Hindi Katha: एक बाद देवर्षि नारद ने भगवान् नारायण से पूछा – ” दयानिधान ! रुद्राक्ष को श्रेष्ठ क्यों माना जाता है ? इसकी क्या महिमा है ? सभी के लिए यह पूजनीय क्यों है ? रुद्राक्ष की महिमा को आप विस्तार से बताकर मेरी जिज्ञासा शांत करें” देवर्षि नारद की बात सुनकर भगवान् नारायण […]
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सबक – उपनिषदों की कथाएँ
Hindi Katha: भगवती दुर्गा ने जब पृथ्वी से लगभग सभी दानवों को समाप्त कर दिया तो देवगण निश्चित हो गए और देवराज इन्द्र सहित समस्त देवगण भगवती माता की भक्ति से विमुख होकर भोग-विलास में डूब गए। उनका अधिकांश समय सोमरस पीने और अप्सराओं का नृत्य देखते हुए बीतने लगा । विषय-भोगों में लिप्त होकर […]
प्रथम आहुति – उपनिषदों की कथाएँ
Hindi Katha: पूर्वकाल में अग्नि के भाई जातवेदा देवताओं के पास हविष्य (भोग) पहुँचाया करते थे। एक बार गौतमी के तट पर ऋषि-मुनिगण यज्ञ कर रहे थे और जातवेदा देवताओं का हविष्य वहन कर रहे थे। उसी समय दिति के परम शक्तिशाली पुत्र मधु ने देखते-ही-देखते जातवेदा को मार डाला। उनके मरने से देवताओं को […]
कुबेर को वर – उपनिषदों की कथाएँ
Hindi Katha: महर्षि विश्रवा के पुत्र कुबेर लंका के राजा थे। रावण, कुम्भकर्ण और विभीषण उनके सौतेले भाई थे। दैत्यराज सुमाली की पुत्री कैकसी के गर्भ से उत्पन्न होने के कारण वे तीनों दैत्य कहलाते थे। उन्होंने अनेक वर्षों तक कठोर तपस्या कर ब्रह्माजी से वर प्राप्त किए। इसके बाद उन्होंने माता कैकसी के कहने […]
शुक्र तीर्थ – उपनिषदों की कथाएँ
Hindi Katha: सत्युग की बात है, अंगिरा मुनि के घर जीव नामक एक बालक और भृगु मुनि के घर कवि नामक एक बालक का जन्म हुआ। दोनों ही बालक बड़े बुद्धिमान थे। उनके यज्ञोपवीत संस्कार के समय महर्षि भृगु ने निश्चय किया कि उन दोनों बालकों को महर्षि अंगिरा ही शिक्षा प्रदान करेंगे। तदंतर उन्होंने […]
यमराज की मौत – उपनिषदों की कथाएँ
Hindi Katha: पूर्वकाल में श्वेत नामक एक तपस्वी ब्राह्मण हुए, जो महर्षि गौतम के प्रिय मित्र थे। वे गौतमी गंगा के तट पर निवास कर भगवान् शिव के ध्यान में मग्न रहते थे। इस प्रकार, उनकी आयु शिवजी के ध्यान में बीत गई। यमदूत उन्हें ले जाने के लिए आए, किंतु वे उनके आश्रम में […]
उँगली का भार – उपनिषदों की कथाएँ
Hindi Katha: प्राचीन समय की बात है, शेषनाग का मणिनाग नामक एक पुत्र था। वह परम शक्तिशाली था, लेकिन गरुड़ से सदा भयभीत रहता था। अतः भगवान् शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए वह प्रतिदिन कैलाश जाता और भगवान् शिव की पूजा- आराधना करता। किंतु एक दिन गरुड़ ने निर्भय विचरते देख उसे पकड़ […]
शिव विवाह – उपनिषदों की कथाएँ
Hindi Katha: देवी पार्वती ने मन-ही-मन भगवान् शिव का वरण कर लिया है, यह बात उनके पिता पर्वतराज हिमालय भली-भाँति जानते थे। उन्होंने सोचा – ‘यदि पार्वती भगवान् शिव का वरण करे तो यह स्थिति उनके लिए परम कल्याणकारी होगी । ‘ यह सोचकर उन्होंने पार्वती के विवाह के लिए एक स्वयंवर का आयोजन किया। […]
शाप – उपनिषदों की कथाएँ
Hindi Katha: एक बार अग्निदेव ने राजा कार्तवीर्य से भिक्षा माँगी। परम दानी कार्तवीर्य ने सातों द्वीप, नगर, गाँव तथा सारा राज्य उन्हें भिक्षा में दे दिए। भिक्षा पाकर अग्निदेव सर्वत्र प्रज्वलित हो उठे और सभी पर्वतों और वनों को जलाने लगे। उन्होंने महर्षि वसिष्ठ का आश्रम भी जला दिया। तब वसिष्ठ क्रुद्ध होकर बोले […]
जनस्थान – उपनिषदों की कथाएँ
Hindi Katha: प्राचीन समय की बात है, वैवस्वत मनु के वंश में जनक नामक एक प्रसिद्ध राजा हुए। वे बड़े वीर, धर्मात्मा, दानी, दयालु, सत्य – प्रतिज्ञ, विद्वान और तपस्वी थे। उनका विवाह वरुणदेव की पुत्री गुणार्णवा के साथ हुआ। गुणार्णवा धर्म, अर्थ, और मोक्ष की सिद्धि प्रदान करने वाली थी। अपने अनुरूप पत्नी पाकर […]
