Certain Vastu defects like a bedroom in the wrong direction or mirrors facing the bed can create tension between couples
Relationship comparison toxic habit

Overview:

समलैंगिकता से जुड़े शब्दों का अर्थ जहां ज्यादातर लोग अब काफी हद तक समझने लगे हैं, वहीं आज भी अधिकांश लोग इस नए शब्द 'एसेक्‍सुअलिटी' का अर्थ और इसके पीछे की भावना से अनजान हैं।

Asexual Relationship Meaning: पिछले कुछ सालों में ओटीटी प्लेटफॉर्म पर सेक्सुअलिटी को लेकर ढेर सारे कंटेंट सामने आए हैं। जिसके कारण लोगों में सेक्सुअ​लिटी को लेकर और इनके बारे में जानने को लेकर रुचियां भी बढ़ी हैं। लेस्बियन, होमोसेक्सुअल, बायो सेक्सुअलिटी के साथ ही इस दौर में एक नया शब्द भी लोगों के सामने आया, जो है ‘एसेक्सुअलिटी’। समलैंगिकता से जुड़े शब्दों का अर्थ जहां ज्यादातर लोग अब काफी हद तक समझने लगे हैं, वहीं आज भी अधिकांश लोग इस नए शब्द ‘एसेक्‍सुअलिटी’ का अर्थ और इसके पीछे की भावना से अनजान हैं। आखिर रिश्तों की दुनिया में एसेक्सुअलिटी कहां खड़ी है और इसके क्या मायने हैं, यह जानना चाहते हैं तो यह आर्टिकल आपके मन में आए सभी सवालों का जवाब देगा।

एसेक्सुअलिटी के ये हैं मायने

Asexual Relationship Meaning-एसेक्सुअलिटी का मतलब है कोई ऐसा शख्स जिसे यौन संबंधों में कोई रुचि न हो।
Asexuality means someone who has no interest in sexual relations.

एसेक्सुअलिटी का मतलब है कोई ऐसा शख्स जिसे यौन संबंधों में कोई रुचि न हो। यानी ऐसा व्यक्ति जो स्त्री हो या पुरुष किसी के भी प्रति यौन आकर्षण का अनुभव नहीं करता है। हालांकि इसका यह मतलब बिलकुल नहीं है कि ऐसा व्यक्ति ब्रह्मचर्य है। एसेक्सुअलिटी ब्रह्मचर्य से अलग है। क्योंकि ब्रह्मचर्य में आप यौन व्यवहार में संलग्न हो सकते हैं, लेकिन फिर भी अपनी इंद्रियों को वश में करके आप इसपर नियंत्रण करते हैं। ऐसे में ब्रह्मचर्य आपका एक विकल्प है, जो आप खुद चुनते हैं। वहीं दूसरी ओर एसेक्सुअल इंसान भले ही यौन आकर्षण महसूस न करता हो, लेकिन फिर भी वह यौन व्यवहार में संलग्न हो सकता है। ध्यान रखें एसेक्सुअल होना कोई मेडिकल कंडीशन नहीं है। यानी यह कोई कमी नहीं है। एक पूरी तरह सेहतमंद इंसान भी एसेक्सुअल हो सकता है। बस वह यौन आकर्षण महसूस नहीं करता है।

इस बारीक अंतर को समझना है जरूरी

ग्रे-ए, ग्रे-एसेक्सुअलिटी, ग्रे-सेक्सुअल सभी में थोड़ा-थोड़ा अंतर है। एसेक्सुअलिटी को समझने के लिए इन्हें जानना भी जरूरी है। ये सभी शब्द ऐसे व्यक्तियों के लिए उपयोग किए जाते हैं कभी कभी यौन इच्छा महसूस करते हैं और कभी उसकी रुचियां इसमें नहीं होती हैं। वहीं एसेक्सुअलिटी में इंसान किसी से प्यार तो कर सकता है, लेकिन यौन आकर्षण वह महसूस नहीं करता है। दूसरी ओर डेमिसेक्सुअल व्यक्ति प्राथमिक तौर पर यौन आकर्षण का अनुभव नहीं करते हैं, लेकिन जब वह किसी के साथ भावनात्मक संबंध में गहराई से जुड़ जाते हैं तो वह उनके प्रति यौन आकर्षण भी महसूस करने लगते हैं। वहीं हेट्रोसेक्सुअल लोग दूसरे लिंग के प्रति आकर्षित होते हैं, जो बहुत ही नॉर्मल होता है। होमोसेक्सुअलिटी में इंसान समान लिंग के प्रति आकर्षित होता है।

ऐसे पहचानें एसेक्सुअलिटी को

अब सवाल यह है कि एसेक्सुअलिटी को आप कैसे पहचान सकते हैं। सबसे पहले तो यह समझने की जरूरत है कि यह बहुत ही सामान्य और प्राकृतिक है। यह कोई बीमारी या कमी नहीं है। वैसे भी एसेक्सुअलिटी के ऐसे कोई संकेत नहीं है, जिसे दूसरे महसूस कर सकते हैं। इसे पहचानने के लिए आपको सिर्फ अपने मन और इच्छाओं पर गौर करना होगा। अगर आप किसी भी महिला या पुरुष की ओर यौन आकर्षण महसूस नहीं कर रहे हैं तो आप एसेक्सुअलिटी की श्रेणी में आते हैं। एसेक्सुअलिटी का यह भी मतलब नहीं है कि यह बदल नहीं सकती। कभी-कभी आपकी भावनाएं समय के साथ बदल भी सकती हैं।

लव लाइफ जीते हैं एसेक्सुअल लोग

यौन आकर्षण से दूर होने का मतलब यह बिलकुल नहीं है कि एसेक्सुअल लोग लव लाइफ नहीं जी सकते।
Being away from sexual attraction does not at all mean that asexual people cannot live a love life.

एसेक्सुअल लोगों को लेकर कई प्रकार के सवाल भी लोगों के मन में होते हैं। यौन आकर्षण से दूर होने का मतलब यह बिलकुल नहीं है कि एसेक्सुअल लोग लव लाइफ नहीं जी सकते। ऐसे लोग बहुत ही आसानी से और सामान्य तौर पर लव लाइफ जीते हैं। वे अपने पार्टनर के साथ घूमते हैं, ट्रेवल करते हैं, अपने शौक पूरे करते हैं, बस वे यौन क्रियाओं से दूर रहते हैं। उत्तरी कैरोलिना विश्वविद्यालय के एक अध्ययन के अनुसार कई बार एसेक्सुअल लोग अपने पार्टनर की खुशी या फिर वंश को आगे बढ़ाने के लिए यौन संबंध भी बनाते हैं। हालांकि ऐसा होने की संभावना काफी कम होती है।

86% एसेक्सुअल लोगों को माना जाता है महिला

एसेक्सुअलिटी को लेकर दुनिया भर में कई अध्ययन हुए हैं। जिनमें कई बातें सामने आई हैं। साल 2022 में हुए एक अध्ययन में पाया गया कि चीन में 83% एसेक्सुअल और ग्रे-एसेक्सुअल लोग 12 महीने तक बिना संबंध बनाए रहे यानी वे अपनी पहचान पर अटल रहे। एसेक्सुअल महिलाएं और पुरुष दोनों ही हो सकते हैं। हालांकि इन्हें सामाजिक भेदभाव का अनुभव करना पड़ता है। एक अध्ययन के अनुसार एसेक्सुअल लोग समलैंगिक लोगों के मुकाबले भेदभाव का ज्यादा सामना करते हैं। 72% एसेक्सुअल लोग खुद को जेंडर क्वीर या नॉन-बाइनरी के रूप में पहचानते हैं। वहीं 86% को जन्म के समय महिला माना जाता है। एक अध्ययन में 59% एसेक्सुअल लोगों ने स्वीकारा कि वे किसी के साथ रोमांटिक संबंधों में शामिल हैं।

क्या जिंदगी भर चलती है एसेक्सुअलिटी

यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनोइस स्प्रिंगफील्ड के एक अध्ययन में सामने आया कि यह जरूरी नहीं है कि एसेक्सुअल लोग जिंदगीभर यौन क्रियाओं से दूर ही रहें। कई मामलों में ऐसे लोग अपने पार्टनर के प्यार और इच्छा के आगे अपनी भावनाओं को भूल जाते हैं और उनसे संबंध बना लेते हैं। ऐसे में एसेक्सुअलिटी जिंदगी भर रहे, यह जरूरी नहीं है। कभी कभी बिना इच्छाओं के भी ऐसे लोग पार्टनर की जरूरतों का सम्मान करते हैं।

कई चुनौतियां हैं एसेक्सुअल लोगों के सामने

सेक्स के प्रति जुनूनी और भ्रमित समाज में एसेक्सुअल लोगों के सामने ढेरों चुनौतियां हैं। एसेक्सुअल लोगों को अक्सर गलत समझा जाता है। समाज में उनकी पहचान को लेकर कई भ्रम रहते हैं। कुछ लोग इसे मानसिक समस्या समझते हैं, लेकिन असल में ऐसा नहीं है। यौन आकर्षण न होने के कारण कई बार इनकी लव लाइफ में तनाव हो सकता है। क्योंकि हर रोमांटिक रिश्ते में यौन संबंधों को जरूरी हिस्सा माना जाता है। इसी के साथ अधिकांश लोग एसेक्सुअलिटी के विषय में ज्यादा जानते नहीं, जिसके कारण ऐसे लोगों को गलत समझ लिया जाता है। परिवार भी उनकी स्थिति समझे बिना उनपर शादी और बच्चों के लिए दबाव बनाता है, जिससे वे मानसिक तनाव महसूस करते हैं। समाज में ऐसे में लोगों को समानता का दर्जा पाने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है।

मैं अंकिता शर्मा। मुझे मीडिया के तीनों माध्यम प्रिंट, डिजिटल और टीवी का करीब 18 साल का लंबा अनुभव है। मैंने राजस्थान के प्रतिष्ठित पत्रकारिता संस्थानों के साथ काम किया है। इसी के साथ मैं कई प्रतियोगी परीक्षाओं की किताबों की एडिटर भी...