मौका परस्त लोग-गृहलक्ष्मी की कविता
Mauka Parasht Log

Hindi Poem: अब दोस्ती होती नहीं जनाब,गांठी जाती है।
प्रोफेशनल होकर रिश्ते बनाए जाते हैं।
प्रैक्टिकल होकर रिश्ते निभाए जाते हैं।
जितनी जिसकी औकात, उतनी तवज्जो दी जाती है।
गर्दिश में हो अगर हालात, सगे रिश्तेदार भूल जाते हैं।
पारिवारिक कार्यक्रम में पद और प्रतिष्ठा के आधार पर
मेहमान अधिक नजर आते हैं।
अब रिश्ते नाते मतलब देखकर बनाए जाते हैं।
दिखाते हैं जो सच्चाई का जितना अधिक आईना।
उतने ही वह लोग छिटकाए जाते हैं।
चापलूस मौका परस्त लोग हर जगह आगे नजर आते हैं

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