़े मन से बनवा रहे हैं। कोई कसर न छोड़ी, मकान बनवाने में। पूरी जिंदगी का ख्वाब जो पूरा हो रहा था उनका। बचपन से ही पुराने मकान में रहते हुए जिंदगी गुजर गई। अब अपने घर का सपना पूरा हो रहा था। सारा दिन मकान बनवाने की भागा […]
दरार-गृहलक्ष्मी की लघु कहानी
Hindi Short Story: गांव का बड़ा सा घर जिसे चार हिस्सो में अपने चारों बेटों के लिए दादा ससुर ने बनवाया और संयुक्त रूप से बड़े-बड़े चौक छोड़े गए जिसके एक हिस्से में बूढे ताऊ—ताई जी अकेले रहते हैं। पापा और चाचा ससुर जी गांव छोड़कर शहर में आकर बस गए थे। घर के बाहरी […]
बचपन की गलियां-जब मैं छोटा बच्चा था
Childhood Story: कभी-कभी मन बचपन की गलियों में घूम आता है। याद आ जाती हैं कभी-कभी अपनी शैतानियों की। जब आजकल के बच्चों को देखते हैं मोबाइल की दुनियाँ में जकड़े हुए।बचपन के दौर में गर्मियों की छुट्टियों में हम सब भाई बहन खूब धमा चौकड़ी मचाते थे। पूरे दिन लूडो, कैरम और ताश की […]
खनकती कांच की चूड़ियाँ-गृहलक्ष्मी की लघु कहानी
कमलेश जी को सजने सवंरने का बहुत शौक रहा, शुरू से ही। हाथ भर-भर के चूड़ियाँ, भारी सी पाजेब और पैरों में बड़ी-बड़ी बिछिया उनको बहुत भाती थी। अब तो उम्र हो गई लेकिन जब ससुराल की पूरी गृहस्थी संभालती थी तब भी सजने सवंरने का समय निकाल ही लेती।तीज त्योहार पर तो ऐसे चहकती […]
शिव शक्ति की महिमा-गृहलक्ष्मी की कविता
Shiv Hindi Poem: शिव आदि है, अनंत है, सर्वज्ञ है, सर्वशक्तिमान है।जिनके बिना सृष्टि का ना कोई आधार है।कण-कण में समाया हुआ है महेश्वर।संपूर्ण विश्व को बचाने के लिए शिव ने पान किया हलाहल।शक्ति जिनकी अर्धांगिनी, संपूर्ण जग में मांँ विराजती।शिव ने वाम अंग में दिया शक्ति को स्थान।भार्या की महत्ता को दे स्थान,बन गए […]
