जानिए शिवरात्रि के दिन किस तरह से करें शिव का विधिवत पूजन ।जिससे शिव आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी कर दें .
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Shivratri : क्यों मनाते हैं शिवरात्रि? जानिए यहां सबकुछ
शिवरात्रि का अर्थ वह रात्रि है जिसका शिवतत्व के साथ घनिष्ठ संबंध है। भगवान शिव जी की अतिप्रिय रात्रि को शिवरात्रि कहा गया है। शिवार्चन एवं जागरण ही इस व्रत की विशेषता है। इसमें रात्रि भर जागरण एवं शिवाभिषेक का विधान है। श्री पार्वती जी की जिज्ञासा पर भगवान शिव जी ने बताया कि फाल्गुन कृष्णपक्ष की चतुर्दशी शिवरात्रि कहलाती है।
क्यों है महामृत्युंजय मंत्र भगवान शिव का सबसे प्रभावशाली मंत्र
महामृत्युंजय मंत्र ऐसा अचूक बाण है जो आपके सभी कष्टों को नष्ट कर आपके जीवन को खुशहाल बनाता है। घातक व जटिल स्थिति में भी यह मंत्र आपकी परेशानियों को समाप्त करता है। इस मंत्र का जाप पूरी श्रद्धा व पवित्र हृदय से करना चाहिए, मन में किसी भी प्रकार की शंका होने पर मंत्र का जाप निष्फल या विपरीत प्रभाव पैदा करने वाला भी हो सकता है। लेख से जानें महामृत्युंजय मंत्र जाप से होने वाले लाभों के बारे में।
शिव पूजन में रखें इन 10 बातों का विशेष ध्यान
शिवपूजन के लिये निम्न बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिये नहीं तो शिव रूष्ट हो सकते हैं।
शिवरात्रि पर बनाएं ये 3 व्रत के व्यंजन
सर्व- 4 तैयारी में समय- 10 मिनट बनने में समय- 20 मिनट 1.सामक चावल की केसरी फिरनी सामग्रीः सामक चावल 1/2 कप, फुल क्रीम मिल्क 1/2 लीटर, केसर धागे 10-12, गुलाबजल 1/2 छोटा चम्मच, बादाम पानी में भीगे व छिले हुए 15 नग, पिस्ता बारीक कतरा 1 बड़ा चम्मच चीनी स्वादानुसार। […]
जानिए शिव के 18 रूप और नामों की कहानी
शिव की लीलाओं की तरह शिव की महिमा भी अपरंपार है, जिसकी वजह से शिव के नाम भी निराले और अनेक हैं। पुराणों में शिव को कई नामों से पुकारा गया है, जिसका संबंध किसी न किसी घटना या उद्वार से जुड़ा हुआ है। कौन से नाम शिव के क्यों व किन कारणों से पड़े? जानिए इस लेख से। शिव एक नाम अनेक
क्या आप जानते हैं शिव और शंकर में भी है अंतर?
परमात्मा शिव का मनुष्यों जैसा साकार शरीर नहीं है और ना ही सूक्ष्म देवताओं जैसा सूक्ष्म आकार है बल्कि वह तो ज्योतिस्वरूप, बिंदुरूप है जिसको नूर अथवा किंडली लाइट कहा गया है। अतः साकार और सूक्ष्म आकार की भेंट में निराकार कहा गया है । अर्थात् निराकार का अर्थ अशरीरी अथवा शरीर रहित है।