झांसी से 20 किलोमीटर दूर मध्य प्रदेश में बसा ओरछा अपनी सादगी से आपका दिल जरूर जीत लेगा। यहां आने के बाद वापस अपने शहर के शोरगुल में जाने का शायद आपका मन ही न करे। पहले बुंदेल की राजधानी रहा ओरछा बेतवा नदी के किनारे बना है। इस नदी का कल-कल बहता पानी और इसी के किनारे बने होटल आपको सच में अनोखा अनुभव जरूर कराएंगे। यहां का इतिहास भी आपका दिल जरूर जीतेगा क्योंकि यहां बना अद्भुत किला और उससे जुड़ी कहानियां आपका रोमांच भी बनाए रखेंगे। ये एक ऐसी जगह है, जो इसको बनाने वाले चाहते थे कि दुश्मनों के सामने न आए, या कहें कि थोड़ा लुकीछुपी में रहे।
झांसी से 20 किलोमीटर दूर मध्य प्रदेश में बसा ओरछा अपनी सादगी से आपका दिल जरूर जीत लेगा। यहां आने के बाद वापस अपने शहर के शोरगुल में जाने का शायद आपका मन ही न करे। पहले बुंदेल की राजधानी रहा ओरछा बेतवा नदी के किनारे बना है। इस नदी का कल-कल बहता पानी और इसी के किनारे बने होटल आपको सच में अनोखा अनुभव जरूर कराएंगे। यहां का इतिहास भी आपका दिल जरूर जीतेगा क्योंकि यहां बना अद्भुत किला और उससे जुड़ी कहानियां आपका रोमांच भी बनाए रखेंगे। ये एक ऐसी जगह है, जो इसको बनाने वाले चाहते थे कि दुश्मनों के सामने न आए, या कहें कि थोड़ा लुकीछुपी में रहे।

कैसे जाएं-
ओरछा पहुंचने के लिए हवाई यात्रा करनी है तो निकटतम हवाई अड्डा झांसी में है। जो सिर्फ 16 किलोमीटर दूर है। यहां पर ट्रेन से आना चाहें तो भी करीबी रेलवे स्टेशन झांसी का ही है। इसके अलावा सड़क रास्ते से आना भी कठिन नहीं है। यहां बस से आया जा सकता है और अपने वाहनों से भी। तकरीबन हर राज्य से यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है।
कब आएं-
ओरछा आने का सबसे अच्छा समय मार्च से अक्टूबर का माना जाता है। ऐसा समय होना चाहिए, जब गर्मी कम हो।

500 साल पुराना-
ओरछा का मतलब होता है गुप्त स्थान, जिसे राजा रुद्र प्रताप सिंह ने बसाया था। वो भी आज से करीब 500 साल पहले साल 1501 में किया गया था।
ओरछा किला है अनोखा-
ओरछा आने के बाद यहां का अहम आकर्षण ओरछा किला ही है। इस किले में पहुंच कर ऐसा लगेगा मानो इतिहास को ही जी रहे हैं। ये तीन हिस्सों में बसा है, जहांगीर महल, राज महल और राय परवीन महल। राय परवीन एक नर्तकी थी थे और राजा इंद्रमणि ने उनकी कला से खुश होकर ये महल बनवाया था।

राजा राम मंदिर-
ये एक अकेला ऐसा मंदिर है, जिसमें भगवान राम की पूजा एक राजा के तौर पर होती है। ये प्रसिद्ध मंदिर पहले महल हुआ करता था। माना जाता है कि राजा मधुकर को भगवान राम ने मंदिर बनाने के लिए सपना दिया था।तब राजा ने अयोध्या से एक मूर्ति मंगवाई और महल में ही मंदिर बनने तक रखवा दिया। बाद में यही महल मंदिर बना दिया गया।
चतुर्भुज मंदिर-
बुंदेल राजपूत राजाओं ने इस मंदिर को 17वीं शताब्दी में बनवाया गया था। इस मंदिर के प्रमुख स्थान को इस तरह से बनवाया गया था कि राजा महल से भगवान कृष्ण के दर्शन कर सकें।
ओरछा पहुंचने के लिए हवाई यात्रा करनी है तो निकटतम हवाई अड्डा झांसी में है। जो सिर्फ 16 किलोमीटर दूर है। यहां पर ट्रेन से आना चाहें तो भी करीबी रेलवे स्टेशन झांसी का ही है। इसके अलावा सड़क रास्ते से आना भी कठिन नहीं है। यहां बस से आया जा सकता है और अपने वाहनों से भी। तकरीबन हर राज्य से यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है।
कब आएं-
ओरछा आने का सबसे अच्छा समय मार्च से अक्टूबर का माना जाता है। ऐसा समय होना चाहिए, जब गर्मी कम हो।
500 साल पुराना-
ओरछा का मतलब होता है गुप्त स्थान, जिसे राजा रुद्र प्रताप सिंह ने बसाया था। वो भी आज से करीब 500 साल पहले साल 1501 में किया गया था।
ओरछा किला है अनोखा-
ओरछा आने के बाद यहां का अहम आकर्षण ओरछा किला ही है। इस किले में पहुंच कर ऐसा लगेगा मानो इतिहास को ही जी रहे हैं। ये तीन हिस्सों में बसा है, जहांगीर महल, राज महल और राय परवीन महल। राय परवीन एक नर्तकी थी थे और राजा इंद्रमणि ने उनकी कला से खुश होकर ये महल बनवाया था।
राजा राम मंदिर-
ये एक अकेला ऐसा मंदिर है, जिसमें भगवान राम की पूजा एक राजा के तौर पर होती है। ये प्रसिद्ध मंदिर पहले महल हुआ करता था। माना जाता है कि राजा मधुकर को भगवान राम ने मंदिर बनाने के लिए सपना दिया था।तब राजा ने अयोध्या से एक मूर्ति मंगवाई और महल में ही मंदिर बनने तक रखवा दिया। बाद में यही महल मंदिर बना दिया गया।
चतुर्भुज मंदिर-
बुंदेल राजपूत राजाओं ने इस मंदिर को 17वीं शताब्दी में बनवाया गया था। इस मंदिर के प्रमुख स्थान को इस तरह से बनवाया गया था कि राजा महल से भगवान कृष्ण के दर्शन कर सकें।
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