सभी को दीपोत्सव की अनेक शुभकामनाएं-गृहलक्ष्मी की कविता
Sabhi ko Dipotsav ki Anek Subhkamnae

Diwali Hindi Poem: जिसने आंगन मेरा रोशन किया है ,
वह एक माटी का दीया है।
बड़े ही प्यार से होगा दुलारा,
चढ़ा कर चाक पर होगा संवारा।
मृत माटी में जान डाली है,
कला तेरी भी क्या निराली है।
थपकियाँ तेज बाहर दे रहा है,
और भीतर से सहारा भी दिया है।
जिसने आंगन मेरा रोशन किया है,
तेज़ धूप में खुद जल रहा है,
एक आकार में वो ढल रहा है।
उत्सव दीपों वाला आया है,
वो कुम्हार फिर तनिक हर्षाया है।
बड़ी उम्मीद लेकर आँखों में,
बाज़ार को फिर चल दिया है।
जिसने आंगन मेरा रोशन किया है,
किसी का चेहरा खिलखिला जाये,
उसके घर में भी दिवाली आये ।
अपनी संस्कृति को चलो अपनाते हैं,
अबकी मिट्टी के दीये जलाते हैं।
उसकी मेहनत ख़रीद लेना तुम,
जिसने जगमग शहर सारा किया है।
जिसने आंगन मेरा रोशन किया है,
वह एक माटी का दीया है।

Also read: दीपोत्सव-गृ​हलक्ष्मी की कविता