Kid’s Milk Allergy: माना जाता है कि दूध बच्चे की सेहत के लिए वरदान होता है। लेकिन जब बच्चे को दूध से ही एलर्जी हो जाए तो क्या करें। जी हां, पिछले कुछ सालों में बच्चों में मिल्क एलर्जी के मामले काफी बढ़े हैं। यह एलर्जी तब उत्पन्न होती है जब बच्चा दूध या दूध से बने खाद्य पदार्थों का सेवन करता है। एलर्जी की गंभीरता के आधार पर लक्षण हल्के से लेकर गंभीर हो सकते हैं। स्टडी के मुताबिक तीन साल से कम उम्र के लगभग 3% बच्चे दूध एलर्जी से प्रभावित होते हैं। जबकि अधिकांश बच्चे 16 साल की उम्र तक इस एलर्जी से उबर जाते हैं। आखिर बच्चों को मिल्क एलर्जी क्यों होती है और इसका निदान क्या है चलिए जानते हैं इसके बारे में।
बच्चों में मिल्क एलर्जी के कारण

दूध एलर्जी का कोई सटीक कारण नहीं है। सामान्यतौर पर मिल्क एलर्जी होने पर शरीर दूध के प्रोटीन को एलर्जन के रूप में पहचानता है और आईजीई एंटीबॉडी प्रोड्यूस करता है। ये एंटीबॉडी शरीर में एलर्जी कोशिकाओं से जुड़ती हैं और हिस्टामाइन जैसे कैमिकल को रिलीज करती हैं, जो एलर्जी के लक्षण पैदा करते हैं। इसके अलावा गाय या भैंस को मिल्क प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए हार्मोनल इंजेक्शन दिए जाते हैं जो मिल्क एलर्जी का एक कारण हो सकता है। यही वजह है कि हर बार बच्चा दूध या दूध उत्पादों का सेवन करता है, शरीर एलर्जी प्रतिक्रिया दिखाता है।
बच्चों में मिल्क एलर्जी के लक्षण
– त्वचा पर लाल और खुजली वाले चकत्ते।
– मुंह, चेहरे या आंखों के आसपास सूजन।
– नाक बहना या बंद होना और बुखार के लक्षण।
– सांस लेने में तकलीफ, खांसी या घरघराहट।
– उल्टी, पेट में ऐंठन और दस्त।
– कम वजन बढ़ना
क्या है मिल्क एलर्जी का उपचार
– बच्चे के आहार से गाय का दूध और इसके उत्पादों को कुछ समय के लिए हटा दें।
– सूजन, पित्ती, नाक बहने और पेट दर्द को कम करने के लिए मौखिक एंटीहिस्टामाइन का उपयोग कर सकते हैं।
– बच्चे का फूड एलर्जिक टेस्ट करवाएं ताकि एलर्जी के सही कारणों का पता लगाया जा सके।
– यदि बच्चा बिना दूध के नहीं रह सकता तो उसे गाय या भैंस का दूध देने की बजाय सोया मिल्क दे सकते हैं।
– शरीर में सूजन या चकत्ते होने की स्थिति में बर्फ से सिकाई करें।
– उल्टी या मितली होने पर बच्चे को सौंफ और अदरक का रस पिलाएं।
मिल्क एलर्जी वाले बच्चों को क्या खिलाएं

– मिल्क एलर्जी होने पर बच्चे को प्लांट बेस्ड फूड दिया जा सकता है। बच्चा सोया मिल्क, राइस मिल्क, ओट मिल्क, अलसी मिल्क, बादाम मिल्क, काजू मिल्क और कोकोनट मिल्क का सेवन कर सकता है।
– प्रोटीन की पूर्ति के लिए लीन मीट, चिकन और फिश जैसे हाई क्वालिटी प्रोटीन और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स जैसे कैल्शियम, विटामिन A, विटामिन D, विटामिन B12, आयरन, जिंक और पोटैशियम दिया जा सकता है।
– केल, चौलाई, ब्रोकोली, भिंडी और पालक कैल्शियम युक्त सब्जियां को बच्चे की डाइट में शामिल किया जा सकता है।
– दाल, फलियां और मेवे से कई पोषक तत्व प्राप्त होते हैं। इसलिए इन्हें बच्चे की डाइट का हिस्सा जरूर बनाना चाहिए।
इन बातों का रखें ध्यान
– यदि बच्चे को बचपन से ही मिल्क एलर्जी है तो दूध और दूध से बने प्रोडक्ट्स से दूर रखना चाहिए।
– बच्चे को फैट, लो फैट, कंडेंस्ड और पाउडर मिल्क देने से बचें।
– इसके अलावा चॉकलेट, हॉट कोको, मिल्क शेक और आइसक्रीम में भी दूध का इस्तेमाल किया जाता है इसलिए इसके सेवन से बचें।
– प्रोसेस्ड फूड देने से पहले पैकेट पर दी गई जानकारी या इंग्रीडिएंट्स को जरूर पढ़ें।
