andhera hote hee…… samet lo
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भारत कथा माला

उन अनाम वैरागी-मिरासी व भांड नाम से जाने जाने वाले लोक गायकों, घुमक्कड़  साधुओं  और हमारे समाज परिवार के अनेक पुरखों को जिनकी बदौलत ये अनमोल कथाएँ पीढ़ी दर पीढ़ी होती हुई हम तक पहुँची हैं

एक गांव में एक विधवा रहती थी। उसका एक बेटा था, उसे रात को दिखाई नहीं देता था। विधवा उसकी शादी कर देती है। शादी के कुछ दिन बाद उसकी पत्नी मायके चली जाती है। उसका बेटा उसे बुलाने के लिए ससुराल जाना चाहता है, पर मां कहती है- “नहीं बेटा! तुझे रात को दिखाई नहीं देता है और हमने यह बात उनसे छिपाई है अगर तुम वहां जाओगे तो यह राज खुल जाएगा। पर बेटा जिद पकड़ता है कि वह वहां जरूर जाएगा। तब मां कहती है- “देख बेटा तुझे रात को दिखाई नहीं देता है और तुम मेरी बात भी नहीं सुन रहे हो। ठीक है, पर ध्यान रख तुम्हें दिखाई नहीं देता है यह बात उन्हें पता ना चले।”

बेटा ससुराल की राह पकड़ता है। शाम होने से पहले ससुराल पहुंचने के लिए तेज कदम उठाता है। पर जब तक वह पहुँचता तब तक अंधेरा हो जाता है। तब उसे मां की बात याद आती है। वह वहीं ससुर की गोबर फेंकने की जगह पर बैठ जाता है तभी वहां सास आती है। और उसके ऊपर कचरा, गोबर डाल देती है। वह दीप जलाने का समय था, दामाद को वहां देख कर वह बहुत दुखी होती है और सोचती है- यह मैंने क्या किया और आंचल मुंह को लगाते हुए वहां से भाग जाती है। घर जाकर वह सोचती है कहीं दामाद नाराज होकर वहीं से लौट ना जाए इसलिए अपने नौ साल के छोटे बेटे को दामाद के पास भेजती है और उन्हें घर लाने के लिए कहती है।

उस लड़के को जीजा से बहुत प्रेम था, इसलिए भागते हुए वहां जाता है और उन्हें पूछता है- “जीजा जी आप यहां क्यों बैठे हैं, चलिए घर जाएंगे कहते हुए उनका हाथ पकड़ता है”। अंधा बहुत होशियार था, इसलिए कहता है “मैं ऐसे ही नहीं बैठा हूँ, मैं यह जाँच-पड़ताल कर रहा था कि इस गड्ढे में कितने गाड़ी गोबर भर सकते हैं”। फिर साले की पीठ थपथपाते हुए उसका हाथ पकड़कर आगे बढ़ता है। तभी वहां पर भैंस आ जाती है और वह आवाज से पहचान लेता है। साले को पूछता है, ये भैंसें किसके हैं? लड़का बोलता है- “हमारे हैं”। फिर वह लड़के का हाथ छोड़कर भैंस की पूछ को पकड़ लेता है ताकि किसी को शक ना हो। थोड़ी दूर आने के बाद वह एक गड्ढे में गिर जाता है। साला पूछता है क्यों जीजा जी दिखाई नहीं देता, आप कैसे गिर गए, ऊपर आइए ऊपर, कहते उसे खींचने लगता है। अंधा कहता है, नहीं मैं देख रहा था गड्ढे की गहराई कितनी है। इसमें कितना धान हम भर सकते हैं। फिर दोनों आगे बढ़ते हैं। अंधा दीवार पकड़ कर चलने लगता है यह देखकर साला पूछता है जीजा जी आप दीवार पकड़ कर क्यों चल रहे हैं? आपको दिखाई नहीं देता? अंधा तब कहता है- “मैं दीवार को नाप रहा था”। फिर तभी वहां पर एक भेड़िया आता है और उसे गिरा देता है। तब लड़का पूछता है, क्यों आपको वह दिखाई नहीं दिया? “नहीं-नहीं मुझे दिखाई दिया, मैं देख रहा था वह कितना अच्छा है, कितना बड़ा है, मैं हट रहा था पर वह बहुत तेजी से आयी। पर आपने उसे धक्का देना क्यों सिखाया है?”

रात को सभी भोजन के लिए बैठे रहते हैं। सास खाना परोसने के लिए आती है। उसके पांव की पायल, बिछवे हाथ के कंगन सभी की छन-छन-छन आवाज सुनाई देती है। वह सोचता है भेड़िया वहां पर भी आया होगा इसलिए बगल में रखें लोटे को उठाकर मार देता है। सास घबरा जाती है और वहां से भाग जाती है। वह समझती है शायद मैंने शाम को उनके सिर पर कचरा फेंका था इसीलिए नाराज होकर उन्होंने ऐसा किया है। कुछ लोग समझते हैं, शायद बीवी ने खाना नहीं परोसा होगा इसीलिए उन्होंने ऐसा किया। सबका खाना हो जाता है, सभी अपने कमरे में सोने चले जाते हैं।

सास-ससुर एक कमरे में, अंधा और उसकी बीवी एक कमरे में, साला और अन्य सभी बच्चे बाहर आंगन में सोए हुए रहते हैं। मध्य रात्रि अंधा दामाद पेशाब करने के लिए बाहर आता है। पर जाते समय वह राह भटकता है। अपने कमरे के बदले सास-ससुर के कमरे में चला जाता है। धीरे से जाकर वह सास के पैरों को पकड़ता है। सास जाग जाती है। मध्य रात्रि को दामाद को वहां देख घबरा जाती है। और पूछती हैं- “दामाजी इतनी देर रात आप यहां क्या कर रहे हैं?” अंधा होशियार था इसलिए कहता है- “सासू मां मैंने आप को मारा इसीलिए मुझे बहुत दुख हो रहा था। इसलिए क्षमा मांगने के लिए आया हूं। कृपया मुझे गलत मत समझिए। क्षमा कर दीजिए”। दामाद की बातें सुनकर सास को बहुत दुख होता है। वह सोचने लगती है कितना अच्छा दामाद मिला है मुझे। अंधा बार-बार मेरी गलती हुई क्षमा कर दीजिए, मेरी गलती हुई क्षमा कर दीजिए कहने लगता है। उसकी आवाज सुनकर उसकी पत्नी वहां पर आ जाती हैं। दूसरे लोग या आसपास के लोग गलत ना समझे इसलिए उसे उठाते हए कहती है- “अब बहत देर हई है कमरे में चलिए, हम सुबह बात करेंगे” कहते हुए पति का हाथ पकड़ कर अपने कमरे में ले जाती है।

पत्नी की हां में हां भरते हुए अंधा वहां से चला जाता है। सुबह होते ही वह पत्नी के साथ सास ससुर के पास आता है और उन्हें प्रणाम कहकर घर का रास्ता पकडता है। जो भी हो उन्हें उसके अंधेपन का पता नहीं चला, यह सोचते हुए अपने आप पर गर्व करते हुए वहां से चल पड़ता है।

भारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा मालाभारत की आजादी के 75 वर्ष (अमृत महोत्सव) पूर्ण होने पर डायमंड बुक्स द्वारा ‘भारत कथा माला’ का अद्भुत प्रकाशन।’