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जो होगा देखा जायेगा – हितोपदेश की कहानी

Hitopadesh ki Kahani : एक बार पहले भी, बहुत पुरानी बात है कि इस सरोवर पर इसी प्रकार मछुआरे आए थे। उस समय यहां तीन बड़े-बड़े मत्स्य रहते थे। उनमें एक का नाम अनागत विधाता था, दूसरे का प्रत्युत्पन्नमति और तीसरे का यद्भविष्य । मछुआरे मन्त्रणा करके जब चले गये तो मत्स्य परस्पर विचार-विमर्श करने […]

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 उतावली का उलटा परिणाम – हितोपदेश की कहानी 

Hitopadesh ki Kahani : जब पुनः पाठ आरम्भ हुआ तो राजपुत्रों ने कहा, “गुरुदेव ! हमने विग्रह अर्थात् युद्ध की नीति सुनी। अब हमें सन्धि के विषय में बताइये । विष्णु शर्मा बोले, “सुनो मैं अब तुम्हें सन्धि की बात बताता हूं। “बड़ा भारी संग्राम होने पर जब हिरण्यगर्भ और चित्रवर्ण की सेनाएं कट गईं […]

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धन लोलुप नाई की मूर्खता – हितोपदेश की कहानी

Hitopadesh ki Kahani : अयोध्या नगरी में चूड़ामणि नाम का एक क्षत्रिय रहता था । धन की इच्छा से उसने बहुत दिनों तक भगवान शिव की आराधना की । उसके जब सब पाप क्षीण हो गये तो एक दिन रात्रि को सोते हुए कुबेर ने उसको दर्शन दिये और कहा, “सवेरे उठने पर तुम बाल […]

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 सेवक का त्याग – हितोपदेश की कहानी 

Hitopadesh ki Kahani : प्राचीन युग की बात है। मैं शूद्रक के राज्य में था । राजा के क्रीड़ा सरोवर में रहने वाले कर्पूरकेलि नामक राजहंस की पुत्री कर्पूरमंजरी से मेरा प्रेम हो गया। उस समय किसी देश का एक वीरवर नाम का राजकुमार उस राज्य में आया और राज प्रासाद के द्वार पर आकर […]

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नीले सियार की दुर्दशा – हितोपदेश की कहानी

Hitopadesh ki Kahani : किसी वन में एक सियार रहता था। अपनी जीविका के लिए एक बार वह किसी नगर के समीप पहुंच गया। नगर के कुत्तों ने जब उसको देखा तो काटने के लिए दौड़े। दुर्भाग्य से उस समय सियार का मुख नगर की ओर ही था। पीछे मुड़ने का अवसर नहीं था, इसलिए […]

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मूर्ख बढ़ई – हितोपदेश की कहानी

Hitopadesh ki Kahani : यौवनश्री नामक एक नगर में मन्दमति नाम का एक बढ़ई रहता था । उसकी पत्नी कुलटा थी । सारा नगर इस बात को जानता था और उसके कानों में भी इसकी भनक पड़ चुकी थी। इतना होने पर भी उस बढ़ई ने उसको कभी अपने प्रेमी के पास आते- जाते देखा […]

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धूर्त कौआ, मूर्ख बटेर – हितोपदेश की कहानी

Hitopadesh ki Kahani : एक बार की बात है कि समुद्र के तट पर भगवान् गरुड़ के आने की सूचना मिली। सभी पक्षी यह सुन समुद्र तट पर एकत्रित होने लगे। एक कौवे के साथ बटेर भी चल दिया । जिस मार्ग से कौआ और बटेर जा रहे थे उसी मार्ग से एक ग्वाला भी […]

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 कुसंगति का कुफल – हितोपदेश की कहानी 

Hitopadesh ki Kahani : उज्जयिनी के मार्ग में एक पाकड़ का वृक्ष था। वहां पर एक हंस और एक कौआ, दोनों साथ-साथ रहते थे। ग्रीष्म ऋतु की बात है कि एक दिन एक पथिक दोपहर के समय थका मांदा वहां पर आया और छाया देखकर वहां पर अपना धनुष एक ओर को रखकर सो गया […]

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 मूर्ख हाथी – हितोपदेश की कहानी 

Hitopadesh ki Kahani : एक समय की बात है कि वर्षा ऋतु के आ जाने पर भी उस वर्ष वर्षा नहीं हुई । अनावृष्टि और गरमी के कारण छोटे-छोटे सभी सरोवर सूख गए। उनसे अपनी प्यास बुझाने वाले प्राणी पानी के अभाव में बिलखने लगे। ऐसा ही एक हाथियों का झुण्ड भी था । जिस […]

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गधे की मूर्खता – हितोपदेश की कहानी

Hitopadesh ki Kahani :काशी नगरी में कर्पूरपटक नाम का एक धोबी रहा करता था। उसका नया-नया विवाह हुआ था। एक दिन वह रात के समय अपनी पत्नी के साथ विहार करने के उपरान्त उससे लिपट कर सो गया। उसके कुछ ही देर बाद एक चोर उसके घर में घुस आया। धोबी के आंगन में उसका […]

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