मेरे दादा और चाचू (दादाजी के भाई) पटना में रहते थे। जब कभी भी वो दिल्ली आते तो हमारे घर महीना भर तो रहते ही थे। वह टोका-टाकी बहुत करते थे। मेरे दादा जी ने मेरी मां को कभी सिर ढकने को नहीं कहा था लेकिन चाचाजी तो छोटा सा घूंघट निकालने के लिए मजबूर करते। हमारे खाने को […]
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नैना फिर से जी उठी…
नैना परिवार में दूसरी बेटी थी। उसकी बड़ी बहन सीमा उससे उम्र में पांच साल बड़ी थी। वह बहुत ही सुंदर और होशियार थी। उसके जन्म पर उसकी मां को कोई ख़ुशी नहीं हुई थी बल्कि वह एक और बेटी आ जाने से बहुत निराश हो गयी थी। यही कारण था कि बचपन से ही उसे […]
शादी पर भी हाथ जोड़े थे
मेरे पति भगवान को बहुत मानते हैं, ऐसे ही मैं भी भगवान को बहुत मानती हूं। मैं रोज सुबह नहा- धोकर पूजा करती हूं, और पति भी भगवान जी को हाथ जोड़कर ही निकलते हैं। एक दिन हम दोनों की रात में खूब लड़ाई हुई। सुबह उन्होंने मनाने की खूब कोशिश की लेकिन मैं नहीं […]
कांटों का उपहार – पार्ट 15
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इकलौता चांद गायब
शादी से पहले मुझे खाना बनाने में कोई खास दिलचस्पी नहीं थी। शादी तय हुई तो मेरी भाभी ने किचन से संबंधित कुछ टिप्स दिए ताकि ससुराल में शर्मिंदगी न उठानी पड़े। इनमें एक टिप भाभी ने समझाया कि गरम मसाला डालने से रेसिपी स्वादिष्ट हो जाती है। ससुराल के किचन में पहले दिन […]
खुजली वाला डांस
बात तब की है जब मैं 12 वर्ष की थी। मेरी छोटी बहन 10 वर्ष की थी। हम गर्मी की छुट्टियां बिताने ननिहाल गए। वहां मेरे मामाजी का जड़ीबूटियों व औषधियों का व्यापार था। हमारे घर में ही एक गोदाम था, जहां पर जाने से मामाजी ने मना किया था। वहां हम उम्र बच्चे थे। एक दिन हम सभी […]
कांटों का उपहार – पार्ट 14
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गृहलक्ष्मी की कहानियां – भविष्यफल
गृहलक्ष्मी की कहानियां – उस दिन मन नहीं लग रहा था। बहुत बोरियत महसूस हो रही थी। कालेज की छुट्टियां जो चल रही थीं। लग रहा था मानो जिंदगी पर ही ब्रेक लग गया हो। कुछ करने के लिए हो ही न… और जब काम हो तो काम की थकान, रोज यही इच्छा होती है कि […]
कांटों का उपहार – पार्ट 13
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कांटों का उपहार – पार्ट 12
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