दशग्रीव के बिना राम का अस्तित्व नहीं है। एक ओर प्रकांड ब्राह्मण था तो दूसरी ओर पराक्रमी योद्धा। एक पिता निष्ठ था और दूसरा पत्नी निष्ठ। एक ज्योतिष और जड़ी-बूटियों में पारंगत था तो दूसरा अस्त्र-शस्त्रों के संचालन में निपुण। एक मोक्ष का प्रार्थी था और दूसरा मोक्ष दास्त्री। एक पिता था तो दूसरा पति। […]
Author Archives: डॉ. संदीप कुमार शर्मा
राज्यवार राम मंदिर – मेरे आराध्य राम
भारत के हर प्रदेश में राम मंदिर है। हर मंदिर में राम और सीता की प्रतिमा है। अनेक राम मंदिर प्राचीन है। उत्तर और दक्षिण भारत में राम मंदिर अधिक हैं। इससे स्पष्ट है कि राम भक्त सारे देश में फैले हुए हैं। विदेशों में भी राम भक्त एवं राम मंदिर हैं। जिनका उल्लेख पहले […]
आधुनिक राम मंदिर – मेरे आराध्य राम
प्रधानमंत्री राजीव गान्धी ने वर्ष 1989 में विश्व हिंदू परिषद को शिलान्यास की अनुमति दी। प्रारम्भ में केंद्र और राज्य सरकार विवादित स्थल के बाहर शिलान्यास पर सहमत हुई थीं। 9 नवम्बर, 1989 को विश्व हिंदू परिषद के नेताओं और साधुओं के एक समूह ने विवादित भूमि पर 7 घन फुट गड्ढे खोदकर आधारशिला रखी। […]
पहला राम मंदिर – मेरे आराध्य राम
ऐसा माना जाता है कि राम के पुत्र कुश ने उजड़ी हुई अयोध्या का पुनर्निर्माण किया इसके न तो पुरातात्विक साक्ष्य मिलते हैं और न अवशेष। इसका महत्वपूर्ण कारण यह है कि अभी तक इतिहासकार और पुरातत्वविद त्रेतायुग का काल निर्धारित कर सके हैं। न लंका युद्ध की तिथियां सुनिश्चित हो सकीं हैं और न […]
राम मदिंर : काल खडं – मेरे आराध्य राम
अथर्ववेद, स्कंद पुराण और वाल्मीकि कृत रामायण में अयोध्या का विस्तृत वर्णन है। इसके विषय में आप पिछले अध्यायों में पढ़ चुके हैं। अयोध्या वर्तमान में सरयू नदी के तट पर स्थित घाटों और मंदिरों की प्रसिद्ध धार्मिक नगरी है। अयोध्या में सरयू नदी के किनारे 14 प्रमुख घाट हैं। इनमें गुप्तद्वार घाट, कैकेयी घाट, […]
रामायण का नाम – मेरे आराध्य राम
वाल्मीकि कृत रामायण को मौलिक ग्रंथ माना जाता है। इतिहासकारों और विद्वानों वाल्मीकि जी के जीवन काल पर एक मत नहीं है। अनेक विद्वान उन्हें रामायण कालीन स्वीकार करते हैं तो अनेक वाल्मीकि जी का अस्तित्व ही स्वीकार नहीं करते। मतांतर से मुक्त हो कर हम अपना अध्ययन महर्षि वाल्मीकि और रामायण ग्रंथ पर करेंगे। […]
वनवास : वरदान या मोक्ष का प्रश्न – मेरे आराध्य राम
वाल्मीकि कृत रामायण में अनेक प्रश्न अनुत्तरित हैं। उनके विषय में अलग से शोध कार्य होना चाहिए। इस संदर्भ में यहां हम दो प्रश्नों पर विचार विमर्श करेंगे। पहला – वनवास को चौदह वर्ष तक क्यों सीमित किया गया? दूसरा – राम ने एक ही वन में चौदह वर्ष व्यतीत क्यों नहीं किए? इन दो […]
अयोध्या को किस रूप में जाना जाता है – मेरे आराध्य राम
अथर्ववेद में अयोध्या को स्वर्ग के बराबर बताया गया है। अथर्ववेद (10/2/31) में कहा गया है ‘अष्टचक्रा नवद्वारा देवानां पूरयोध्या’ तस्यां हिरण्मयः कोशः स्वर्गो ज्योतिषावृतः।। अर्थात ‘आठ चक्र और नौ द्वारों वाली अयोध्या देवताओं की नगरी है’। वाल्मीकि कृत रामायण के अनुसार यह नगर सूर्य वंश की राजधानी था। अयोध्या की स्थापना मनु ने की […]
वनवास मार्ग – मेरे आराध्य राम
वाल्मीकि कृत रामायण में एक स्थान पर कथानक में आश्चर्यजनक मोड़ आता है जब राजा दशरथ ने राम को युवराज बनाने की घोषणा की। संपूर्ण अयोध्या में यह समाचार खुशियों की सौगात लेकर आया लेकिन जब तक यह घोषणा महोत्सव में बदलती उससे पहले ही माता कैकेई ने कोपभवन में पहुंच गई। सभी प्रयास विफल […]
महर्षि विश्वामित्र आश्रम मार्ग – मेरे आराध्य राम
महर्षि विश्वामित्र आश्रम की सुरक्षार्थ महाराज दशरथ से राम को लेने अयोध्या आए। उस समय जो वाद-विवाद हुआ उसकी व्याख्या यहां मुझे अनुचित लगती है क्योंकि वह सर्वविदित है। अनावश्यक विस्तार से बचने हेतु हम सीधे अयोध्या से महर्षि विश्वामित्र आश्रम मार्ग का अध्ययन करेंगे। भैरव मंदिर, आजमगढ़ अपने गुरु महर्षि विश्वामित्र के साथ युवा […]
