Hindi Story: “सुनो! तुम सजती रहना! आँखों के काजल में,होठों की लाली में,झुकती निगाहों में,कपोलों के हया में,वह जरूर मुस्कुरायेेंगे। तुम उनकी यादों में लिपटी खुश तो रह पाओगी।” “पता नहीं दी! मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा कि वह चले गये हैं।” “मत करो यकीन उस बात का जिस बात की गवाही आत्मा […]
Author Archives: आर्या झा
अनकही-गृहलक्ष्मी की कहानी
अनकही-“देख आ गया ना!” एक घंटे के इंतजार के बाद समीर का मुस्कुराकर ये कहना भी इतना खूबसूरत था जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। “हाँ आ गये” कहकर हँस दिया। वक़्त थम सा गया था। मानो कानों में एक साथ कई पैंजनिया झंकृत हो उठीं हो। “काश पहले आए होते!” “पहले बुलाया […]
‘बदलते रिश्ते’—गृहलक्ष्मी की कहानियां
बदलते रिश्ते-“सारा सामान समेट कर क्यों जा रही हो?” सरला ने बेटी की आंखों में देखते हुए बड़ी ही सरलता से पूछ लिया। “मुझे पता था कि आप ये सवाल करेंगी!”सोनिया ने बड़ी ही बेपरवाही से कहा और अपने सामान रखने लगी तो सरला से रहा न गया और वह बिफर पड़ी।“नौकरी लगी है शादी […]
सृजन-गृहलक्ष्मी की कहानियां
सृजन-विदिशा दी अपने माता -पिता के विवाह के ग्यारह वर्षों के बाद जन्मीं थी। वह एक जाने माने ख़ानदान की बड़ी बेटी थी| कई धर्मस्थलों में माथा टेकने के बाद वह अलभ लाभ के रूप में आयीं थीं| उनमें उनके पिता की जान बसती थी| उनके जन्म के उपरांत तो और भी भाई बहन आये […]
वही काटेंगे जो बोएंगे—गृहलक्ष्मी की कहानियां
वही काटेंगे जो बोएंगे- “राधेय…राधेय!”“बाबा! आपने हमें पुकारा।”“हाँ बेटी! पर तू ससुराल से कब आई?”“अभी-अभी! आप सबों के बिना मुुझे कहाँ अच्छा लगता है? बच्चों की छुट्टियाँ हुई तो आ गई आपकी सेवा करने ।”“ना-ना बिटिया…कन्यादान कर दिया है तुम्हारा। हमारी सेवा के लिए बहुएँ हैं ना! एक -दो रोज रूक कर अपने घर लौट […]
पासा पलट गया-गृहलक्ष्मी की कहानियां
“अरे राशि बेटा! बड़ा अच्छा किया जो सरप्राइज दिया…बहु! राशि आई है…जरा चाय -नाश्ता लगाना।” “जी मम्मी!अभी लगाती हूँ।” ननद को देखते ही नीता के मन में गुदगुदी सी होने लगी थी। अच्छा हुआ जो कल रात विनित से बात हो गई कि दीदी के रहने पर मायके जा सकती हूँ। यही सही वक़्त है […]
प्रेम से बड़ी कोई संवेदना नहीं—गृहलक्ष्मी की कहानियां
गृहलक्ष्मी की कहानियां: रुक्मिणी खिड़की से रीति को जाती हुई देख रही थी। कितनी जल्दी उसकी बिटिया सयानी हो गयी या यूँ कहें कि बचपन से ही गंभीरता की ऐसी चादर ओढ़ी कि सारी चंचलता छू-मंतर हो गई। मात्र तीन बरस की थी जब विनय ने उसे तलाक़ दे दिया था। एक गलत फ़ैसले ने […]
