Lazy Parenting: बच्चों और माता-पिता में बहुत सी चीजों को लेकर तालमेल बैठा पाना ही एक अच्छी पेरेटिंग की निशानी है। पेरेंटिंगकी बात की जा रही है तो आजकल एक तरह की पेरेंटिंग चल रही है जिसको नाम दिया गया है लेजी पेरेंटिंग। इस पेरेंटिंग का नाम सुनकर शायद आप भी चौंक गए होंगे कि ये कैसी पेरेंटिंग है। नाम से मतलब निकाला जाए तो यह हुआ आलस से भरी पेरेंटिंग । लेकिन ऐसा नहीं है इस पेरेंटिंग में बच्चों को आत्मनिर्भर बनाया जाता है। जिसमें आपकी भागीदारी तो होती है लेकिन बेहद कम।
बच्चा खुद ही सुधरता है

लेजी पेरेंटिंग में सबसे बड़ी बात यह होती है कि इसमें बच्चे को गलती करने देना होता है। जिससे वे गलती को समझे और उस पर कार्य कर सके। यदि हम उसकी गलती को अनदेखा करते रहेंगे तो बच्चा कुछ नहीं सीख पाएगा। उसे आप थोड़ा मार्गदर्शन जरूर दे सकते है। और उसका कार्य उन गलतियां को करते हुए समझना की यह गलती आगे कभी नहीं दोहरानी।
आत्मनिर्भर होना
इस पेरेंटिंग में खासकर बच्चे को आत्मनिर्भर बनाया जाता है। जिससे बच्चा अपनी चीजों को स्वयं से सुलझा सके। आपसे वह थोड़ी मदद तो लेता है। लेकिन कुछ चीजों पर उसे स्वयं सोचना होता है कि कैसे वह मुसीबत से बाहर निकल पाए। इससे वे मुसीबत पड़ने पर उन चीजों से निकलने में सक्षम बन पाता है।
आत्मविश्वास का बढ़ना

कुछ बच्चों को आपने देखा होगा कि वह मां बाप के पिछे ही छिपे रहते है। या यूं कहे कि उनमे आत्मविश्वास नहीं होता है। वह किसी के आगे बोल नहीं पाते है बहुत शर्माते है। ऐसे में ये पेरेंटिंग बच्चों को बढ़ावा देती है कि उनमे कांफिडेंस लेवल बढ़ पाए। किसी के सामने वे बेझिझक उतर दे पाएं। उन्हें समझ में आ सके क्या गलत है और क्या सही। जिससे उनमें आत्मविश्वास अलग से नजर आ सकेगा।
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जिम्मेदारी की भावना
बहुत से माता-पिता को आपने देखा होगा कि वे बच्चों पर किसी भी तरह की जिम्मेदारी नहीं डालना चाहते है। जिससे बच्चा कोई भी स्वयं का कार्य करने में भी आलसी हो जाता है उसे पता है मम्मी या पापा वो काम कर देंगें। लेकिन इस पेरेंटिंग में बच्चों पर जिम्मेदारी डाली जाती है कि वे अपना कार्य स्वयं करें। जब बच्चा अपनी जिम्मेदारी समझने लगता है तो उसके लिए बड़े होने पर और भी आसान हो जाता है किसी भी जिम्मेदारी को निभाना।
सीखने की आदत

बच्चों में हमेशा ये आदत होनी चाहिए कि वे कितने भी बड़े हो जाए लेकिन सीखते रहना चाहिए। ये चीज आपके लिए बेहद फायदेमंद साबित होती है। इससे बच्चा नई-नई चीजें सीखता है। लेजी पेरेंटिंग में बच्चा इस आदत को डालना सिखता है। जिससे उसके अंदर जीवन जीने की समझ बढ़ती है। और वह एक अच्छा इंसान बन पाता है। लेजी पेरेंटिंग से बच्चे में बहुत सी अच्छी चीजों का विकास होता है और वह जीवन में किसी भी चीज से डरता नहीं है बल्कि उसे सही तरीके आ जाते है कि उसे किस तरह से उससे निपटना है।
