प्रसव के बाद नई मां का व्यवहार क्यों बदलता है
बच्चे की सही देखभाल, उसे समय पर दूध पिलाना, उसे सुलाना, और अन्य जरूरतों को पूरा करना, सभी जिम्मेदारियाँ एक साथ आती हैं।
Delivery Effects of New Mother: प्रसव के बाद महिलाओं में कई शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक बदलाव होते हैं। इन बदलावों का असर न केवल उनकी शारीरिक स्थिति पर पड़ता है, बल्कि उनके व्यवहार और मानसिक स्थिति पर भी गहरा प्रभाव डालता है। हर नई मां के लिए यह समय चुनौतीपूर्ण होता है, और अक्सर यह देखा जाता है कि प्रसव के बाद महिलाओं का व्यवहार पूरी तरह से बदल जाता है। लेकिन यह बदलाव क्यों होता है?
आइए जानते हैं कि प्रसव के बाद नई मां का व्यवहार क्यों बदलता है और यह क्यों हर महिला में देखा जाता है।
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हार्मोनल बदलाव

प्रसव के बाद महिला के शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं, जो उसके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। गर्भावस्था के दौरान शरीर में कई हार्मोन जैसे प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ जाता है, लेकिन प्रसव के बाद इन हार्मोन का स्तर अचानक घटने लगता है। इसके परिणामस्वरूप महिला को मूड स्विंग्स, डिप्रेशन और चिंता जैसी परेशानी हो सकती है। इन हार्मोनल बदलावों के कारण ही नई मां का व्यवहार बदल सकता है।
नींद की कमी
नवजात शिशु के साथ नींद की कमी आमतौर पर नई मां के लिए एक गंभीर चुनौती बन जाती है। बच्चे को रात भर उठाकर दूध पिलाना, लोरी सुनाना या अन्य जरूरतों को पूरा करना, इन सब कारणों से मां की नींद पूरी नहीं हो पाती। नींद की कमी से थकान, चिड़चिड़ापन और मूड स्विंग्स हो सकते हैं। यही वजह है कि महिलाओं का व्यवहार बदल जाता है, और वे कई बार गुस्से में भी नजर आती हैं।
शारीरिक दर्द और असहजता
प्रसव के बाद महिलाओं को शारीरिक दर्द का सामना करना पड़ता है। चाहे यह सी-सेक्शन हो या सामान्य प्रसव, दोनों में ही महिला को शारीरिक दर्द होता है। इसके अलावा, स्तनपान के दौरान स्तनों में दर्द, घावों का ठीक होना और शरीर में अकड़न जैसी समस्याएं भी होती हैं। इन शारीरिक परेशानियों के कारण महिला का मूड प्रभावित हो सकता है।
नवजात शिशु की देखभाल

नई मां को अपने बच्चे की देखभाल की जिम्मेदारी संभालनी होती है। बच्चे की सही देखभाल, उसे समय पर दूध पिलाना, उसे सुलाना, और अन्य जरूरतों को पूरा करना, सभी जिम्मेदारियाँ एक साथ आती हैं। इस जिम्मेदारी से उत्पन्न तनाव महिला के मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालता है।
समाज से अपेक्षाएँ
समाज में यह धारणा होती है कि महिला को माँ बनने के बाद अपने बच्चे के लिए पूरी तरह से समर्पित और आदर्श होना चाहिए। समाज की ये अपेक्षाएँ नई माँ के मानसिक दबाव को और बढ़ा सकती हैं। वह यह महसूस कर सकती है कि उसे हर समय अपने बच्चे के लिए एक परफेक्ट मां बनना चाहिए, जो कि एक मानसिक दबाव पैदा करता है।
आध्यात्मिक और मानसिक परिवर्तन
प्रसव के बाद की प्रक्रिया में महिला का मानसिक रूप से पुनर्निर्माण होता है। एक ओर जहां वह एक नई जीवन के सृजन के अहसास से जुड़ी होती है, वहीं दूसरी ओर, उसके पास अपनी पहचान और जीवन के उद्देश्य को लेकर कई सवाल भी होते हैं।
भावनात्मक उतार-चढ़ाव

प्रसव के बाद महिलाओं में भावनात्मक उतार-चढ़ाव होना सामान्य बात है। एक ओर जहाँ वह अपने बच्चे के साथ प्यार और आत्मीयता महसूस करती हैं, वहीं दूसरी ओर, वे खुद को अकेला या अवसादित भी महसूस कर सकती हैं।
