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इंद्रजाल से कम नहीं है व्हाट्सएप – गृहलक्ष्मी कहानियां

कुछ लोग खुद को व्हाट्सएप किंग और क्वीन मानते हैं तो हम भी एक्टिव यूज़र साबित होने के लिए इन मैसेजों को अवॉयड न कर एक स्माइली थ्रो करके जान बचा जाते। अब भारत है आस्थाओं का देश, जहां पार्लियामेंट के दरवाज़े तक बिना पूजा-पाठ किये नहीं खुलते!

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गृहलक्ष्मी की कहानियां – सफल गृहिणी… तेरा छिपा खजाना

ये कालाधन नहीं, वो इमरजेंसी द्वार है, जब सारे द्वार बंद हो जाते हैं तब खुलता है। सब पतियों को पता होता है कि पत्नी जी के पास माल है। हां कितना है, ये भले ही ना पता हो। वो गृहिणी सफल गृहिणी नहीं मानी जाती जो अपना सीक्रेट धन न जोड़े।

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शॉपिंग थेरेपी

कुछ वर्षों पहले तक लोग केवल जरूरत का सामान खरीदने के लिए बाजार जाते थे लेकिन आजकल बाजार में घूम-घूमकर शॉपिंग करना एक थेरेपी व टाइम पास करने का तरीका बन गया है। आज का आदमी अपनी खुशी के लिए बाजार का मोहताज होकर रह गया है।शॉपिंग करना अवसादग्रस्त लोगों के लिए कुछ देर के […]

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खिचड़ीनुमा हलुवा – गृहलक्ष्मी कहानियां

कपिल शर्मा से प्रेरणा लेकर मिसेज शर्मा कुछ करने को जी-जान से
जुट गई, पर अपने हलवे के जलवे देखकर वे खुद भी दंग रह गईं।

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काश! अगले जन्म में पति बनूं – गृहलक्ष्मी कहानियां

खूबसूरत महिलाओं को देखने से पुरुषों को जिस आनंद की अनुभूति होती है वैसी खूबसूरत पत्नी को देखकर नहीं होती। मेरे मन में भी पति बनकर इस क्षणिक सुखद अनुभूति की जिज्ञासा जागृत हुई है।

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”भाग्योदय का रास्ता”

बचपन से ही मुझे भाग्योदय शब्द सुनकर ऐसा लगता था कि आपके सभी शत्रु पराजित और आप किसी चमत्कार की शरण में…। एक दिन खुले आसमान में सुबह की हल्की लालिमा में मैं चाय का लुफ्त उठा रही थी कि तभी तभी अखबार वाले ने अखबार मोड़कर यूं घुमा कर जोर से फेंका कि वो […]

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गृहलक्ष्मी की कहानियां : पौत्र जन्म की खुशियां

पत्नी मुक्त मन से पैसा लुटाने में लगी थी। मैंने उसे समझाया था कि वह पौत्री को ही बेटा मान लें, बावजूद उसके भीतर तमन्नाएं उछालें मार रही थीं कि इस बार तो पौत्र ही हो।

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गृहलक्ष्मी की कहानियां : कहीं वो नाराज तो नहीं

आज पत्नी फिर नाराज है। अब नाराजगी दूर हो तो पता चले कि मामला क्या है। मैं खाने का प्रेमी हूं और वह किचन हड़ताल कर अक्सर मेरे पेट पर प्रहार करती है।

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वेलेनटाइन डे बनाम रक्षाबंधन

अभी वेलेंटाइन डे की खुमारी से नहीं उबरे थे। यह रक्षाबंधन कहां से आ गया और क्या हमारे लिये ही आ गया। आ गया तो आ गया मगर इन कन्याओं को क्या हो गया है। पुरा भर की लड़कियां हमें राखी बांधो अभियान छेडऩे जा रही हैं। हम और हमारी कलाई इत्ती फालतू है क्या।

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व्हेन आई वेंट इन ए कॉन्वेंट – गृहलक्ष्मी कहानियां

पास के कॉन्वेंट स्कूल की खूबियां जानकर बच्चों का उस स्कूल में दाखिला करवाने का हमारा तो सपना ही टूट गया।

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