सभी शिक्षकों को समर्पित-गृहलक्ष्मी की कविता
Sabhi Sikshako ko Samarpit

Poem for Teacher: गीली मिट्टी को ठोंक पीट,
देकर आकार सजाते है।
बनती है तभी इमारत,
जब वो नींव की ईंट बनाते हैं।

देकर किताब हाथों मे ,
वो पढ़ना लिखना सिखलाते हैं।
‘क’ से कोरे कागज को
‘ज्ञ’ ज्ञानी तक ले जाते है।

उन नन्हैं मुन्ने वर्तमान को
 देश का भविष्य बनाते है।
वो शिक्षक है जो घर घर मे,
शिक्षा की अलख जगाते हैं।

लक्ष्य साधने का कौशल ,
जब कोई गुरू सिखाता है।
तभी कोई अर्जुन मछली की,
आँख भेद कर आता है।

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