Farewell Party
Farewell Party

Motivation Story in Hindi: फरवरी का आखिरी हफ्ता चल रहा था, सभी स्कूलों में पूरी पढ़ाई खत्म हो चुकी थी। बोर्ड की डेट शीट भी आ चुकी थी,प्रैक्टिकल भी लगभग खत्म हो चुके थे। बच्चे एग्जाम के दबाव में थे कहीं डर भी था तो कहीं सुनहरे भविष्य के सपने भी थे। स्कूल छूट रहा था पर इस स्कूल को छोड़ने से पहले  दोस्तों के साथ बिताए उन हसीन पलों को वे फिर से जी लेना चाहते थे। आज… आज स्कूल में फेयरवेल पार्टी थी सभी रंग-बिरंगे कपड़ों में कितने खूबसूरत लग रहे थे। तेल चुपड़े बालों में हमेशा दो चोटियों और सलवार-कमीज में दिखने वाली लड़कियों ने बालों को खुला छोड़ रखा था, ऐसा लग रहा था मानो खुद की तरह वो उन्हें भी गिरहों से मुक्त कर आई हों।रंगीन डिजाइनर साड़ियों को लपेटे वो लड़कियाँ कितनी सुंदर लग रही थी। लड़के भी आज कहाँ पीछे थे,वैसे भी आज तो उनका ड्रेस कोड था कोट या फिर सूट। हमेशा स्कूल यूनिफॉर्म में दिखने वाले वे लड़के आज कितने अलग रहे थे,रितेश वो तो पहचानने में भी नहीं आ रहा था। हमेशा कोहनी तक मोड़ी हुई बाँहें,कमीज का सबसे ऊपर का बटन खुला हुआ और ढीली सी बंधी टाई,पेंट की पांयचें नोकदार और धूल से भरे हुए जूते और वो बिखरे हुए स्टाइलिश बाल उस पॉप सिंगर की स्टाइल आजकल स्कूल जाने वाले लड़कों के बीच कितनी प्रसिद्ध थी।हर दूसरा लड़का बस वैसे ही बाल कटवाता था।किसी को कहते सुना था ,नाऊ से बस इतना ही कहना होता,” सेंट जेरी वाला कट चाहिए।”और बस…

आज शिक्षक और शिक्षिकाओं को खास हिदायत दी गई थी, वे उधर हॉल की तरफ जायेंगे नहीं पर बच्चों पर नजर बराबर रखेंगे। हॉल में तेज बीट पर गाने बज रहे थे,लड़के- लड़कियों की आवाज पूरे हॉल में गूंज रही थी। किसी के हाथ में सॉफ्ट ड्रिंक थे तो किसी के हाथ में स्नैक्स… सब फोटो खिंचवाने में व्यस्त थे।तभी प्रिंसिपल मैम ने कमरे में प्रवेश किया।हॉल में एक।पल के लिए सन्नाटा पसर गया।

” गुड इवनिंग स्टूडेंट्स!”

“अमा यार!अब ये कहाँ से टपक गई, सारा मूड खराब हो गया।”

किसी के फुसफुसाने की आवाज आई,

” असेम्बली में रोज बोलने की आदत है,सोचा होगा ये बच्चे तो अब जा ही रहे हैं नई खेप आने में अभी वक्त है। जाते-जाते बाकी बचा ज्ञान इन्हें बाँट दे।”

भीड़ में हँसी के फव्वारे छूट गए,प्रिंसिपल मैम स्टेज पर चढ़ गई।जहाँ अभी कुछ देर पहले पार्थ ब्रेक डांस करके अपने दोस्तों को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा था।मैम ने माइक लिया और बोलना शुरू किया।

“आज आप सभी की इस स्कूल से विदाई है।स्कूल वो स्थान जहाँ आपको सिर्फ शिक्षा ही नहीं दी जाती बल्कि आगामी भविष्य के लिए तैयार भी किया जाता है। इस स्कूल से विदा होने के बाद एक सुनहरा भविष्य आपका इंतजार कर रहा है पर कहते हैं नए रिश्ते से जुड़ना जहाँ खुशी देता है वही पीछे पुराने दोस्तों और संघर्ष के दिनों में आपके लिए निःस्वार्थ भाव से खड़े उन शिक्षकों को भूल जाना भी उचित नहीं है क्योंकि यह वह रिश्ते हैं जो आपकी खुशी से खुश होते हैं आपकी सफलता से गर्व भी महसूस करते हैं। यह रिश्ते खून के तो नहीं होते पर खून के रिश्तो से कम भी नहीं होते।”

“यार!ये चश्मिश सालों-साल हमें बोर करती रही आज भी… कब तक बोर करेंगी।आज तो जान छोड़ दें।”

निखिल ने धीरे से आलोक के कान में फुसफुसाया,

“निखिल धीरे बोल, वो मोटी हमारी तरफ ही देख रही है।”

जरा सी आवाज पर उखड़ जाने वाली प्रिंसिपल मैम आज न जाने क्यों हर बात को अनदेखा कर रही थी।तभी भीड़ में से आवाज आई,

“मैम! आज तो छोड़ दीजिए।”

पर प्रिंसिपल मैम वैसे ही बोलती रही

“विद्यालय एक वृक्ष के समान है,जहाँ पर विद्यार्थी रूपी पक्षी बसेरा करते हैं।जब उनके पंख आते हैं तब उन पंखों को शिक्षा के माध्यम से वो मजबूती प्रदान करता है और इस भरे संसार में उड़ने के लिए तैयार करता है पर कभी आपने यह सोचा है। विद्यार्थी रूपी पक्षी एक दिन उस वृक्ष रूपी स्कूल को छोड़कर उस विशाल दुनिया उस विशाल आकाश में उड़ जाता है और पीछे छोड़ जाता है उस पेड़ को… विद्यालय रूपी वृक्ष अपने डालियों में बसेरा करने वाले पक्षियों को सिर्फ सहारा नहीं देता बल्कि उन्हें एक बेहतर भविष्य के लिए तैयार कर उनके जीवन को सुरक्षा भी प्रदान करता है। ये सिलसिला यहीं खत्म नहीं होता।फिर एक दिन नये पक्षी रूपी विद्यार्थी आते हैं नये सपनों,आशाओं और आकांक्षाओं के साथ… विद्यालय और शिक्षक फिर जुट जाते हैं उनके उन सपनों को बुनने में उनकी मदद करने।”

तभी भीड़ में से किसी ने तीर फेंका

“कौन से पक्षी मैम साइबेरियन…वो भी तो बेचारे एक जगह कहाँ टिकते हैं?”

प्रिंसिपल मैम वैसे ही बोलती रही,

“मैं जानती हूँ, वर्षों से इस विद्यालय में मुझे मोटी मैम चश्मिश के नाम से दबे स्वर में पुकारा जाता रहा है।मेरी तरह और भी ऐसे शिक्षक हैं जिन्हें मोटा साँड़, काला नाग,छिपकली और भालू जैसे कोड वर्ड से संबोधित किया जाता है पर क्या आपने कभी सोचा है,जिस तरह आपके माता-पिता और परिवार का नाम आपके नाम के साथ जुड़ा रहता है।ठीक उसी तरह आप जब इस स्कूल के चहारदीवारी से बाहर भी होते हैं तब भी आपके स्कूल का नाम आपके साथ चलता है ,आपकी एक गलत हरकत स्कूल और स्कूल के शिक्षकों को दागदार कर देती हैं।एक विद्यार्थी हर साल एक नई क्लास में जाता है पर शिक्षक वही रहता है सालों-साल अपने उसी पाठ्यक्रम के साथ…उसकी दुनिया मे कभी कुछ नहीं बदलता।बदलते है तो सिर्फ विद्यार्थी और कक्षाएँ…पर वो तब भी पूरी ईमानदारी के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वाह करता रहता है क्योंकि वो जानता है कि वो सिर्फ विद्यार्थी नहीं इस देश का भविष्य भी है। मैं आज ईश्वर से आप सभी के उज्जवल भविष्य की कामना करती हूँ। आप किसी भी क्षेत्र में जाये उन्नति करें सफलता के नए आयाम प्राप्त करें और सिर्फ अपना नहीं इस स्कूल का नाम भी रौशन करें।”

हॉल में सन्नाटा पसर गया,हँसी के ठहाके,तीखे तीर उस भीड़ में न जाने कहाँ लुप्त हो गए।प्रिंसिपल मैम हॉल से जा चुकी थी, उनके जूतों की ठक-ठक भी अब सुनाई पड़ना बन्द हो गई थी पर अभी भी कुछ था जो विद्यार्थियों के मन-मस्तिष्क पर हथौड़े की तरह पड़ रहा था। शायद…अहसास!