Summary: रिश्ते में भावनात्मक दूरी की शुरुआत
महिलाओं की जरूरतों को इग्नोर करना रिश्ते में धीरे-धीरे भावनात्मक दूरी पैदा करता है। यह लेख कारण, संकेत और समाधान को गहराई से समझाता है।
Women Emotional Needs in Relationship: कभी भी कोई भी रिश्ता एक दिन में नहीं टूटता, ना ही रिश्ते में दूरियां एक दिन में आती है। बल्कि यह सब धीरे-धीरे होता है, जब रिश्ते में साथी की भावनात्मक, मानसिक और शारीरिक जरूरतों को लगातार इग्नोर किया जाता है तो एक समय पर रिश्ता टूटने के कगार पर पहुंच जाता है। जब रिश्ते में लगातार महिला की अपेक्षाएं, भावनाएं, जरूरते इग्नोर किया जाता है तो महिला भावनात्मक रूप से रिश्ते में दूरी बनाने लगती है। महिला की भावनात्मक दूरी का असर उनके रिश्ते पर भी पड़ता है। आईए जानते हैं इस लेख में महिला की जरूरत को इग्नोर करना किस तरह बढ़ता है भावनात्मक दूरी को।
भावनात्मक दूरी की शुरुआत

ज्यादातर रिलेशनशिप में देखा जाता है महिला अपने शारीरिक, मानसिक परेशानियों से खुद ही निपटने की कोशिश करती है। ऐसा नहीं है कि वह मदद नहीं चाहती। अपने दर्द, थकान, जिम्मेदारियां को बांटना नहीं चाहती। बल्कि उनके कहे जाने पर भी चाहे तो उनकी बातों को सुना नहीं जाता या सुने जाने पर भी उसे महसूस नहीं किया जाता। यही कारण है कि महिला अपने रिश्ते में भावनात्मक रूप से आहत होती है। जब भी महिला अपनी इच्छाओं, परेशानियों या डर की बात करती है तो पुरुष द्वारा उन्हें जवाब मिलता है तुम बहुत ज्यादा सोचती हो, सबको काम करना पड़ता है, तुम करती ही क्या हो, तुम्हें सिर्फ घर पर तो रहना है, इस तरह के वाक्य जो महिला को अपनी रोजमर्रा के जीवन में सुनने पड़ते हैं इसका गहरा असर उनके भावनाओं पर पड़ता है और वह अपने जीवन और खुशियों के प्रति उदासीन होने लगती है।
क्या है महिला की भावनात्मक जरूरतें
किसी भी व्यक्ति की बुनियादी भावनात्मक जरूरत, सम्मान, सुरक्षा, सहयोग, अपनापन और प्यार है। जब एक महिला को अपने रिश्ते में इनका अभाव होता है तो वह खुद को अकेला महसूस करती है।
महिला रिश्ते में अपने साथी से चाहती है, उसके भावनाओं पर ‘तुम बहुत सोचती हो’ यह कहने के बजाय उसे स्वीकारा जाए ,उसकी इच्छा, डर और अपेक्षाओं को समझा जाए।
‘तुम सारा दिन करती ही क्या हो’ की जगह उसके काम की सराहना की जाए, घर में उसके योगदान को समझा जाए, बातचीत में परिवार बच्चे और साथी से सम्मान मिले। जब बीमार और थकी हो तो उसे काम में मदद मिले। जब महिला की इन जरूरतो की अनदेखी की जाती है तो महिला सबके साथ भी खुद को अकेला महसूस करती है।
महिला की उपेक्षा के मनोवैज्ञानिक प्रभाव
रिश्ते में सालों तक महिला की भावनाओं की अनदेखी उन्हें अंदर ही अंदर गुस्से से भर देती है। महिला का आत्मविश्वास कम जाता है। वह खुद पर शक करती है। वह खुद को दूसरों से कमतर महसूस करती है। वह रिश्ते में जुड़ाव महसूस नहीं कर पाती। हर समय खुद को उदास, अकेला और थका हुआ महसूस करती है। मेरी भावनाएं किसी के लिए मायने नहीं रखती इस तरह का डर उसके जीवन में स्थाई भावना बन जाती है। रिश्ते में लगातार मिलने वाली उपेक्षा उन्हें मजबूर कर देती है अपने साथी से चुपचाप दूरी बनाने के लिए।
रिश्ते को बचाने के लिए क्या करें पार्टनर
अपने साथी की भावना को सिर्फ सुनने के बजाय समझे, महसूस करें और जवाब दे।
उनकी भावनाओं को ‘ज्यादा सोचती हो’ कह कर टालने की बजाय कहे, तुम जो महसूस कर रही हो मैं समझ सकता हूं।
हर रोज अपने साथी के साथ 15-20 मिनट क्वालिटी टाइम बिताए।
घर के जिम्मेदारियां में अपनी भागीदारी दे। अपने साथी को एक पत्नी, मां, बहू से अलग एक इंसान की तरह भी उसकी जरूरत को समझे।
