समिधा को अपनी ससुराल, लखनऊ की पुस्तैनी हवेली, रास न आई। उसे यह हवेली कम, भुतहा महल ज्यादा लग रही थी। अब वह अपने मायके से, शिकायत भी नहीं कर सकती, उसी ने मनोज को चुना है। घर में सभी उसके चुनाव से प्रसन्न हो गए।
Tag: स्थानीय लोक कथा
Posted inकथा-कहानी
शीत युद्ध – गृहलक्ष्मी कहानियां
Posted inकथा-कहानी
गृहलक्ष्मी की कहानियां : एहसास
Posted inकथा-कहानी
सजा – गृहलक्ष्मी कहानियां
Posted inकथा-कहानी