Sadhguru 30% Diet Challenge: हम जो खाते हैं, उसका सीधा असर हमारे शरीर, दिमाग और चेहरे पर पड़ता है। खाना सिर्फ पेट भरने के लिए नहीं होता, बल्कि यह हमारे स्वास्थ्य की नींव होता है। इसीलिए डॉक्टर और हेल्थ एक्सपर्ट हमेशा संतुलित और पोषक तत्वों से भरपूर आहार की सलाह देते हैं। यही सोच आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु जग्गी वासुदेव की डाइट फिलॉसफी का भी आधार है।
सद्गुरु ने हाल ही में 30% डाइट चैलेंज पेश किया है, जो न केवल शरीर को स्वस्थ बनाता है, बल्कि चेहरे पर रौनक लाने और उम्र से युवा दिखने में भी मदद करता है। इस आसान से चैलेंज में आपको बस इतना करना है कि अपने दैनिक आहार का 30% हिस्सा केवल फलों से भरें।
क्यों 30% फल?
सद्गुरु के अनुसार, हमें ऐसा भोजन करना चाहिए जो जल्दी पच जाए और जो शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर हो। फल ऐसे ही होते हैं वे पेट में जाते ही पच जाते हैं और विटामिन, मिनरल्स, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होते हैं। जब आप रोज़ाना 30% फल खाना शुरू करते हैं, तो आपका पाचन बेहतर होता है, शरीर हल्का महसूस करता है और आपकी त्वचा में प्राकृतिक चमक आने लगती है।
व्यक्तिगत अनुभवों से मिली प्रेरणा

सद्गुरु ने एक महिला की कहानी साझा की, जिसने 1008 दिनों तक हर दिन सिर्फ एक फल संतरा खाया। वह पहले मोटापे, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और थायरॉइड जैसी समस्याओं से जूझ रही थीं। लेकिन जब उन्होंने फलों को अपनी दिनचर्या में शामिल किया, तो उनकी सेहत में बड़ा बदलाव आया। आज वे न केवल स्वस्थ हैं, बल्कि खुद को अपनी असली उम्र से काफी कम महसूस करती हैं।
क्या मिलते हैं इसके और भी फायदे?
फल शरीर को केवल पोषण ही नहीं देते, बल्कि यह अंदर से डिटॉक्स करने में भी मदद करते हैं। वे शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालते हैं, लिवर और किडनी का बोझ कम करते हैं और ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाते हैं। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए फायदेमंद हो सकता है जो मोटापा, मेटाबॉलिक डिसऑर्डर या पुरानी बीमारियों से परेशान हैं।
कैसे शुरू करें?
इस चैलेंज को अपनाना बेहद आसान है। अपने हर रोज के खाने में थोड़ा बदलाव कीजिए। यदि आप दिन में तीन बार खाते हैं, तो एक बार का खाना फल रखें जैसे नाश्ते में एक कटोरी पपीता, दो केले या एक प्लेट तरबूज। आप चाहें तो दिनभर में स्नैक्स के तौर पर भी फलों को शामिल कर सकते हैं। आप कोई भी मौसमी फल खा सकते हैं जैसे पपीता, सेब, केला, संतरा, अमरूद, तरबूज या अंगूर। ध्यान रहे कि फल ताजे हों, डिब्बाबंद या शुगर युक्त फलों के जूस से परहेज़ करें, क्योंकि इनमें पोषण कम और चीनी ज़्यादा होती है।
सिर्फ कुछ हफ्तों में ही आप महसूस करेंगे कि आपकी त्वचा में निखार है, पाचन अच्छा हो रहा है और आप भीतर से तरोताजा महसूस कर रहे हैं। यह चैलेंज न केवल एक डाइट प्लान है, बल्कि एक जीवनशैली है जहां फल आपके शरीर को पोषण भी देते हैं और प्राकृतिक उपचार भी।
एक और कारण
सद्गुरु का मानना है कि भोजन का असर सिर्फ शरीर पर ही नहीं, हमारे मन और भावनात्मक स्थिति पर भी पड़ता है। फल खाने से न केवल शरीर हल्का रहता है, बल्कि मानसिक स्पष्टता भी बढ़ती है। जब पाचन तंत्र पर कम दबाव होता है, तो मस्तिष्क को अधिक ऊर्जा मिलती है, जिससे एकाग्रता, फोकस और भावनात्मक स्थिरता में सुधार होता है। खासतौर पर छात्रों, रचनात्मक पेशेवरों और मानसिक श्रम करने वालों को इससे विशेष लाभ मिल सकता है।
