Posted inहिंदी कहानियाँ

लक्ष्मी – अलक्ष्मी – उपनिषदों की कथाएँ

Hindi Katha: एक बार भगवती लक्ष्मी और दरिद्रा में श्रेष्ठता को लेकर विवाद छिड़ गया। लक्ष्मी अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करते हुए बोलीं- ” हे दरिद्रा ! देहदारियों का कुल, शील और जीवन मैं ही हूँ। मेरे बिना वे जीवित भी मृतक के समान होते हैं। मुझसे अलंकृत होने पर ही समस्त प्राणी सुशोभित होते हैं […]

Posted inहिंदी कहानियाँ

अमृत का छींटा – उपनिषदों की कथाएँ

Hindi Katha: महर्षि भरद्वाज अपनी पत्नी पैठीनसी के साथ गौतमी गंगा के तट पर आश्रम बनाकर निवास करते थे। एक बार वे यज्ञ आरम्भ कर इन्द्र, अग्नि, सोम आदि देवगण को भोग लगाने के लिए खीर बनाने लगे। खीर अभी पक ही रही थी कि तभी चूल्हे के धुएँ से एक भयंकर पुरुष प्रकट हुआ […]

Posted inहिंदी कहानियाँ

कपोत-उलूक – उपनिषदों की कथाएँ

Hindi Katha: गंगा के उत्तरी तट पर अनुहाद नामक एक बलवान कपोत (कबूतर ) रहता था। वह मृत्यु का पौत्र था । उसका विवाह हेति नामक एक यक्षिणी के साथ हुआ था, जो इच्छानुसार रूप धारण कर सकती थी । वह मृत्यु की दौहित्र (पुत्री की पुत्री) थी। गौतमी के दक्षिणी तट पर एक भयंकर […]

Posted inहिंदी कहानियाँ

गोविन्द तीर्थ – उपनिषदों की कथाएँ

Hindi Katha: अनेक दुष्कर्मों के परिणामस्वरूप इन्द्र को तीन बार अपना पद त्याग करना पड़ा। एक बार वृत्रासुर का वध होने पर राजा नहुष द्वारा उनका पद छीना गया। फिर सिंधुसेन का वध कर वे घोर पाप के भागी बने, जिसके कारण उन्हें अपना पद त्यागना पड़ा। तीसरी बार अहल्या का शील भंग करने के […]

Posted inहिंदी कहानियाँ

धन्वंतरि – उपनिषदों की कथाएँ

Hindi Katha: प्राचीन समय में धन्वंतरि नामक एक प्रसिद्ध और प्रतापी राजा हुए। उन्होंने अश्वमेध आदि अनेक यज्ञों का अनुष्ठान कर याचकों को भरपूर दान दिया। प्रजा ऐसे धर्मात्मा राजा को पाकर अत्यंत प्रसन्न थी । इस प्रकार धन्वंतरि धर्म-कर्म में संलग्न रहकर ऐश्वर्य और विषय भोगते रहे। फिर वृद्धावस्था में उन्होंने वैराग्य जीवन ग्रहण […]

Posted inहिंदी कहानियाँ

सर्प पुत्र – उपनिषदों की कथाएँ

Hindi Katha: एक समय की बात है, प्रतिष्ठानपुर में चंद्रवंशी राजा शूरसेन राज्य करते थे। वे बड़े वीर, धर्मात्मा और गुणवान थे। उन्होंने अपनी पत्नी के साथ अनेक यज्ञ किए, जिनके फलस्वरूप उनके घर एक पुत्र का जन्म हुआ। किंतु वह भयंकर आकार वाला एक सर्प था। शूरसेन ने उसे सभी की दृष्टि से छिपाकर […]

Posted inहिंदी कहानियाँ

अस्थिदान – उपनिषदों की कथाएँ

Hindi Katha: प्राचीन काल में दधीचि नामक एक प्रसिद्ध ऋषि हुए। वे परम तपस्वी, विद्वान और श्रेष्ठ गुणों से सुशोभित थे । उनका विवाह गभस्तिनी नामक युवती से हुआ, जो अगस्त्य मुनि की पत्नी लोपामुद्रा की बहन थी । गभस्तिनी अपने पति का अनुसरण करती थी और उन्हीं के समान परम तपस्विनी थी। इस प्रकार […]

Posted inहिंदी कहानियाँ

पुरुष से स्त्री – उपनिषदों की कथाएँ

Hindi Katha: सृष्टिकाल के आरम्भ की घटना है, भगवान् शंकर किसी वन में देवी पार्वती के साथ विहार कर रहे थे। उसी समय उनके दर्शनों की इच्छा से कुछ मुनिगण वहाँ पहुँचे। भगवान् शिव और देवी पार्वती प्रेमालाप में लीन थे। मुनिगण को देखकर पार्वती लज्जित हो गईं। उनकी यह दशा देखकर भगवान् शिव ने […]

Posted inहिंदी कहानियाँ

शिव का क्रोध – उपनिषदों की कथाएँ

Hindi Katha: एक बार दक्ष प्रजापति के हृदय में अश्वमेध यज्ञ करने की इच्छा उत्पन्न हुई। तब उन्होंने शीघ्र ही महायज्ञ की तैयारी कर सभी देवगण को आमंत्रित कर लिया। इन्द्रादि समस्त देवता अपने-अपने विमानों में बैठकर यज्ञस्थली की ओर चल पड़े। उन्हें जाते देखकर भगवती पार्वती उत्सुकतावश भगवान् शिव से बोलीं ‘भगवन् ! ये […]

Posted inहिंदी कहानियाँ

भस्म कामदेव – उपनिषदों की कथाएँ

Hindi Katha: एक बार जब भगवान् शिव पार्वती के साथ अपने धाम पधारे, तब कामदेव ने चक्रवाक पक्षी का रूप धारण कर अपनी पत्नी रति के साथ उन पर काम का प्रहार किया। देवाधिदेव महादेव परम तेजस्वी और परब्रह्म हैं। उन पर कामदेव का वार प्रभावहीन हो गया। उन्होंने जब क्रुद्ध होकर इधर-उधर देखा तो […]

Gift this article