Intimacy after Delivery: प्रसव के बाद अक्सर महिलाओं में सेक्स के प्रति अरुचि बढ़ जाती है, उसका कारण होता है नींद न पूरी होना और हार्मोन में बदलाव।
मातृत्व हर स्त्री के जीवन का सबसे सुंदर अनुभव होता है। एक ओर यह उसे संपूर्णता का एहसास कराता है, तो दूसरी ओर उसके जीवन और शरीर में कई बदलाव भी लाता है। बच्चे के जन्म के बाद अक्सर दंपती के संबंधों में एक अनकहा अंतर आ जाता है। पति-पत्नी अब केवल जीवनसाथी ही नहीं रहते, बल्कि माता-पिता भी बन जाते हैं। इस नई भूमिका के साथ उनकी जिम्मेदारियां बढ़ती हैं और समय का बड़ा हिस्सा बच्चे के पालन-पोषण और घर की जिम्मेदारियों में चला जाता है। यही कारण है कि कई बार रोमांस और सेक्स पीछे छूटने लगता है। लेकिन यह याद रखना जरूरी है कि
स्वस्थ यौन जीवन केवल शरीर के लिए नहीं, बल्कि रिश्ते और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी उतना ही अहम है।
शारीरिक और मानसिक बदलाव
बच्चे के जन्म के बाद स्त्री के शरीर में कई शारीरिक परिवर्तन होते हैं। हार्मोनल बदलाव, थकान, स्तनपान और नींद की कमी के कारण वह कमजोरी और चिड़चिड़ापन महसूस कर सकती है। वहीं
पति भी अक्सर यह सोचकर असमंजस में रहते हैं कि पत्नी की सेहत और मनोदशा को ध्यान में रखते हुए वे संबंधों को कैसे आगे बढ़ाएं। इस समय आपसी संवाद और धैर्य बहुत आवश्यक है। यदि पति-पत्नी एक-दूसरे की भावनाओं को समझें और सहयोग करें तो संबंध और भी गहरे हो सकते हैं।
प्रेम आत्मा से जुड़ा है

जैसा कि डॉक्टर मिक्की मेहता कहते हैं, ‘प्रेम अगर आत्मा से हो तो वह काम-रहित हो जाता है।’ इसका अर्थ है कि जब प्रेम शुद्ध आत्मिक स्तर पर होता है तो उसमें केवल शारीरिक इच्छा नहीं रहती, बल्कि गहरी आत्मीयता और अपनापन शामिल होता है। बच्चे के जन्म के बाद स्त्री और पुरुष अपने घर-परिवार और आने वाले भविष्य की राह में लीन हो जाते हैं। इस स्थिति में उनका प्रेम एक नये रूप में ढलता है। जहां वे केवल प्रेमी ही नहीं रहते बल्कि साथी, सहारा और माता-पिता भी
बन जाते हैं।
संतुलित खान-पान का महत्व
प्रसव के बाद शरीर को सबसे अधिक आवश्यकता होती है संतुलित आहार की। यदि आहार सही होगा तो स्त्री का शरीर जल्दी स्वस्थ होगा, ऊर्जा बनी रहेगी और मन भी प्रसन्न रहेगा। हरी सब्जियां, फल,
दालें, दूध और पौष्टिक अनाज का सेवन करने से न केवल शारीरिक शक्ति बढ़ती है, बल्कि मानसिक तनाव भी कम होता है। पति-पत्नी दोनों को चाहिए कि वे घर के खान-पान को पौष्टिक बनाएं। जब परिवार मिलकर स्वस्थ भोजन करता है तो संबंधों में भी सकारात्मक ऊर्जा आती है। यह
संतुलित जीवनशैली उनके यौन स्वास्थ्य को भी लंबे समय तक बनाए रखने में मदद
करती है।
प्रेम का नया रूप
‘जब बच्चा जन्म लेता है, तो पत्नी मां बन जाती है और पति पिता। इस समय स्त्री की यिन (yin ) और पुरुष की यांग (yang) ऊर्जा स्थानांतरित होकर बच्चे तक पहुंच जाती है। इस तरह प्रेम का रूपांतरण होता है और यह प्रेम अब शुद्ध होकर संतान में प्रवाहित हो जाता है। यही प्रेम का सबसे
पवित्र स्वरूप है।’
कैसे बनाए रखें अंतरंगता
संवाद बनाए रखें: अपने मन की बात एक-दूसरे से साझा करें।
छोटे-छोटे पल संजोए: बच्चे की देखभाल के बीच भी एक-दूसरे के लिए समय
निकालें।
मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान दें: योग, ध्यान और गहरी सांसें तनाव कम करती हैं।
संतुलित आहार और नींद लें: इससे शारीरिक ऊर्जा बनी रहती है।
मातृत्व और पितृत्व एक वरदान है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि पति-पत्नी के संबंध फीके पड़ जाएं। संतुलित खान-पान, आत्मीय संवाद और आत्मा से जुड़ा प्रेम संबंधों को और गहरा बना देता है। जब प्रेम शुद्ध होता है तो वह केवल शारीरिक नहीं रह जाता, बल्कि घर, परिवार और बच्चे के
भविष्य में रच-बस जाता है। यही जीवन का असली संतुलन है।
सेक्स का अर्थ प्रेम भी है
स्व-देखभाल को प्राथमिकता दें- अपने शरीर और मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखने से
आपका यौन स्वास्थ्य बेहतर होगा। इसका मतलब है अच्छा खाना, पर्याप्त नींद लेना,
तनाव प्रबंधन और सक्रिय रहना।
