आमतौर पर देखा गया है कि नवजात शिशु को मां का ही दूध पिलाने की सलाह दी जाती है और मां का दूध शिशु के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है। लेकिन कई बार किसी वजह से मां का दूध शिशु को भरपूर मात्रा में नहीं मिल पाता है तो बच्चे को बाहर का दूध जैसे फार्मूला मिल्क, गाय का दूध या भैस का दूध दिया जाता है। ऐसा माना जाता है की बच्चे को इन सभी तरह के मिल्क से पोषण मिलता है। लेकिन क्या आप जानते हैं की यदि बच्चे की उम्र १ वर्ष से काम है और उसे काऊ मिल्क यानि कि गाय का दूध दिया जाए तो ये उसे ज़रूरी पोषण देने की जगह उसके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
1 वर्ष से कम उम्र के बच्चे को गाय का दूध देने से बच्चे को श्वसन और पाचन तंत्र सहित एलर्जी संबंधी कई बीमारियां हो सकती हैं। क्योंकि बच्चे दूध में मिलने वाले प्रोटीन को जल्दी डाइजेस्ट नहीं कर पाते हैं।
इतनी कम उम्र में गाय का दूध पिलाने से बॉडी में आयरन की कमी हो जाती है और बच्चा एनिमिक तक हो सकता है।
गाय का दूध बच्चों की अपरिपक्व किडनी में दबाव डाल सकता है और इसे पचाने में भी मुश्किल होती है।
ऐसा देखा गया है कि भारत में खासतौर पर गावों में जागरूकता कम होने की वजह से शिशुओं को गाय का दूध दिया जाता है।
एक सर्वे के अनुसार एक वर्ष से कम आयु के 42 प्रतिशत गैर-स्तनपान शिशुओं को गाय का दूध या कोई अन्य दूध दिया जाता है। लगभग तीन प्रतिशत बच्चे मिल्क प्रोटीन को हजम नहीं कर पाते हैं। दूध से एलर्जी वाले शिशुओं, जिन्हें स्तन का दूध नहीं मिलता है, उन्हें अपने स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए पोषण के एक वैकल्पिक रूप की आवश्यकता होती है। इसके लिए उन्हें डॉक्टर की सलाह के अनुसार फार्मूला मिल्क या सोया मिल्क दिया जा सकता है।
गाय का दूध बच्चों में एलर्जी, त्वचा पर दाने, एक्जिमा, उल्टी, दस्त, या अत्यधिक रोने जैसी समस्याएं उत्पन्न कर सकता है।
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