जब पहली बार कोई स्त्री मां बनती है तो उसके लिए सबसे चिंता की बात ये होती है कि वह नवजात शिशु की देखभाल कैसे करे? बच्चे की देखभाल करना नए माता-पिता के लिए खास होता है, क्योंकि जीवन का पहला साल बच्चे के विकास के लिए अहम है। जहां नवजात के लिए हर एक चीज नई होती है, वहीं माता-पिता के लिए भी अनुभव एकदम नया होता है। पहली बार मां बनी महिला को पता नहीं होता है कि वह बच्चे की देखभाल कैसे करे, कैसे उसे गोद में ले, कैसे उसे दूध पिलाए, कैसे उसे नहलाए? आदि कई ऐसी जिम्मेदारियां हैं, जो माता-पिता को बच्चे के जन्म से लेकर सालभर तक काफी सावधानी और समझदारी से उठानी पड़ती हैं। इस दौरान माता-पिता कई सवालों से गुजरते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, शुरूआती समय में नवजात शिशु की कई आम समस्याएं होती हैं, जिसको माता-पिता ठीक से समझ नहीं पाते हैं।
 
1. ब्रेस्ट फीडिंग समस्याएं
ब्रेस्टफीडिंग के लिए थोड़ी प्रैक्टिस की जरूरत होती है। आधी से ज्यादा माओं के लिए शुरुआत में यह प्रक्रिया आसान नहीं होती, जैसे
समस्या- मां को यह पता नहीं चलता कि बच्चे का पेट भरा है या नहीं। 
उपाय- अपने बच्चे के संकेतों से मां को जानना होगा कि उसका पेट भरा है या नहीं।
समस्या- ब्रेस्ट फीडिंग शुरू कैसे करें।
उपाय- ब्रेस्टफीडिंग शुरू करने से पहले तस्वीरो और वीडियो की मदद से भी आप सीख सकती हैं या अन्य मांओं से टिप्स ले सकती हैं।
 
2. फार्मूला फीडिंग समस्याएं
फार्मूला फीडिंग अपने आप में एक बड़ी चुनौती होती है। जैसे समस्या- मांओं यह नही पता होता कि कौन सा फार्मूला सबसे अच्छा होता है।
 
उपाय- फार्मूला का चुनाव कैसे करते हैं इसके बारे में टिप्स पढ़ें।
समस्या- अक्सर मांओं को यह पता नहीं चल पाता कि बच्चे को किस फार्मूले से एलर्जी है।
उपाय- फार्मूला एलर्जी के संकेतों को जानें।
समस्या- बहुत सी माएं बच्चों को फार्मूला खिलाना पर गिल्टी महसूस करती हैं।
उपाय- अन्य माएं जो अपने बच्चों को फार्मूला फीड करती हैं, उनसे बात करें कि वो इस गिल्ट को कैसे सम्भालती हैं।
 
3. फीडिंग सम्बन्धी अन्य समस्याएं 
जब मां अपने बच्चे को अपना या बोतल से दूध पिला रही होती हैं उसको कुछ इस प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जैसे
 
समस्या- शिशु सारा दूध बाहर निकाल देता है
उपाय- यह जानने की कोशिश करें कि बच्चे ऐसा क्यों करते हैं।
 
समस्या- शिशु रिफ्लक्स से गुजर रहा है।
उपाय- यह जाने कि रिफ्लक्स किस वजह से होते हैं और इनका उपचार किस प्रकार किया जा सकता है।
 
समस्या- मां को लगता है कि शिशु का वजन नहीं बढ़ रहा।
उपाय- शिशु का एक ग्रोथ चार्ट बनाएं और उन कारणों का पता करें, जिससे शिशु में वजन नही बढ़ता।
 
समस्या- बोटल और निप्पल्स को साफ रखना हर मां के लिए परेशानी वाला काम है।
उपाय- बोतलों को किस तरह साफ करना चाहिये, उसके बारे में जानें और यह भी समझे कि किस समय पुरानी बोतलों और निप्पल्स को फेंकना चाहिये।
 
समस्या- शिशु बोतल से दूध पीना चाहता है पर मां को पता नहीं कि किस तरह से फीडिंग करवाएं।
उपाय- बच्चे बोतल से दूध पिलाना है उसके बारे में जाने, कुछ तस्वीरों और वीडियो की मदद से भी आप यह सीख सकती हैं।
 
समस्या- हर मां के लिए रात के समय में बोतलों को तैयार करना कठिन होता है।
उपाय- तस्वीरें और वीडियो से जानकारी लें कि किस उम्र में बच्चों को रात में फीड करवाना बन्द करना चाहिये और कैसे बोतल को तैयार करना चाहिए।
 

4. सोने की समस्याएं
नए बने मां पिता के लिए अपने बच्चे को सुलाना और उसे सुलाये रखना एक बहुत बड़ी चुनौती होती है। जैसे-
 
समस्या- मां को इस बात से काफी परेशानी होती है कि बच्चा रात में सो नहीं रहा लेकिन आपको बहुत नींद आ रही है और ऐसे में आपको समझ नहीं आ रहा कि आप क्या करें।
उपाय- बच्चों की अच्छी सोने की आदतों को जानें, यह जाने कि बच्चे रात में कब सोते हैं और सुबह उनको किस तरह देर तक सुलाया जा सकता है।
 
समस्या- मां को शिशु को सुलाना चुनौतीपूर्ण लगता है।
उपाय- अपने शिशु के लिए सूदिंग बेडटाइम बनाने के बारे में जानें।
 
5. रोने की चुनौतियां
हम सबको पता है कि बच्चे रोते हैं लेकिन जब आप बहुत गहरी नींद में हो, तब उनके आसुओं को सम्भालना और भी मुश्किल हो जाता है
 
समस्या- मांओं को सबसे अधिक कठिनाई उनके बच्चों के रोने से होती है।
उपाय- यह जाने कि रोते हुए शिशु को किस प्रकार चुप करवाया जाता है, यह भी पढ़ें कि अगर आपका शिशु कम्फर्टेबल नही है तो क्या करना चाहिये।
 
 
 
 
आपके लिए कुछ और चुनौतियां
नवजात शिशु और भी बहुत सी चुनौतियां दे सकता है। जैसे-
 
समस्या- बच्चे की देखभाल में बहुत थक जाते हैं और नींद बहुत आती है।
उपाय- ऐसे तरीके ढूंढ़ें जिनसे आप बेहतर नींद पा सकें, माता-पिता स्लीपिंग एड्स के बारे में पढ़े, कम नींद से कैसे लडऩा है ये भी जानें और अपने आप को रिलैक्स करने के तरीके ढूंढें।
 
समस्या- इस दौरान हर मां को अपने साथी के साथ रिश्ता कायम रखने में भी समस्या आती है।
उपाय- बच्चे के पैदा होने के बाद भी अपने साथी के साथ किस तरह समय बिताना है, उसके टिप्स पढ़ें, अन्य मांओं से बात करें कि उनका बच्चा होने के बाद उन्होंने अपना रिश्ता कैसे सम्भाला, लौ स्ट्रेस मैरिज के राज जानें।
 
बच्चे को गैस होने के संकेत और उपाय
बच्चे को गैस होना प्राकृतिक है, पर सबसे बड़ा सवाल यह है कि आप कैसे पता कर सकते हैं कि आपका बच्चा गैस के दर्द से रो रहा है? अगर आप पहली बार माता-पिता बने हैं तो आपको इस तरह की अनेक परेशानियां आने वाली हैं। लेकिन आपको यह पता चल जाये कि आपके बच्चे को गैस किस वजह से हो है तो आपका काम आसान हो जायेगा। जैसे-
 
कारण
पेट व आंत में गैस होना
जब बच्चों की पेट या आंतों में बनने लगती है तब गैस का दर्द होने लगता है। इस दर्द के आम कारण होते हैं।
 
खाना खिलाने की गलत पोजीशन
जब भी आप बच्चे को अपना दूध पिला रही हो या बोतल से भी तो उसकी पोजीशन को ठीक रखें। अगर पोजीशन ठीक नहीं होगी तो आपके बच्चे में जरूरत से ज्यादा हवा जा सकती है।
 
ज्यादा खाना खिलाना
अगर एक बार में आप अपने बच्चे को बहुत ज्यादा खाना खिलाएंगे तो उसे गैस बन सकती है। बहुत लैक्टोस यह तब होता है जब बच्चा बहुत ज्यादा दूध पी ले, जिसमें लैक्टोस की मात्रा बहुत अधिक होती है।
 
फूड सेंसिटिविटी
कुछ बच्चों को किसी एक तरह के खाने से एलर्जी भी होती है। उसे खाने से भी गैस बन सकती है।
 
इममच्योर डाइजेस्टिव सिस्टम
इससे बच्चों को अच्छे से खाना पचाना नहीं आता।
 
इनके उपचार फीडिंग पोजीशन देखें
फीड करते समय एक तकिये की मदद से आप अपने बच्चे का सर उसके पेट से ऊपर रखने की कोशिश करें। इस तरह दूध सीधा पेट में नीच चला जायेगा। अगर आप बोतल से दूध पिला रहे हैं तो उसमे हवा के बुलबुले नहीं होने चाहिये।
 
बच्चे की पीठ को थपथपाएं
सबसे आसान तरीका है कि फीड के तुरन्त बाद बच्चे की पीठ थपथपा कर उसे बर्प करवाएं।
 
थोड़ा व्यायाम
बहुत हल्के से अपने बच्चे की मसाज करें, उसको कमर के बल लिटाकर पेडल करवाएं। गर्म पानी से नहलाने से भी आराम मिलता है।
 
शुगर फ्री चीजे खिलाएं
अपने बच्चे के खाने को बदलने से उसे गैस में बहुत आराम मिलता है खासकर अगर उन्हें शुगर फ्री चीजें खिलाएं तो पेट में कम परेशानी होगी।
 
बकरी का दूध पिलाएं
आप चाहे तो बच्चे को गाय के दूध की जगह बकरी का दूध भी पिला सकते हैं। बकरी का दूध उन लोगों के लिए भी अच्छा, जो लैक्टोस इनटोलरेंट होते हैं।
 
खुद की डाइट भी बदलें
मां अपने बच्चे को अपना दूध पिलाती हैं तो वे अपनी डाइट भी बदल सकती हैं। उन्हें अपने भोजन में अधिक प्राकृतिक उत्पादों को शामिल करना चाहिये और गाय का दूध ही पीना चाहिए।
 
खाना बदलें
कभी कभी खाना बदलने से गैस कम होती है।
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(डॉक्टर अनिल बत्रा, चाइल्ड स्पेशलिस्ट, एशियन इंस्टीटयूट ऑफ मेडिकल साइंस, फरीदाबाद से बातचीत पर आधारित)