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Hindi kahani : श्रीमती जी की नाराजगी

सुबह से ही देख रहा था कि श्रीमती जी उखड़ी-उखड़ी नजर आ रही थी। न नाराजगी का कारण बताने को तैयार, न नाराजगी दूर करने को तैयार। समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं? मैं श्रीमती जी को खुश करने में ऐसे ही विफल हो रहा था जैसे भारतीय हाकी टीम सारे प्रयास के बाद पेनाल्टी कॉर्नर को गोल में बदलने पर विफल हो जाती है। चिंतन की महासमाधि के बाद भी श्रीमती जी के नाराजगी का कारण समझ में न आ सका।

अब यह जानना कि किसी के मन में क्या है, किसके बूते की बात है। मन की गांठें भला कोई खोल सका है क्या? जिस दिन ऐसा हो जाएगा, धोखे का अस्तित्व ही खतरे में न पड़ जाएगा? बिना धोखे के जिंदगी कितनी नीरस होगी। हे भगवान कभी ऐसा मत करना। धोखे के ही तो अंग-अंग में रोमांच बसा है। बिना रोमांच के भी कोई जिंदगी होती है।

श्रीमती जी के खराब मूड को देखकर मुझे निराशा का संक्रमण होने लगा। बचने के लिए मैंने संक्रमण क्षेत्र से बाहर निकलने की सोची। जब मैं घर से बाहर कदम रख रहा था तो श्रीमती जी ऐसे घूर कर देख रही थी कि मैं न जाने कौन महापाप करने जा रहा था। एक कहावत है, ‘गिरगिट की दौड़ बिटौड़े तक। एक लेखक समय बिताने के लिए कहां जा सकता है? उसकी दौड़ पुस्तकालय के सिवाय और कहां तक हो सकती है? यही वह स्थान है जहां वह सुबह से शाम तक पुस्तकों और विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं को बड़े आराम से चाट सकता है।

समाज से लगभग बहिष्कृत लेखक नामक इस प्राणी को इस स्थान से अधिक सकून और कहां मिल सकता है। नैतिकता के बोझ तले दबा यह प्राणी एकांतवासी न हो तो और क्या हो?

लेखक के साथ एक और बड़ी परेशानी है। वह कहीं भी जाए उसे सबसे पहले ‘सम्मान का ठीकरा चाहिए। इसके बिना उसका काम नहीं चलता। आप अखबार उठाकर देख लीजिए सबसे ज्यादा सम्मान समारोह लेखकों के ही होते हैं और उनमें भी अधिकांश कवियों के। लेखक के सम्मान के तराजू के बाट माप-तौल विभाग शायद अभी तक तो ढाल नहीं सका है। गली-मौहल्ले का कवि-लेखक भी नोबेल पुरस्कार न मिलने पर अपने आपको उपेक्षित महसूस करता है।

मैं पुस्तकालय में प्रवेश करने से पहले मत्था तो नहीं टेकता, लेकिन हाथ जोड़कर उन सभी पुराने साहित्यकारों के प्रति सम्मान जरूर प्रकट करता हूं जिनकी अमूल्य निधियां इस पुस्तकालय में रखी हैं। मैंने पुस्तकालय में बैठकर अखबारों के रविवारीय संस्करण पढ़े। बड़े-बड़े लेखकों के विचार और टिप्पणियां पढ़ी। साहित्यिक लेख पढ़े लेकिन इनमें से कोई भी इतना मनोरंजन नहीं कर सका जितना चुटकुलों और राशिफलों ने किया। चुटकुले पढ़कर दिल खुश हो जाता है।

तनाव भाग जाता है। मन मस्तिष्क तरोताजा हो जाता है, इसलिए मैं भी एक सलाह मुफ्त में देता हूं कि तनावग्रस्त और दिल के मरीजों को खूब चुटकुले पढऩे चाहिए। उन्हें लाभ होगा। प्रिय मित्रों, राशिफल पढऩे का भी अपना ही मजा है। मैं राशिफल हमेशा अपने मनोरंजन के लिए पढ़ता हूं। दो-तीन अखबारों और पत्रिकाओं में छपे राशिफल साथ रखता हूं और उनकी तुलना करता हूं। फिर एक ही राशि के व्यक्तियों के बारे में विभिन्न भविष्यवाणियां पढ़कर हंसता हूं।

पुस्तकालय से घर आया तो कुछ अखबार और पत्रिकाएं मेरे हाथ में थी। प्रवेश करते ही श्रीमती जी बरस पड़ी, ‘मिल आए कलमुंही चुड़ैल से। श्रीमती जी की वाणी सुनकर लगा जैसे उनके अंदर सदियों से दफन ज्वालामुखी गरम लावे के साथ फट पड़ा हो। लेकिन उनकी शब्दावली सुनकर मैं धक रह गया। सीधे-सीधे मेरे चरित्र पर चोट थी। मैंने भी कुछ उग्र होते हुए कहा, ‘किस चुड़ैल से? दिमाग तो ठीक है।

मेरे उग्र तेवर देखकर श्रीमती जी पर वज्रपात हो गया। उनकी सुंदर-सुंदर झील सी आंखों से बड़े-बड़े मोतीनुमा आंसू उमड़ पड़े। अब मुझे अपनी उग्रता पर बड़ा पछतावा हुआ। मैंने विनम्रता का सहारा लिया, क्योंकि विनम्रता वो आभूषण है जिससे अनेक कार्य सहजता से संपन्न हो जाते हैं। वैसे भी स्त्री के आंसुओं में बड़ी ताकत होती है।

अब श्रीमती जी के पास उस चुड़ैल का सबूत पेश करने का कोई रास्ता शेष नहीं था। उन्होंने अखबार मेरे सामने पटकते हुए कहा, ‘लो पढ़ो अपना राशिफल। मैंने श्रीमती जी का मान रखने के लिए राशिफल पढ़ा। उसमें लिखा था, ‘आपके प्रेम संबंध प्रगाढ़ होंगे। प्रेमी-प्रेमिका के मिलने की प्रबल संभावना। अपना राशिफल पढ़ते ही मैं हंसते-हंसते लोटपोट हो गया।

आज तक किसी कन्या ने घास डाली नहीं, अब प्रेमिका से कहां मिलूंगा, लेकिन श्रीमती जी ने राशिफल पर आंखें मूंद विश्वास कर लिया था। सौतियाडाह, काल्पनिक ही क्यों न हो, कितना भयानक होता है इसको औरत ही जान सकती है।

मैंने साथ लाए अखबारों- पत्रिकाओं के अलग-अलग राशिफल खोलकर रख दिए। एक में लिखा था- ‘पति-पत्नी के संबंध प्रगाढ़ होंगे। मैंने कहा, ‘आज सबसे अच्छा राशिफल यही है। अब तो बढिय़ा सी चाय पिला दो। मस्का तो मारना ही पड़ता है भाई। कुछ देर बाद श्रीमती जी बैठकर मुस्कराते हुए चाय की चुस्कियां ले रही थी। मैं प्याले में अपना भविष्य तलाश रहा था।

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