Postnatal Care: नवजात शिशु के लिए मां का दूध ही संपूर्ण पोषण माना जाता है। पैदा होने के 6 महीने तक बच्चे को कुछ खिलाया पिलाया नहीं जाता बल्कि सिर्फ मां का दूध पिलाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि मां के दूध में हर तरह का पोषण होता है जैसे की विटामिन मिनरल इत्यादि। यदि आपका बच्चा बिना किसी ऑपरेशन के नॉर्मल हुआ है तो मां का पहला दूध पिलाना (Postnatal Care) बहुत ज्यादा ही आवश्यक होता है जिससे कि बच्चे को मां के दूध में मौजूद सारे पोषक तत्व पूरी तरह से मिले। मां के पहले दूध में कुछ ऐसे जरूरी पोषक तत्व पाए जाते हैं जिससे बच्चे की इम्युनिटी बढ़ती है। परंतु हाल ही में की गई एक रिसर्च के मुताबिक शाकाहारी और मांसाहारी भोजन करने वाली गर्भवती मां के दूध (Postnatal Care) में कीटनाशक पाए गए हैं जो कि बच्चे की सेहत के लिए बहुत ही ज्यादा हानिकारक साबित हो सकते हैं। डॉक्टरों ने बताया कि मां के दूध के जरिए यह कीटनाशक नवजात शिशु के शरीर में भी चले जाते हैं और आगे चलकर बहुत ही नुकसान पहुंचाते हैं।
तो आज हम आपको नीचे इस आर्टिकल में बतायेंगे कि बच्चों को दूध पिलाते (Post Natal Care) वक्त हमें नॉन वेज क्यों नहीं खाना चाहिए, इससे क्या क्या नुकसान हो सकते हैं, आइये जानते हैं-
यह शोध किसने किया
यह शोध केजीएमयू के महिला और प्रसूति अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा किया गया था। इस अध्ययन के लिए, 130 गर्भवती महिलाओं (Postnatal Care) का मार्चरीय और नौमासाहारिक आहार सेवन करने वालों पर मेरी क्वीन अस्पताल में अध्ययन किया गया था, ताकि यह जाना जा सके कि क्या उनकी स्तनों में कीटनाशक मौजूद होता है या नहीं ?
शाकाहारी महिलाओं में कीटनाशक होने की संभावना

इस अध्ययन में, जिसे एनवायरमेंटल रिसर्च जर्नल में प्रकाशित किया गया है, प्रोफेसर सुजाता देव, डॉक्टर अब्बास अली मेहंदी और डॉक्टर नैना द्विवेदी शामिल थे। सुजाता डॉक्टर ने बताया कि मांसाहारी आहार वाली महिलाओं की तुलना में शाकाहारी आहार वाली महिलाओं के दूध में कीटनाशकों की कमी होती है। हालांकि, शाकाहारी महिलाओं के स्तनों के दूध में भी कीटनाशकों की मौजूदगी देखी गई है और यह दिखाता है कि खाद्य पदार्थों के उत्पादन के दौरान अधिक कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है।
कहां से आता है मां के दूध में कीटनाशक

उन्होंने बताया कि फसलों में विभिन्न प्रकार के कीटनाशक और रासायनिक पदार्थों का उपयोग किया जाता है, जिसके कारण शाकाहारी माताओं के दूध में कीटनाशक पाये जा रहे हैं जो नवजात शिशु के शरीर में भी प्रवेश कर सकते हैं।
मांसाहारी आहार वाली महिलाओं में खतरा ज्यादा
डॉक्टर सुजाता ने बताया कि मांसाहारी आहार वाली महिलाओं में शाकाहारी महिलाओं की तुलना में कीटनाशकों (Postnatal Care) की वृद्धि साढ़े तीन गुना ज्यादा होती है। आजकल जानवरों को भी विभिन्न प्रकार के इंजेक्शन दिए जाते हैं। तो यह संभव है कि मां के माध्यम से बच्चे में भी कीटनाशक दवाएं पहुंच सके, और बच्चे के शरीर को हानि पहुंचाएं।
नवजात शिशु में कीटनाशक कैसे जाता है
स्तनपान (Postnatal Care) के द्वारा शिशु में भी कीटनाशक पहुंच रहा है, और हमने इसकी जांच के लिए 130 महिलाओं पर अध्ययन किया है। हमने देखा कि शिशु के जन्म के बाद मां के दूध में कीटनाशक पाए जाते हैं, जिससे स्पष्ट हुआ कि यद्यपि शिशु जन्म लेने के बाद कुछ महीनों तक वे अनाज या अन्य खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करते हैं, तो भी मां के दूध में कीटनाशक मौजूद होते हैं और यह शिशु के शरीर में प्रवेश करते हैं।
इससे बचने के उपाय

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के फॉरेंसिक एंड टॉक्सिकोलॉजी विभाग की प्रोफेसर शिवली राठौर ने बताया कि यह एक गंभीर समस्या है और हमें इससे बचने के लिए सतर्क रहना चाहिए। हमें खाद्य पदार्थों को जो भी सब्जियां और फल खाते हैं, उन्हें पहले अच्छे से धोना चाहिए क्योंकि अब जीवाणु-स्वतंत्र खेती नहीं होती है और पेस्टिसाइड के कारण सभी खाद्य पदार्थ दूषित हो रहे हैं। इसलिए, हमें स्वयं को सतर्क रखने की आवश्यकता है, और यह संभव होगा जब हम सब्जियों और फलों को अच्छे से धोएं या उन्हें पानी भरे बर्तन में थोड़ी देर तक रखें ताकि उनके पेस्टिसाइड्स निकल जाएं और फिर उन्हें अच्छे से उबालकर सेवन करें।
मां के दूध में पाई गई ये कीटनाशक दवाएं
डॉक्टरों द्वारा रिसर्च के दौरान मां के दूध में निम्नलिखित कीटनाशक दवाएं पाई गई हैं, जो जच्चा और बच्चा दोनों के लिए हानिकारक हैं-
- खेती में इस्तेमाल होने वाले रसायनिक पेस्टिसाइड्स के अवशेष या संदर्भ में, मां के दूध में प्रवेश हो सकता है। ये कीटनाशक शिशु के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।
- कुछ धातुओं जैसे प्लॉम्बम, कैड्मियम, आर्सेनिक आदि के उपयोग के कारण, ये धातु या विषाणु मां के दूध में प्रवेश कर सकते हैं। इनमें से कुछ धातुएं शिशु के लक्षणों और स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती हैं।
- अन्य विषाणु जैसे अर्सेनिक, फ्लोराइड, निकेल, एल्युमिनियम आदि मां के दूध में मौजूद हो सकते हैं। यदि इन्हें नियमित रूप से सेवन किया जाए, तो इनका शिशु के स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ सकता है।
- हवा या पानी के माध्यम से प्रवेश करने वाले आवासीय विषाणु जैसे रेडियम, रेडोन, नाइट्रेट, फ्लोराइड आदि, मां के दूध में पहुंच सकते हैं। इन विषाणुओं का दूध के सेवन के माध्यम से लंबे समय तक संचयन हो सकता है और इसके कारण शिशु के स्वास्थ्य पर असामान्य प्रभाव पड़ सकता है।
यदि किसी को मां के दूध (Postnatal Care) में किसी भी प्रकार की चिंता होती है, तो सर्वोत्तम होगा कि वे अपने स्वास्थ्य प्रदाता विशेषज्ञ या बाल चिकित्सक से सलाह लें और उचित जांच और विश्लेषण करवाएं। हमें उम्मीद है कि आप इन बातों का ख्याल जरुर रखेंगी और अपने आसपास दूध पिलाने वाली महिलाओं का ख्याल जरुर रखेंगी कि वो किस प्रकार का भोजन करें जिससे उनके साथ साथ उनका बच्चा भी स्वस्थ्य रहे।
