Hindi Poem: मैं हिन्दुस्तान की बेटी,मेरी पहचान है हिन्दी।मुझे प्यारी है हर भाषा,मगर अभिमान है हिन्दी। निहित करुणा है माँ जैसी,पिता सा प्यार है जिसमें।प्रकट भावों को जो करती है,वो आधार है हिन्दी। ये संस्कृत की दुलारी है,जुबाँ सबसे ये न्यारी है।सहज, मीठी,मनोरम सी,मगर फिर भी बेचारी है। कहीं गुम सी हुई है आजकल,जाने क्यों […]
Author Archives: कामिनी मिश्रा
मोबाइल-गृहलक्ष्मी की कविता
Short Hindi Poem: अब दिन भर मोबाइल में उलझी रहती हूँ,इन्स्टा और फेसबुक पर ही बिज़ी रहती हूँ।मुलाकात नहीं होती किसी से फिर भीस्टेटस पर हर दम ही दिखती रहती हूँ। किचन में भी अब कहाँ मन लगता है,दाल,चावल भी बड़ी मुश्किल से पकता है।कोमेन्टस तो कभी लाइक गिनती रहती हूँ,अब दिन भर मोबाइल में […]
सभी को दीपोत्सव की अनेक शुभकामनाएं-गृहलक्ष्मी की कविता
Diwali Hindi Poem: जिसने आंगन मेरा रोशन किया है ,वह एक माटी का दीया है।बड़े ही प्यार से होगा दुलारा,चढ़ा कर चाक पर होगा संवारा।मृत माटी में जान डाली है,कला तेरी भी क्या निराली है।थपकियाँ तेज बाहर दे रहा है,और भीतर से सहारा भी दिया है।जिसने आंगन मेरा रोशन किया है,तेज़ धूप में खुद जल […]
तर्पण—गृहलक्ष्मी की कविता
Hindi Poem: अब कुछ दिन तक खूब पूजे जायेंगे,क्या वो सचमुच धरती पर आयेंगे ?दाल रोटी जिन्हें ना मिली समय से,वो सुबह – सुबह ही खीर पूरी खायेंगे। क्या वो ————- दो घड़ी उसके साथ बिताया नहीं कभी,पुत्र होने का कर्तव्य निभाया नहीं कभी ।उनको जीते – जी तृप्त नहीं कर पाए जो,वहीं आज कल तर्पण […]
सभी शिक्षकों को समर्पित-गृहलक्ष्मी की कविता
Poem for Teacher: गीली मिट्टी को ठोंक पीट,देकर आकार सजाते है।बनती है तभी इमारत,जब वो नींव की ईंट बनाते हैं। देकर किताब हाथों मे ,वो पढ़ना लिखना सिखलाते हैं।‘क’ से कोरे कागज को‘ज्ञ’ ज्ञानी तक ले जाते है। उन नन्हैं मुन्ने वर्तमान को देश का भविष्य बनाते है।वो शिक्षक है जो घर घर मे,शिक्षा की अलख […]
भारत का गुणगान-गृहलक्ष्मी की कविता
Independence Hindi Poem: भारत की इस पावन धरा की, क्या सुनायें दास्तां,मेरे वतन प्यारे वतन शत् शत् नमन तुमको सदा। करता हिफाज़त हिमपति,जो हिंद का सिरमौर है।पावन बहे भागीरथी, धरती पे जैसे स्वर्ग है।सागर पखारे नित् चरण,गोदी मे कुदरत की बसा।ऐसे शिरोमणि देश की,हम क्या सुधारें दास्तां। जाति धर्म का भेद ना, रहते हैं सब […]
