तलाक से पहले कोर्ट का ये डिसीजन बढ़ा सकता है रिश्‍ते की अहमियत, जानें इसके प्रोज और कॉन्‍स: Trial Separation Pros And Cons
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Trial Separation Pros And Cons: कई बार शादी में ऐसी परेशानियां आती हैं, जिसके कारण कपल्‍स के बीच लगातार बहस और झगड़े होने लगते हैं। असहमती के कारण कई बार अलगाव की स्थिति भी उत्‍पन्‍न हो जाती है। लेकिन तलाक के लिए सब्मिशन एक बड़ा और साहसिक कदम हो सकता है। तलाक के पहले कोर्ट द्वारा कपल्‍स को ट्रायल सेपरेशन एग्रीमेंट दिया जाता है, जिसके तहत कपल्‍स को अपनी शादी को बचाने और उसे दोबारा से खुशनुमा बनाने का मौका दिया जाता है। इसके लिए कपल्‍स को छह महीने मिलते हैं। हालांकि ये एक बेहतरीन समय हो सकता अपने रिश्‍ते के बारे में दोबारा से विचार करने का। ट्रायल सेपरेशन के कई प्रोज और कॉन्‍स हैं जिसकी जानकारी होना बेहद जरूरी है। तो चलिए जानते हैं इसके बारे में।

क्‍या है ट्रायल सेपरेशन

Trial Separation Pros And Cons
what is trial separation

ये एक नॉन-फॉर्मल समझौता है जिसके तहत कुछ समय के लिए कपल्‍स को एक-दूसरे से अलग रहने का मौका दिया जाता है। ताकि जीवनसाथी शांत दिमाग और मन से रिश्‍ते के भविष्‍य के बारे में सोच सकें। ट्रायल सेपरेशन को आमतौर पर तलाक की ओर पहला कदम माना जाता है। हालांकि कुछ समय बाद पार्टनर अपना मन बदल सकते हैं और फिर से एक-साथ रह सकते हैं। कई बार मुश्किल समय को हैंडल करने और पार्टनर की कमी को महसूस करने का ट्रायल सेपरेशन सही समाधान हो सकता है। हालांकि कानूनी रूप से दोनों विवाहित ही होते हैं। अलगाव की शर्तें आमतौर पर कपल्‍स पर निर्भर करती हैं।

ट्रायल सेपरेशन में क्‍या करें

ट्रायल सेपरेशन तलाक की तरह मुश्किल नहीं होता लेकिन इसमें भी कुछ व्‍यवस्‍थाएं शामिल होती हैं। ट्रायल सेपरेशन के लिए खुद को तैयार करने के लिए कुछ बातों का ध्‍यान रखना जरूरी होता है।

रूल्‍स बनाएं

ये जरूरी नहीं कि सेपरेशन पीरियड में पति-पत्‍नी द्वारा पालन किए जाने वाले रूल्‍स बेहतर काम करें। ये नियम तलाक को रोक सकते हैं या नहीं, लेकिन ये गलतफहमियों को जरूर कम कर सकते हैं। कब और किस विषय में बात कर सकते हैं आदि के लिए रूल्‍स बनाएं। ताकि सेपरेशन टाइम स्‍मूद निकले।

सेपरेशन टाइम सेट करें

ट्रायल सेपरेशन कितने समय के लिए होना चाहिए ये पूरी तरह से कपल पर डिपेंड करता है। इसका टाइम पीरियड न तो बहुत छोटा होना चाहिए और न ही बहुत बड़ा। ये अस्‍थायी होता है और कपल्‍स की सहमति के आधार पर लगभग तीन से छह महीने तक हो सकती है। अगर आप बहुत लंबे पीरियड का चुनाव करते हैं तो आपको अकेले रहने की आदत हो जाएगी और तलाक की संभावना बढ़ सकती है।

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लक्ष्‍यों का मूल्‍यांकन करें

जब आप अलग और अकेले रहने लगते हैं तो आप तलाक लेने की योजना बना सकते हैं। इसलिए अलग होने से पहले एक-दूसरे से बात करें और तय करें कि अलग होना जरूरी है या नहीं। अलगाव होने की अवधि के बीच में संपर्क करें और जानने का प्रयास करें कि दोनों अपने लक्ष्‍य की ओर बढ़ रहे हैं या नहीं।

ट्रायल सेपरेशन के प्रोज

Trial separation case
Trial separation case

– ट्रायल सेपरेशन का एक सबसे बड़ा फायदा ये होता है कि आप रिश्‍ते के बारे में सही ढंग से सोच पाते हैं। इससे शादी को बचाने की उम्‍मीद होती है।

– ट्रायल सेपरेशन के दौरान, आप अपने दम पर वित्‍त, घरेलू कामों और जिम्‍मेदारियों को प्रबंधित करने के बारे में सीख सकते हैं।

– ट्रायल सेपरेशन आपको समझदार निर्णय लेने के लिए पर्याप्‍त समय दे सकता है।

– आप ट्रायल सेपरेशन के बारे में केवल इसलिए सोचते हैं क्‍योंकि आपकी शादी अच्‍छी नहीं चल रही है। लेकिन थोड़ी सी स्‍पेस सारी नकारात्‍मकता को खत्‍म कर सकता है।

– ये आपको जल्‍दबाजी में निर्णय लेने से रोकता है जिससे आपको बाद में पछताना पड़ सकता है। अलग होने से आप काउंसलिंग की मदद ले सकते हैं।

ट्रायल सेपरेशन के कॉन्‍स

– ट्रायल सेपरेशन के सबसे खराब कॉन्‍स में है बच्‍चों को इस बारे में बताना। इससे उनमें तनाव और चिंता का विकास हो सकता है।

– पति-पत्‍नी के बीच दूरियां बढ़ सकती हैं और वे अलग रहना पसंद कर सकते हैं।

– अगर पत्‍नी कमाऊ नहीं है तो इस दौरान फाइनेंशियल प्रॉब्‍लम आ सकती हैं।

– कई कपल्‍स के बीच ये प्रक्रिया काम कर सकती है लेकिन दूसरी ओर ये तलाक के निर्णय को अधिक मजबूत कर सकता है।