गृहलक्ष्मी की कहानियां – उस दिन मन नहीं लग रहा था। बहुत बोरियत महसूस हो रही थी। कालेज की छुट्टियां जो चल रही थीं। लग रहा था मानो जिंदगी पर ही ब्रेक लग गया हो। कुछ करने के लिए हो ही न… और जब काम हो तो काम की थकान, रोज यही इच्छा होती है कि काश! आज अवकाश मिल जाये। इंसान की फितरत ही ऐसी होती है जो प्रत्यक्ष मिलता है, उसमें कभी खुश नहीं रहते। सोचा, क्या करूं, चलो मैगजीन ही पढ़ लेती हूं, कुछ तो मिल ही जाएगा। मैगजीन पढ़ते-पढ़ते काफी समय बीत गया।
अच्छे लेख पढ़कर मन प्रसन्न हो गया। सच में किताबें हमारी सबसे अच्छी मित्र होती हैं। तभी डोरबेल बजी… ‘अविका… ‘आती हूं… मैंने कहा। मैंने दरवाजा खोला। मम्मी बाजार से आ गई थीं, साथ में उनकी सहेली रीना आंटी भी थीं। ‘क्या कर रही थी? इतनी देर से डोर क्यों खोला। पानी भर के नहीं रखा? थोड़ी देर के लिए कहीं चले जाओ, पूरा घर अस्त-व्यस्त सा हो जाता है।
मम्मी बोली जा रही थी। ‘ओहो…! छोड़ो भी… बच्ची है, अब कर देगी। आंटी ने मुझे मम्मी की डांट से बचाया। रीना आंटी की बात सुनकर मम्मी कुछ नर्म पड़ी। रीना आंटी बेहद ही खुशमिजाज व बिंदास किस्म की महिला हैं। हर जगह हंसी-खुशी का माहौल बना देती हैं। एकदम अप टू-डेट रहना पसंद करती हैं। वाट्सअप व फेसबुक पर भी एक्टिव हैं। यूं तो उनका फिगर थोड़ा ज्यादा है फिर भी कपड़े फैशन के हिसाब से ही पहनती हैं। आजकल ह्रश्वलाजो और जींस पहन रही हैं। कुल मिलाकर एकदम मार्डन वुमन।
‘अविका… आंटी के लिए चाय बना लो। मम्मी ने कहा। ‘और साथ में पापड़ भी… आंटी ने हंसते हुए कहा। ‘ओके…मैंने कहा। रीना आंटी मेरी निकाली हुई मैगजीन पढऩे लगीं। तभी अचानक कुछ पढ़कर रीना आंटी विचलित सी हो उठीं। मानो दिल डूब सा गया हो। मैं चाय लेकर आई। आंटी गुमसुम सी बैठी थीं। ‘क्या हुआ आंटी? अचानक आप इतनी परेशान क्यों दिख रही हैं? मैंने पूछा।
‘अरे मेरी राशि के भविष्यफल में कुछ अच्छा नहीं लिखा है, इसलिए मेरा मन बेचैन सा हो रहा है। आंटी ने कहा। ‘ओहो, इन चीजों को गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं है। मम्मी ने कहा। ‘अरे कुछ तो सच्ची होती ही होगी न… आंटी ने कहा। ‘अच्छा, क्या लिखा है जरा पढि़ए तो… मैंने पूछा। ‘पूरे माह संघर्ष बना रहेगा। किसी प्रियजन से मन-मुटाव हो सकता है। आमदनी कम होगी व खर्चा ज्यादा… आंटी ने दुखी होते हुए पढ़ा। ‘हूं… सब फालतू हैं। मम्मी ने कहा। लेकिन रीना आंटी व्याकुल थी।
अनायास ही उनकी हंसी कहीं गुम हो गई थी। ‘ओफो… आप लोग भी न… छोडि़ए यह सब। मम्मा सही कह रही हैं, इसको इतनी गंभीरता से लेने की आवश्यकता नहीं है। आप खुद ही सोचिए, एक ही राशि के कितने लोग होते हैं, यह कोई आप ही के लिए नहीं है। कमोन आंटी, डोंट बी सिली, यू आर अ मार्डन वुमन। मैंने कहा, पर आंटी पर कोई असर नजर नहीं आ रहा था।
तभी मेरी नजर मैगजीन के कवर पेज पर पड़ी। ‘ओ माई गॉड! ‘अब आप लोग अपनी मूर्खता व अंधविश्वास पर ठहाका लगाइए, क्योंकि…। मैंने कहा। ‘यह पत्रिका दो महीने पुरानी है, तो यह भविष्यफल भी दो महीने पुराना हुआ न, यानि बीत चुका है। मैंने कहा। ‘अच्छा, यह पुराना था। यह कहते हुए रीना आंटी के चेहरे पर चमक लौट आई और वह हो-हो करके हंस पड़ीं। फिर हम सभी ने सुकून से चाय-नाश्ते का आनंद लिया।
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