Children’s Health : बच्चों को खाना खिलाना इस दुनिया का सबसे मुश्किल काम है। खासकर जब उनका मनपसंद खाना नहीं बना हो। इसलिए तो मांओं की सारी दिमागी कसरत बच्चों को खाना खिलाने के आइडियाज़ के बारे में सोच-सोचकर ही हो जाती है। कई माताएं इस दिमागी कसरत से बचने के लिए बच्चों को उनका पसंदीदा खाना ही बनाकर दे देती हैं। भले ही इस तरह से उनका बच्चा हरी सब्जियों के बजाय रोज आलू खाने लगे या मैगी खाने लगे। आप ऐसा ना करें। ऐसा कर के एक तरह से आप उनके साथ दुश्मन जैसा व्यवहार कर रही हैं। क्योंकि बच्चों की हाइट बढ़ने और बड़ा होने के दौरान प्रॉपर न्यूट्रिशन की उन्हें जरूरत होती है। अगर आप उनके मनपसंद खाने को ही उन्हें बार-बार खिलाते रहेंगी तो उन्हें पूरे पोषक-तत्व नहीं मिल पाएंगे और धीरे-धीरे वे कई बीमारियों के शिकार बन जाएंगे।
बच्चों का क्या है… बच्चों को तो खाने में हरी सब्जियां बिल्कुल ही नहीं पसंद आती हैं। करेला तो बहुत कम बच्चे ही खाते हैं। किसी बच्चे को खाने में सब्जी का झोल पसंद नहीं आते तो किसी को साग पसंद नहीं आता। किसी को रोटी खाना पसंद नहीं होता तो कोई चावल खाने में मुंह बनाता है। कोई दूध पीने में मुंह बनाता है तो किसी को हर समय दही खाना पसंद आता है। अब रात को तो दही खाने के लिए नहीं दी जा सकती। ऐसे में आप केवल टोक सकती हैं। जो कि आपके बच्चे की चिड़चिड़ाहट का कारण बन सकता है। लेकिन चिंता ना करें… उन्हें चिड़चिड़ाने दें। क्योंकि आप टोकेंगी नहीं तो वे केवल मैगी और आलू के अलावा कुछ खाएंगे ही नहीं।
डांटने की जगह प्यार की टोक से काम चलाएं
इसमें कोई शक नहीं है कि हर मां अपने बच्चे को भरपूर खाना खिलाना चाहती है। इसके लिए दिनभर उसके पीछे खाने की थाली लेकर घूमते रहती है। कई बार तो माताएं अपने बच्चे को खाना खिलाने के चक्कर में डांट भी देती हैं तो कई बार मार भी देती है। लेकिन इस डांट और मार से कुछ नहीं होने वाला। आपको कुछ और कोशिश करने की जरूरत है।

टोकना शुरू करें
कई लेख और रिसर्च में आपने पढ़ा होगा कि बार-बार बच्चों को टोकना अच्छा नहीं होता है। लेकिन टोकने और बच्चों को इरिटेट करने में फर्क समझें। वैसे भी अगर आप हर चीज में बच्चों को टोकेंगी तो वे इरिटेट होंगे ही। इसलिए बच्चों को हर चीज में टोकने के बजाय केवल एक चीज में टोकें- वह है खाने में।
कई महिलाएं बच्चों को बाहर खेलने के लिए, पढ़ने के लिए, बात करने के लिए, बैठने के तरीके के लिए, हर चीज के लिए टोकती हैं। आप ऐसा ना करें। अगर ऐसा करेंगी तो बच्चा आपसे केवल दूर होगा।
हर चीज में टोकना बंद करें
वैसे भी बच्चों को हर चीज में टोकना बेकार है। क्योंकि बच्चों के खेलने का तरीका, बात करने का तरीका, बैठने का तरीका…सबकुछ आपसे ही उसे आता है। वह ये सारी चीजें आपको देखकर करता है। आप जैसे दूसरों से बात करेंगी वैसे ही बच्चा भी दूसरों से बात करने का तरीका सीखेगा। आप अच्छे से बैठेंगी, घर को साफ रखेंगी, दूसरे लोगों से अच्छे से बात करेंगी तो आपका बच्चा भी वैसे ही दूसरों के साथ अच्छे से व्यवहार करेगा। तो इन सब चीजों के लिए टोकें नहीं बल्कि अपनी आदतों में सुधार करें।
अब बच्चे के खाने का क्या करना है?

बच्चे को प्यार से समझाएं
इस बात को समझिए कि वह बच्चा है और बेशक ही उसे अच्छी ही चीजें पसंद आएंगी। वह अभी खाने की पौष्टिकता के बारे में नहीं जानता है। ऐसे में एक मां होने के नाते आपका फर्ज बनता है कि उसे हर खाने की अहमियत समझाएं और उन्हें पौष्टिकता से भरी थाली रोज खिलाएं।
सबसे पहले जंकफूड से दूर रखें
पिज्जा, बर्गर, पास्ता खाने के लिए हर बच्चा परेशान रहता है। अगर आप बच्चे को सुबह मैगी दें, लंच में पिज्जा खिलाएं और डिनर में पास्ता खिलाएं तो बच्चा बहुत खुश रहेगा। लेकिन क्या बच्चे को इससे संपूर्ण पोषक तत्व मिलेंगे?
बिल्कुल भी नहीं।
इसलिए बच्चे को हेल्दी रखने के लिए उनके खान पान में ध्यान दें और उन्हें हर वह जरूरी चीजें खिलाएं जो उनके लिए जरूरी है।

टोकना कैसे अच्छा है?
अमूमन लोग कहते हैं कि ज्यादा टोकने से बच्चे गु्स्सैल बन जाते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। केवल इस बात का ध्यान रखें कि उसे आप बाकी चीजों के लिए बेवजह ना टोकें। उनके रहने के तरीके और बात करने के तरीके को सुधारने के लिए उन्हें टोकने के बजाय अपनी आदतों में बदलाव लाएं। वह वही करेंगे जो आप करेंगी।
हां, लेकिन उन्हें खाने के लिए टोकना जायज है। अगर वह आलू की सब्जी ही खाना चाहता है तो खुद साग-सब्जी लेकर उसके साथ खाने बैठ जाएं। और उसे आलू की सब्जी खाने दें। अब इस दौरान खाते-खाते उसकी आलू की सब्जी खुद भी थोड़ी सी खा लें और अपने में से साग की सब्जी उसे थोड़ी सी खिला दें। अगर मना करता है तो उसके फायदे बताकर एक बाइट तो खिला ही दें। इससे आप दोनों के बीच की बॉन्डिंग और अधिक स्ट्रॉन्ग हो जाएगी और उसे खाने में पोषक-तत्व भी मिल जाएंगे।
रोज-रोज ऐसा करने से उन्हें सब्जियों का स्वाद पसंद आने लगेगा और एक समय ऐसा आएगा कि वह खुद आपसे सब्जी मांग कर खाने लगेंगे।
समझदार बनें
बच्चों को बड़ा करना मुश्किल काम नहीं है बल्कि धीरज के साथ करने वाला काम है। वे इस दुनिया के बारे में जो भी जानेंगे, आपसे जानेंगे। इसलिए उन्हें हर अच्छी चीज समझाएं और अगर वे कुछ गलत करते हैं तो उन्हें डांटने के बजाय उसके नतीजों के बारे में बताएं। साथ ही ये भी बताएं कि यह गलत क्यों है। बाद बाकि, बच्चे हमसे ज्यादा समझदार होते हैं। वह हर चीज सबसे पहले अपनी मां से सीखते हैं। तो जैसा आप करेंगी, वैसा ही आपके बच्चे भी करेंगे।