मध्य प्रदेश एक ऐसा राज्य है, जहां एक से एक रोचक और अद्भुत जगह हैं। ये जगहें अपनी खासियतों के चलते अचंभित करती हैं तो घूमने के बाद आनंद भी खूब देती हैं। नीलकुंड के नाम से भी जाना जाने वाला भीमकुंड एक ऐसी ही जगह है। ये जागह आपको पहली बार में ही अपना बना लेगी। ये एक पवित्र स्थान माना जाता है जहां पानी का ठहराव प्राकृतिक तरीके से हुआ है। इसके स्त्रोत के बारे में अभी तक किसी को नहीं पता है। ये छत्तरपुर जिले के बजना गांव में है और बुंदेलखंड के रीजन में आता है। ये जगह लोगों के आश्चर्य का विषय भी बनी हुई है और आस्था का भी। यहां आने वाले लोगों की संख्या भी इतनी है कि गिनी न जा सके। जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है, इस जगह का रिश्ता पांडवों से भी है और उनके वनवास से भी भीमकुंड के बारे में और भी बहुत कुछ जानने के लिए इस जगह से जुड़ी अनोखी बातों से रूबरू होते हैं-

महाभारत का समय-
कहा जाता है कि भीमकुंड का रिश्ता सीधे महाभारत से है। जानकार मानते हैं कि द्रौपदी सूरज की गर्माहट की वजह से बेहोश हो गईं थीं। उनको पानी पिलाना था। इस वक्त पांचों भाइयों में सबसे शक्तिशाली भीम ने जमीन पर अपनी गदा से पूरा ज़ोर लगाकर मारा। ये मार इतनी तेज थी कि उस जगह से पानी कि धार निकाल पड़ी। कुंड की छत पर एक बड़ा छेद है, माना जाता है कि भीम ने यहीं पर अपनी गदा से मारा था।
कुंड कितना सुंदर-
छत्तरपुर से 77 किलोमीटर दूर बने कुंड का पानी हमेशा ही बिलकुल साफ नजर आता है और ये इतना साफ होता है कि इसमें मछलियों को तैरते भी देखा जा सकता है। कुंड एक गुफा के अंदर बना है और इसकी लंबाई करीब 3 किलोमीटर है। खास बात ये है कि गुफा की शुरुआत में ही एक छोटा शिवलिंग भी बना है। ये कुंड इंडिगो ब्लू कलर का है और इसमें लाल पत्थर की दीवारें हैं।

नीलकुंड क्यों है नाम-
इस भीमकुंड को नीलकुंड भी कहा जाता है। इसकी वजह कुंड का इंडिगो ब्लू कलर है।
नारद कुंड कहते हैं क्यों
भीमकुंड को नारदकुंड भी कहा जाता है। माना जाता है कि नारद ने यहां गंधर्व गानम गाया था। उन्होंने ऐसा भगवान विष्णु को खुश करने के लिए किया था। उनकी आस्था से खुश होकर भगवान विष्णु ने अवटार लिया था। इस वक्त कुंड का पानी नीला पड़ गया था। ऐसा विष्णु जी के गाढ़े रंग के कारण से हुआ था। भीमकुंड से जुड़ी ये भी बेहद खास कहानी है।