आगे लिखी सभी बातें साईं बाबा के भक्तों के लिए ही हैं और जो लोग उनके भक्त नहीं हैं वो भी इस अनोखे मंदिर के बारे में जानकार उनके भक्त जरूर बन जाएंगे। श्रीराम के भक्त भी बराबरी से इस मंदिर के दर्शन करने को तैयार हो जाएंगे। चलिए फिर जानते हैं। पहले तो आपने रावण के मंदिर के बारे में शायद ही सुना हो फिर क्या उस मंदिर के बारे में सुना है, जहां साईं बाबा खुद भगवान राम की भक्ति में लीन हों? अगर नहीं तो आपको इंदौर आकार ये दोनों ही चीजें देखने को मिल जाएंगी। दरअसल इंदौर के एक मंदिर में ऐसा ही है, इस मंदिर को रावण का मंदिर कहा जाता है। खास बात ये है कि इस मंदिर में साईं बाबा की मूर्ति कुछ ऐसा बनी है मानो श्री राम से झुक कर आशीर्वाद ले रहे हों। इस मंदिर में आने वालों की तादाद दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। भक्तों को इस अनोखे मंदिर में आकार सुख-शांति और इच्छापूर्ति का एहसास होता है। इस मंदिर से जुड़ी और भी बातें, आइए जानें-
राम का निराला धाम-
इस मंदिर का नाम भी निराला है। इसका नाम राम का निराला धाम है, जो रावण का मंदिर जैसा ही हटकर फील देता है। ये इंदौर के वैभव नगर में बना है और बायपास के रास्ते पर है। मंदिर को ढूंढना वैसे भी कठिन नहीं है क्योकि भक्तों के बीच इसकी अलग ही पहचान बन चुकी है।

चरणों में साईं-
इस मंदिर में श्री राम के चरणों में साईं बैठे हैं लेकिन इसके पीछे भी एक कहानी है। साईं बाबा ने खुद ही ऐसा करने की बात कही थी। यहां के पुजारी को उन्होंने सपना दिया था कि जो मैं कहूं उसे पूरा करना। साईं बाबा ने कहा कि मैं राम भक्त हूं और चाहता हूं तुम मुझे उनके चरणों में बैठा दो। फिर जब तक ये काम शुरू नहीं हुआ,पुजारी को ये सपना आता ही रहा। ये सपना करीब 8 दिन तक आता रहा। पुजारी को फिर समझ आ गया कि ये मूर्ति बनवाकर ही सपना आना बंद होगा। फिर कुछ दिन बाद उन्होंने श्रीराम का चरणों पर बैठी साईं बाबा की मूर्ति बनवाई।
30 साल पहले-
ये मंदिर अभी नया-नवेला बिलकुल भी नहीं है। इसकी स्थापना 1990 में आज से 30 साल पहले की गई थी। इसकी स्थापआ 3 जुलाई, 1990 को की गई थी। खास बात ये है कि ये मंदिर अभी भी बन ही रहा है।
108 बार श्री राम-
इस मंदिर मे आने वालों को एक नियम जरूर पूरा करना होता है। उन्हें 108 बार श्री राम लिखना होता है। इस नियम से किसी को भी छूट नहीं दी जाती है, फिर वो कोई भी हो।
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