Bhasm Kamadeva
Bhasm Kamadeva

Hindi Katha: एक बार जब भगवान् शिव पार्वती के साथ अपने धाम पधारे, तब कामदेव ने चक्रवाक पक्षी का रूप धारण कर अपनी पत्नी रति के साथ उन पर काम का प्रहार किया। देवाधिदेव महादेव परम तेजस्वी और परब्रह्म हैं। उन पर कामदेव का वार प्रभावहीन हो गया। उन्होंने जब क्रुद्ध होकर इधर-उधर देखा तो उन्हें निकट ही कामदेव दिखाई दिया। वे समझ गए कि यह धृष्टता उसकी ही है। तब क्रोध की अधिकता से भगवान शिव का तीसरा नेत्र खुल गया और उसमें से निकलने वाली क्रोधाग्नि ने उसे जलाकर भस्म कर दिया। पति को भस्म होते देख रति अत्यंत दुखी होकर विलाप करने लगी।

तब पार्वती भगवान् शिव से बोलीं ‘भगवन् ! यह आपने क्या कर दिया ? कामदेव तो अपने धर्म का पालन कर रहे थे। ब्रह्माजी ने उनकी रचना मैथुनी सृष्टि के लिए की थी। वे ही प्राणियों में काम का भाव जागृत कर सृष्टि की रचना में सहायक थे। देखिए, उनकी पत्नी रति कितनी दुखी और शोकातुर हो रही हैं । भगवन् ! आप परम दयालु और भक्तों के दुःख हरने वाले हैं। कृपया इनके दुःख का अंत कर इन्हें अपनी कृपा से अनुगृहीत कीजिए। “

भगवती पार्वती की स्तुति सुनकर भगवान् महादेव अत्यंत प्रसन्न हुए और रति को सांत्वना देते हुए बोले – ” देवी ! कामदेव भस्म हो चुके हैं। अब उन्हें पुनर्जीवित नहीं किया जा सकता। किंतु शरीर – रहित होते हुए भी वे सूक्ष्म रूप में अपने सारे कार्य सिद्ध करते रहेंगे। देवी ! जब भगवान् विष्णु द्वापर युग में श्रीकृष्ण- रूप में पृथ्वी पर अवतरित होंगे, उस समय उनके पुत्र प्रद्युम्न के रूप में तुम्हारे पति का पुनर्जन्म होगा। तब तक तुम धैर्य धारण करो । ” इस प्रकार वरदान पाकर रति वहाँ से चली गई।