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जय हो पति देवता

आज सुबह की ही बात है कि पतिदेव नहाने के बाद अपनी शर्ट कहीं रखकर भूल गए। अब जिद भी यही कि उनको वही शर्ट पहनकर भी जानी है। काफी देर तक उनका रिकार्ड सुनने के बाद मैंने शर्ट ढूंढ़कर दे तो दी लेकिन वह पहनने लायक नहीं रह गई थी। जनाब ने तौलिया समझकर […]

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वाह रे वाह ‘पॉपकॉर्न-कल्चर

मॉल-कल्चर में मल्टीसिनेप्लेक्स- कल्चर और पॉपकार्न भी समाए होते हैं। पॉपकार्न वैसे देखा जाए तो हमारी देशी संस्कृति मक्का की फुली का ही अंग्रेजी संस्करण है, जो कि मेड बाई भट्टी के स्थान पर मेड बाई मशीन बन गया है। जिस पर अत्यधिक कीमत वाला पॉपकार्न-कल्चर का स्टीकर चिपका दिया जाता है। मक्का की फुली […]

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जै हो गैया मैया की – गृहलक्ष्मी कहानियां

शहर की स्वच्छता को चार-चांद लगाते उस सिविल अस्पताल के पिछवाड़े में खाने लायक कुछ ढूंढने वह वह रोज वहां आती थी। वह आती और बड़ी दिलेरी से रोगियों की जूठन या फिर फलों के सड़े गले छिलके तक खाने में वह गुरेज न करती और उस ढेर पर चढ़ती चली जाती, एक ही झटके में, देश के स्वास्थ्य नियमों को ठेंगा दिखाने की नीयत से शायद। इंजेक्शन की सुईयां तो रोगी तक को नहीं चूकती तो फिर उसके नंगे नखों को छलनी करने से क्योंकर कतराती?

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मेरे सामने वाली खिड़की में – गृहलक्ष्मी कहानियां

मिसेज गुप्ता नारी जाति पर अब तक हुए तमाम अत्याचारों का बदला अकेले गुप्ता जी से ले रही हैं। मेरी उनके साथ पूरी सिमपैथी है, परन्तु मैं विवश हूं उनकी हैल्प करना, मिसेज गुप्ता का कोपभाजन बनना है।

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हाय हाय ये महंगाई – गृहलक्ष्मी कहानियां

धन्य है हमारी श्रीमती जी, जिन्होंने महंगाई से जंग लडऩे का संकल्प लिया। लाख समझाया कि तुम्हारे वश की बात नहीं, तो कहने लगी अपनी असफलताओं से ही सबक लेना चाहिए

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फोटो सास-ससुर की – गृहलक्ष्मी कहानियां

सास-ससुर की फोटो घर में टांगना यानी नई परम्परा का सूत्रपात और नारी को समान अधिकार दिये जाने की दिशा में सराहनीय काम।

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मोहल्ले का इकलौता नल – गृहलक्ष्मी कहानियां

जिस मकान के सामने नल लगा था, उन्हें लोग कह रहे थे आप मजे में रहे। लेकिन अगली सुबह ही उस परिवार को समझ आ गया कि वह किस मुसीबत में पड़ गए हैं..

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पत्नीजी का ‘ऑड-ईवन’ फार्मूला – गृहलक्ष्मी कहानियां

हम पतिधर्म निभाते हुए सुनते रहे। लाचारी में कोई विकल्प होता भी नहीं। नए सिस्टम के अनुसार सोम, बुधवार, शुक्रवार को किचन की जिम्मेदारी पत्नीजी पर और मंगल, बृहस्पति, शनिवार को हमारी। नहीं पता, मेरे हिस्से सम आया या विषम, लेकिन सुनते ही कंपकंपी छूट गई।

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जुनून कुत्ता पालने का – गृहलक्ष्मी कहानियां

कुत्ता पालना हमारे उच्च रहन-सहन का प्रतीक माना जाता है, तो क्यूं न मैं भी इसका भरपूर फायदा लूं। उन्हें घुमाने के बहाने ही सही, खुली हवा का आनंद उठाऊं।

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