Abusive Relationship: किसी भी रिश्ते में प्यार के साथ-साथ एक-दूसरे का सम्मान करना भी उतना ही जरूरी है। यह देखने में आता है कि अधिकतर जोड़े एक-दूसरे के साथ तो रहते हैं, लेकिन उनमें आपसी भरोसे व सम्मान की काफी कमी होती है। जिसके चलते रिश्ते में कड़वाहट घुलने लगती है।
कई बार ऐसा भी होता है कि पुरुष महिला से अपशब्द बोलने लगता है। गाली देने के अलावा दूसरों के सामने उसका मजाक उड़ाना या फिर हर छोटी-छोटी बात पर उसे ताने देने लगता है। भले ही पुरुष को इसमें कोई बुराई नजर ना आती हो, लेकिन इससे महिला के आत्म-सम्मान को बहुत अधिक चोट पहुंचती है। कई बार कंडीशन इतनी बिगड़ जाती है कि साथ में रह पाना भी काफी मुश्किल हो जाता है। लेकिन इस स्थिति में भी महिला अपने पार्टनर का साथ नहीं छोड़ती है। उसे अपमानजनक रिश्ते में रहना और घुट-घुटकर जीना मंजूर होता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि एक महिला चाहकर भी एब्यूसिव रिलेशन से बाहर क्यों नहीं आ पाती है। दरअसल, इसके पीछे कई वजहें होती हैं। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको ऐसे ही कुछ कारणों के बारे में बता रहे हैं-
फाइनेंशियल डिपेंडेंसी

अधिकतर महिलाएं एब्यूसिव रिलेशन में रहना इसलिए भी स्वीकारती हैं, क्योंकि वह आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर नहीं होती हैं। पार्टनर पर उनकी फाइनेंशियल डिपेंडेंसी उन्हें अलग होने की मंजूरी नहीं देती है। उन्हें लगता है कि भले ही उनका पार्टनर गुस्सैल है, लेकिन वह उनकी सभी जरूरतों को पूरा करता है। ऐसे में अगर वह अपने पार्टनर से अलग हो जाती हैं या फिर इस रिश्ते को तोड़ देती हैं तो इससे उनके लिए अपना खर्च उठाना काफी मुश्किल हो जाएगा या फिर वह ऐसा नहीं कर पाएंगी और उनका पूरा जीवन कष्ट में ही बीतेगा।
अकेलेपन का डर

बचपन से ही लड़कियों को यह सिखाया व समझाया जाता है कि उन्हें अपने जीवन को सुचारू रूप से चलाने के लिए पुरूष की आवश्यकता है। अगर घर में पुरूष नहीं होगा तो ऐसे में महिला खुद को सुरक्षित नहीं रखती है। पुरूष के बिना उनका कोई नहीं है। ऐसे में महिला को कभी भी खुद पर विश्वास नहीं होता है। उन्हें हमेशा ही एक अकेलेपन का डर सताता है। उन्हें लगता है कि अगर वह इस रिश्ते को तोड़ देंगी तो उन्हें अपना जीवन अकेले ही बिताना पड़ेगा। ऐसे में कोई भी उनका फायदा उठा सकता है। इस डर से वह कभी भी इस रिश्ते से बाहर ही नहीं आना चाहती।
बच्चों की चिंता

जो महिलाएं एक एब्यूसिव रिलेशन में हैं, लेकिन उनके बच्चे हैं। वे अपने बच्चों के कारण भी पार्टनर से अलग नहीं होना चाहती हैं। उन्हें लगता है कि भले ही पार्टनर उनके साथ बुरा बर्ताव करता है, लेकिन वह बच्चों की जरूरतों का ख्याल रखता है। बच्चों के सिर पर पिता का साया है। इतना ही नहीं, महिला के मन में यह ख्याल भी आता है कि कहीं अलग होने के बाद उसे अपने बच्चों से भी दूर ना होना पड़ जाए। इसलिए, उनके लिए साथ रहना ही उचित है। इस तरह बच्चों की चिंता उसे कभी एब्यूसिव रिलेशन से बाहर आने की अनुमति ही नहीं देती है।
सामाजिक मान्यता

ऐसी बहुत सी महिलाएं हैं, जो सिर्फ और सिर्फ समाज के डर के कारण एक बहुत बुरे रिश्ते को ताउम्र झेलती हैं। भले ही आज के समय में समाज कितना भी विकसित हो गया हो, लेकिन एक अकेली महिला को लेकर लोगों की सोच काफी अलग होती है। ऐसी महिलाओं को अपने हक पाने के लिए बहुत अधिक संघर्ष करना पड़ता है। उन्हें सामाजिक मान्यता भी सही तरह से नहीं मिल पाती है। यहां तक कि, घर में ही उसके पैरेंट्स व बच्चे कभी भी इस बात के लिए राजी नहीं होते हैं कि महिला एब्यूसिव रिलेशन से बाहर आकर अपनी जिन्दगी को फिर से एक मौका दे। ऐसे में महिला की हिम्मत टूट जाती है और वह उस रिश्ते को ही अपनी किस्मत समझकर झेलती चली जाती है।
आत्मविश्वास की कमी

जो महिलाएं एक एब्यूसिव रिलेशन में होती हैं, उनका आत्मविश्वास काफी कमजोर होता है। पार्टनर के द्वारा उन्हें बात-बात पर यह अहसास करवाया जाता है कि उनकी कोई वैल्यू नहीं है। ऐसे में वह खुद भी कहीं ना कहीं इस बात को सच मानने लगती हैं। जब उनके भीतर का आत्मविश्वास बहुत अधिक कमजोर हो जाता है तो ऐसे में उन्हें कभी भी ऐसा नहीं लगता है कि वे एक एब्यूसिव रिलेशन से बाहर आकर अपनी अलग पहचान बना सकती हैं।
बदलाव की उम्मीद

बहुत से पुरूषों की यह भी आदत होती है कि वे अपने पार्टनर के साथ बुरा बर्ताव करते हैं, लेकिन फिर बाद में माफी मांग लेते हैं। वे ऐसा बार-बार करते हैं। लेकिन पार्टनर के इस बर्ताव से महिला को यह लगता है कि उसका पार्टनर अब सुधर गया है या फिर वह केवल गुस्से में ही बुरा बर्ताव करता है, बाकी तो वह काफी अच्छा है। जब उसका गुस्सा कम हो जाएगा, तो वह भी सुधर जाएगा। इस तरह महिला हमेशा ही एक बदलाव की उम्मीद करती है और इसलिए वह अपने रिश्ते को हर बार एक और मौका देती चली जाती है। हालांकि, दुर्भाग्यवश कई साल बीत जाने के बाद भी उनके रिश्ते में कुछ नहीं बदलता है।
