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शीत युद्ध – गृहलक्ष्मी कहानियां

जब से वो आई थी, मेरा जीना हराम हो गया था। घर के सभी सदस्यों पर तो जैसे उसने जादू ही कर दिया था। उसको काबू करने की मेरी तमाम कोशिशें नाकाम हो गई थीं, जिससे वो मेरी आंखों में भी चुभने लगी।
वैसे भी मेरा उससे कोई खास लगाव का रिश्ता नहीं था, क्योंकि वह मेरे ससुराल से आई थी।

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बाई की बेटी – गृहलक्ष्मी कहानियां

आकाश पर केवल उसका अधिकार होता है, जिसे अपने पंखों पर विश्वास होता है। आकाश की असीमता से डरने वाले तो अपने पांव तले की ज़मीन भी नहीं बचा पाते। कुछ ऐसा ही सबक छिपा है इस कहानी में।

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