व्हाट्सएप की लोकप्रियता इतनी है कि फिल्मी हस्तियां हों, धर्मगुरु या नेता इसका लाभ सभी उठा रहे हैं, सो अपने पिछड़ेपन पर पछताते हुए हमने भी इस बार एक लम्बे-चौड़े स्क्रीनवाला एंड्रॉयड फोन खरीद ही लिया और गदगद भाव से खुल जा सिम-सिम की तजऱ् पर सिम कार्ड लगाते ही हम भी व्हाट्सएप की यूज़र्स फ्रेंडली तिलिस्मी दुनिया की दहलीज़ पर जा खड़े हुए। पलकें खुलीं तो झपकना भूल चुकी थीं। सच मानिए किसी इंद्रजाल से कतई कम नहीं है व्हाट्सएप, जो रोज़मर्रा की थकी, ऊबाऊ जि़न्दगी से लेना-देना रखते हुए भी नहीं रखता।

धमाकेदार चुटकुले, दिल धडक़ाते जुमले, मोटिवेशनल कोट्स, वॉयस मैसेजेस और लुभाते इमोटिकॉन्स जो आपका हाले दिल बड़ी मासूमियत से बयां करते हैं।

जादू सर चढक़र बोलने लगा। लगा देश के आएं न आएं हमारे अच्छे दिन आ गए। हम व्हाट्सएप की दुनिया में गले तक डूब चुके हैं। सुबह अखबार की जगह चाय की गर्मागर्म चुस्कियों के साथ एंड्रॉयड फोन यह सबसे बड़ा परिवर्तन आया हमारी जि़न्दगी में। सुबह-सवेरे से जो सुप्रभात और गुड मॉॄनग के पोस्टर्स, मैसेजेस, सुरीली धुनें… सिलसिला शुरू होता तो आधी रात तक बस चलता ही रहता…।

हमें भी आखिर लत लग ही गई। जिन यारों-दोस्तों से मिले ज़माने बीत जाया करते थे, उनसे अब रोज़ाना गुफ्तगू होती। भला इत्ते से नेट रीचार्ज में इतना सारा और कहां मिलेगा? हम लगे रहे गैर मौजूदगी में भी अपनी मौजूदगी दजऱ् कराते हुए। अखबार से हमारा नाता टूटने का हमें कोई अफसोस भी न था, क्योंकि व्हाट्सएप तो पलक झपकते हर सुर्खी को एक फूंक में फैला दिया करता। बड़े-बुजुर्गों की बातें लकीर के फकीर की तरह माननेवाला हमारा दिल मानने को तैयार नहीं कि नशा तो नशा है, व्हाट्सएप का सही।

शुरू-शुरू में अजीब लगने वाली बात- बेबात ओएमजी! जीभ निकाले, आंख मारते, पप्पियां उड़ाते इमोटिकॉन्स भेजने में हमारे संस्कारी दिलो-दिमाग को थोड़ी अचकचाहट हुई हो, पर झेंप मिटते ही हम इनकी खुद भी धुंआधार बारिशें करने लगे। तहेदिल से हर तहरीर के आगे-पीछे, ऊपर-नीचे इनके चार चांद हम बखूबी लगाते। आये दिन इमोशनली आउट ऑफ कंट्रोल होकर कोई न कोई ऊट पटांग मैसेज भेज देता है तो हम ज़रा सकपका जाते हैं –

अकबर ने खरीदे तीन-तीन घोड़े,

आजा-आजा दिल निचोड़ें,

रात की मटकी फोड़ें।

लडक़े ने लडक़ी, लडक़ी ने लडक़े को किया गाल पे किस। म्यूचुअल फंड्स आर सब्जेक्टेड टु मार्केट रिस्क्स।

अब भई भारत है आस्थाओं का देश! जहां पार्लियामेंट के दरवाज़े तक बिना पूजा-पाठ किये नहीं खुलते और सत्र शुरू होने से पहले पंचांग देखा जाता है, ऐसे में भला अंधविश्वास फैलाते मैसेजों को क्या दोष दें।

मैसेज आता है…- इस मैसेज को इक्कीस लोगों को तुरंत फॉरवर्ड करो वरना दो दिन के अंदर बर्बाद हो जाओगे। क्या करें, इन्हें कुढक़र डिलीट करने के सिवाय हमारे पास कोई चारा नहीं है पर अगले तीन दिन तक हम आनेवाली कयामत से खौफ खा थर्राते रहते हैं। इसके बावजूद हमारी खुशियां मुकम्मल थीं कि एकदिन हमारी इन्होंने हमें चेताया कि हम निहायत छिछोरे होते जा रहे हैं। सारा कीमती वक्त प्रोफाइल और स्टेट्स अपडेट करने में गंवा रहे हैं। सच है, हर पांचवे मिनट पर हम अपडेट करते हैं और मैसेज पानेवाले ने पढ़ा कि नहीं जानने की बेताबी में बार-बार फोन ऑन-ऑफ करते रहते हैं। जब तक ब्लू टिक न हो जाए हमारी बांछें नहीं खिलतीं और जब खिलती हैं तो वो ताड़े बिना नहीं रहतीं।

हमने उनकी और हिदायतों की तरह इसे भी अनसुना कर दिया। आखिर वे पैर पटकती मायके चली गयीं, व्हाट्सएप्प बंद करने पर ही लौटेंगी कहकर। उन सात दिनों में हमें टुनटुनाती धुनों के साथ भेजे गए ‘गेट वेल सून’ के मैसेजेस खब्त से लगने लगे। वे न दर्द की टिकिया थे न एक प्याली गर्म चाय। ऐसे में छप्प से एक मैसेज हमारे व्हाट्सएप्प की झोली में गिरा। चाय की भाप उठती प्याली के साथ लिखा था- कप-प्लेट धोकर वापस कर देना। कल फिर चाय पिलाएंगे!! आप समझ गए होंगे हमें कैसा लगा होगा! लगा अच्छे दिन अपनी समाप्ति पर हैं… ले देकर हमने भी सोच लिया है हमारे जैसे संवेदनशील इंसान के लिए व्हाट्सएप की दुनिया नहीं है। हम व्हाट्सएप से तौबा ही कर लेंगेे। आप बस दुआ कीजिये कि हम इस हिप्नोटिक दुनिया से बाहर आ जाएं। 

यह भी पढ़ें –सुरक्षा कवच – गृहलक्ष्मी कहानियां

-आपको यह कहानी कैसी लगी? अपनी प्रतिक्रियाएं जरुर भेजें। प्रतिक्रियाओं के साथ ही आप अपनी कहानियां भी हमें ई-मेल कर सकते हैं-Editor@grehlakshmi.com

-डायमंड पॉकेट बुक्स की अन्य रोचक कहानियों और प्रसिद्ध साहित्यकारों की रचनाओं को खरीदने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें-https://bit.ly/39Vn1ji