Children’s Day Special: बच्चे एक मासूम कली की तरह होते हैं, उन्हें जिस तरह पोषित किया जाता है, वे बड़े होकर वैसा ही बनते हैं। आमतौर पर, लोग बच्चों को अच्छा बनाने के लिए उन पर दबाव बनाते हैं और उन्हें अपनी आदत बदलने के लिए कहते हैं। लेकिन वास्तव में मेहनत उस माली की होती है, जो उन कलियों को सहेजता है और उन्हें पोषित करता है।
ऐसा ही कुछ बच्चों के लालन पालन के साथ भी है। बच्चों पर दबाव बनाने से पहले जरूरी होता है कि खुद पैरेंट्स अपनी कुछ आदतों में बदलाव करें। बच्चे हमेशा अपने माता-पिता को देखकर सीखते हैं। इसलिए, अगर आप अपनी आदतों में बदलाव करते हैं तो इससे बच्चों में भी बदलाव खुद ब खुद आने लगेगा। इतना ही नहीं, आगे भविष्य में उन्हें इस बात का लाभ भी मिलेगा। जरूरी नहीं है कि आप अपनी पूरी लाइफ को चेंज करें। सिर्फ किसी भी एक आदत को अपनाएं। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको कुछ ऐसी ही आदतों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें अपनी लाइफ में शामिल करके आप अपने व अपने बच्चों को बेहतर भविष्य की ओर अग्रसर कर सकते हैं-
बनाएं एक घंटा जल्दी उठने की आदत

अगर आप सच में अपने बच्चों में कुछ अच्छी आदतों को शामिल करना चाहते हैं तो ऐसे में खुद एक घंटा पहले उठने की आदत डालें। सुबह-सुबह आप इस समय में उनके साथ खेलें। अमूमन बच्चों को यह शिकायत रहती है कि पैरेंट्स उन्हें समय नहीं देते, लेकिन इस आदत के कारण बच्चों की वह शिकायत दूर हो जाएगी। साथ ही, खेलने के उत्साह के कारण वे खुशी-खुशी जल्दी उठना शुरू कर देंगे और जल्द ही उन्हें समय पर सोने की आदत भी हो जाएगी। साथ ही, कोई भी फिजिकल एक्टिविटी जैसे फुटबॉल, बैडमिंटन खेलने या फिर साइकिलिंग रेस करने से वह अधिक फिजिकल फिट भी होते हैं।
बनाएं वन मील साथ करने की आदत

यह एक ऐसी हैबिट है, जो हर पैरेंट को अवश्य अपनानी चाहिए। आपकी काम की टाइमिंग अलग-अलग हो सकती हैं। लेकिन आप फिर भी सभी की सहूलियत को ध्यान में रखकर दिन का कम से कम एक मील साथ लेने की हैबिट जरूर डालें। इससे सबसे पहले तो बच्चे घर का हेल्दी भोजन करना सीखते हैं और उनकी ईटिंग हैबिट्स सुधरती हैं, जो उन्हें लाभ पहुंचाती हैं। इसके अलावा, मील टाइमिंग के दौरान आप लोग अपनी हैप्पीनेस, परेशानियों व अन्य डे टू डे लाइफ को साथ में शेयर करते हैं, जिससे पैरेंट्स व बच्चों का आपसी बॉन्ड मजबूत होता है।
बनाएं बेड टाइम रीडिंग की आदत

चाहे आपके घर में छोटे बच्चे हैं या फिर बड़े। लेकिन फिर भी आपको बच्चों के साथ बेड टाइम रीडिंग की हैबिट को जरूर अपनाना चाहिए। ऐसा करने से ना केवल बच्चों की रीडिंग सुधरती है, बल्कि उनकी किताबों से दोस्ती भी होती है। अगर आप ऐसा नहीं चाहते हैं तो कम से कम बेड पर लेटे हुए स्टोरी कॉम्पीटिशन किया जा सकता है। जिसमें एक स्टोरी पहले आप सुनाएं और फिर दूसरा बच्चा। इससे बच्चे को मजा भी आता है और वह अधिक कल्पनाशील बनता है। क्रिएटिव माइंड उसे अन्य भी कई क्षेत्रों में लाभ पहुंचाता है।
बनाएं होममेड कुक फूड खाने की आदत

आज के समय में अधिकतर पैरेंट्स अपने बच्चे के बाहर के खाने की आदत से परेशान रहते हैं और यह हैबिट बच्चों को मोटा व बीमार बनाती है। लेकिन इसके पीछे कहीं ना कहीं पैरेंट्स ही जिम्मेदार होते हैं। उन्हें खुद बाहर के खाने की क्रेविंग होती है और फिर बच्चे भी उनकी देखा-देखी ऐसा करते हैं। इसलिए, सबसे पहले आप यह हैबिट बनाएं कि आप होममेड कुक फूड ही खाएंगे और घर में बनी सभी सब्जियों को खाने की कोशिश करें, भले ही वे आपको पसंद ना हों। ऐसा करने से बच्चों को भी सभी सब्जियां खाने की हैबिट होगी।
बनाएं गुल्लक

आज के समय में बच्चे पैसों की कद्र करना नहीं जानते हैं। शायद ऐसा इसलिए भी होता है, क्योंकि पैरेंट्स उनकी हर डिमांड को पूरा कर देते हैं। लेकिन अब आप अपनी इस आदत को बदलें। कोशिश करें कि आप बच्चे के लिए गुल्लक बनाएं। आप नियम से उसमें कुछ पैसे जोड़ें। माह के अंत में बच्चा जमा हुए पैसों से कुछ भी खरीद सकता है। ऐसा करने से बच्चे में धैर्य के गुण का संचार होता है। उसे पता है कि उसे एक निश्चित समय पर ही पैसे मिलेंगे। इसके अलावा, जब गुल्लक में पैसे डाले जाते हैं तो बच्चे को लगता है कि यह उसी के पैसे हैं। ऐसे में बेवजह पैसे को खर्च करने की आदत को भी छोड़ देता है। यह मनी मैनेजमेंट उन्हें आगे चलकर भी लाभ पहुंचाता है।
बनाएं अपना काम खुद करने की आदत
कुछ पैरेंट्स की यह आदत होती है कि जब वे ऑफिस से लौटते हैं तो थकान के कारण अपना बैग लिविंग एरिया में ही छोड़ देते हैं या फिर अपनी चीजों को लापरवाही से छोड़ देते हैं। ऐसे में बच्चे भी स्कूल से लौटने के बाद इधर-उधर फेंक देते हैं। ऐसे में अगर आप बच्चों को अधिक आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं तो इसका सबसे अच्छा तरीका है कि आप अपना काम खुद करें। मसलन, ऑफिस से लौटने के बाद अपना बैग व जूते सही जगह पर रखें। अगर आपको किसी चीज की आवश्यकता है तो अपने पार्टनर या बच्चों को बोलने की जगह खुद उसे पूरा करने की कोशिश करें। आपकी इस एक छोटी सी आदत के कारण बच्चों के सामने एक उदाहरण सेट होता है और फिर बच्चे भी इस गुण को अपना लेते हैं।